आज पूरे देश में धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन मुख्य तौर पर नई चीजों की खरीदारी की जाती है। मान्यता है इस दिन खरीदी गई वस्तुएं आने वाले समय में खूब लाभ देती हैं। इस दिन लोग माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। जानिए घर में सुख समृद्धि के लिए इस दिन किन चीजों की खरीदारी करना माना जाता है शुभ और क्या रहेगा शुभ मुहूर्त।
धनतेरस पर क्या खरीदें? इस दिन कोई भी नई वस्तु खरीद सकते हैं। लेकिन मुख्य तौर पर धनतेरस पर सोने, चांदी और पीतल की चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। इसके अलावा धनतेरस पर बर्तन और झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है। कई लोग इस दिन नई कार, मोटर साइकिल और जमीन-मकान भी खरीदते हैं।
क्या न खरीदें? इस दिन काले रंग की वस्तुएं, तेल, लोहे, कांच और एल्युमीनियम से बनी चीजें खरीदने से बचना चाहिए। इसके अलावा इस दिन जो भी बर्तन खरीद रहे हैं उसे खाली घर में नहीं लेकर जाएं। नए बर्तन को घर में ले जाने से पहले उसके अंदर पानी भर लें।
खरीदारी और पूजा का शुभ मुहूर्त: धनतेरस पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त शाम 06:17 बजे से रात 08:11 बजे तक रहेगा। इसके अलावा खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रहा है। लेकिन दोपहर 2 बजकर 50 मिनट से 04 बजकर 12 मिनट के बीच खरीदारी करने से बचें। क्योंकि इस दौरान राहुकाल रहेगा। शाम को खरीदारी करने की सोच रहे हैं तो शाम 6 बजकर 17 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक का समय खरीदारी के लिए बेहद शुभ रहेगा। (यह भी पढ़ें- धनतेरस पूजा इन आरती को गाकर करें संपन्न, यहां पढ़ें माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की आरती)
धनतेरस पूजा विधि: धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की विधि विधान पूजा करें। घर के मुख्य द्वार पर दीपक जरूर जलाएं। जिसमें एक दीपक दक्षिण दिशा में यम के नाम से भी जलाएं। कहते हैं धनतेरस के दिन विधि विधान पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है।
धनतेरस के दिन इस मंत्र का जरूर करें जाप: ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृह स्थिरो ह्रीं ॐ नमः
धनतेरस के दिन पीतल का बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। बर्तन को खरीदने के पश्चात घर के पूर्व दिशा में रखें। मान्यता है कि इससे माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
धनतेरस के दिन मंदिर में झाड़ू दान करने की परंपरा है। मान्यता है कि झाड़ू दान करने से घर में लक्ष्मी आती हैं। परिवार में खुशहाली बनी रहती है और तरक्की होती है।
धनतेरस की शाम को पूजा के लिए स्नान करके पीला वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और खुशहाली आती है। पीला वस्त्र धारण कर उत्तर दिशा की तरफ मुंह कर मंत्रों का जाप करना घर की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ बनाता है।
धनतेरस के दिन धनिया खरीदना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन धनिया खरीदने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होतीं हैं और घर में संपन्नता आती है।
धनतेरस की शाम माता लक्ष्मी को लप्सी का भोग लगाना शुभ माना जाता है। लप्सी गेहूं, घी और चीनी के मिश्रण से बनाएं और शाम को माता लक्ष्मी को भोग स्वरुप अर्पित करें। भोग लगाने के कुछ समय बाद प्रसाद को खाना बेहद शुभ मन जाता है।
मान्यता है कि धनतेरस पर झाड़ू खरीदने से घर में लक्ष्मी का वास होता है। इस दिन लोग धातु खरीदें न खरीदें लेकिन झाड़ू अवश्य खरीदते हैं। झाड़ू खरीदने के बाद उस पर भूल से भी पैर न रखें। माना जाता है कि इससे लक्ष्मी रुष्ट हो जातीं हैं। झाड़ू को घर में किसी कोने में रखें, बाहर रखने से धन की हानि हो सकती है।
स्टील से बनी चीजें, एल्यूमिनियम का सामान, लोहे की वस्तुएं, नुकीली या धारदार चीजें, प्लास्टिक का सामान, चीनी मिट्टी के बर्तन, कांच के बर्तन, काले रंग की चीजें।
पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय महर्षि धन्वंतरि अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्रचलित हुई। एक और कथा के अनुसार एक समय भगवान विष्णु द्वारा श्राप दिए जाने के कारण देवी लक्ष्मी को तेरह वर्षों तक एक किसान के घर पर रहना था। माँ लक्ष्मी के उस किसान के रहने से उसका घर धन-समाप्ति से भरपूर हो गया। तेरह वर्षों उपरान्त जब भगवान विष्णु माँ लक्ष्मी को लेने आए तो किसान ने माँ लक्ष्मी से वहीँ रुक जाने का आग्रह किया। इस पर देवी लक्ष्मी ने कहा किसान से कहा कि कल त्रयोदशी है और अगर वह साफ़-सफाई कर, दीप प्रज्वलित करके उनका आह्वान करेगा तो किसान को धन-वैभव की प्राप्ति होगी। जैसा माँ लक्ष्मी ने कहा, वैसा किसान ने किया और उसे धन-वैभव की प्राप्ति हुई। तब से ही धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन की प्रथा प्रचलित हुई।
मेष और वृश्चिक राशि - लाल और पीली रंग की धातु तांबा और पीतल
मिथुन और कन्या राशि - हरे रंग की वस्तुयें, पीतल,
कर्क राशि - चांदी, सफेद रंग की वस्तुयें, कांसा
सिंह राशि - सुनहरी रंग की चीजे जैसे पीतल के बर्तन,
तुला और वृष राशि - हीरे, सफेद रंग की वस्तुये कांसे के बर्तन
मकर और कुम्भ राशि - वाहन, स्टील के बर्तन,
ऐसा माना जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं। हालांकि लोग सोना खरीदना भी पसंद करते हैं। इस दिन ज्योतिष विशेषज्ञ सोने की बजाय चाँदी या पीतल के बर्तन खरीदना ज्यादा शुभ समझते हैं।
मान्यता है कि धनतेरस पर अनाज का दान करने से घर में हमेशा अन्न का भंडार भरा रहता है। इस दिन लोहे का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन जरूरमंद लोगों को कपड़ों का दान करना शुभ माना गया है। इसके साथ ही झाड़ू का दान भी धनतेरस के दिन शुभ माना जाता है।
1. धनतेरस पर धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा का विधान है।
2. धनतेरस पर पीतल और चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता है कि बर्तन खरीदने से धन समृद्धि होती है।
3. इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीये जलाये जाते हैं।
4. धनतेरस के दिन शाम के समय यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है।
धनतेरस के दिन सोने, चांदी और पीतल की वस्तुओं, और झाड़ू खरीदना शुभ होता है। हालांकि इस दिन काले या गहरे रंग की चीज़ें, चीनी मिट्टी से बनी चीज़ें, कांच, एल्युमीनियम, और लोहे से बनी चीज़ें नहीं खरीदनी चाहिए।
त्रिपुष्कर योग द्वादश तिथि और मंगलवार के संयोग से बनता है। 02 नवंबर के दिन सुबह साढ़े ग्यारह बजे तक ‘त्रिपुष्कर योग’ का निर्माण हो रहा है। मान्यताओं के अनुसार इस योग में ख़रीदारी करने से संपत्ति में तीन गुना वृद्धि तो होती है, इसके साथ-साथ जातकों का भाग्योदय भी होता है।
ज्योतिष शास्त्र में धनतेरस के दिन को बेहद शुभ माना जाता है। अगर आप दोपहर को खरीदारी करना चाहते हैं तो दोपहर 1:50 से 2.40 बजे के बीच का समय खरीदारी के लिए शुभ रहेगा।
पूजा का मुहूर्त शाम 06:17 PM से शुरू होगा और इसकी समाप्ति रात 08:11 PM पर होगी। प्रदोष काल 05:35 PM से 08:11 PM तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 2 नवंबर को 11:31 AM से होगी और इसकी समाप्ति 3 नवंबर को 09:02 AM पर होगी।
धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाना चाहिए। धनतरेस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है।
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥