धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन इनकी पूजा के साथ मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदे क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का अहम धातु माना गया है। इससे घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती है। व्यापारी धनतेरस के दिन नए बही-खाते खरीदते हैं जिनका पूजन दीवाली पर किया जाता है।
मां लक्ष्मी और गणेश जी की आरती (Lakshmi/Laxmi Aarti, Ganesh Aarti
धनतेरस तिथि और शुभ मुहूर्त (Dhanteras Shubh Muhurat ) :
धनतेरस पूजा – शुक्रवार, अक्टूबर 25, 2019
धनतेरस पूजा मुहूर्त – 07:08 पी एम से 08:16 पी एम
अवधि – 01 घण्टा 08 मिनट्स
यम दीपम मुहूर्त – शनिवार, अक्टूबर 26, 2019 को
प्रदोष काल – 05:43 पी एम से 08:16 पी एम
वृषभ काल – 06:51 पी एम से 08:47 पी एम
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 25, 2019 को 07:08 पी एम बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 26, 2019 को 03:46 पी एम बजे
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi) :
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोषकाल में धनतेरस की पूजा की जानी चाहिए। इस दिन पूरे विधि- विधान से देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा की जानी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह घर में ही ठहर जाती हैं। साथ ही इस दिन मृत्यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है। घर के दरवाजे पर यमराज के लिए दीप देने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है।
धनतेरस मंत्र (Dhanteras Mantra Hindi) : दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करें…
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥
अर्थ है: त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों।
धनतरेस पूजा की संपूर्ण पूजा विधि, मंत्र, कथा, पूजा सामग्री और अन्य जरूरी जानकारी जानने के लिए बने रहिए हमारे इस ब्लॉग पर…
Gold Price Today सोने की कीमत आज :
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Silver Price Today चांदी की कीमत आज : 1 किलो चांदी की प्राइस – ₹ 48,770
धनतेरस खरीदारी मुहूर्त :
रात 09:00 से 10:25 तक
मेष: ताम्र पात्र, फूल के बर्तन, स्वर्ण आभूषण, स्वर्ण के सिक्के
वृष: चांदी के सिक्के, बर्तन व आभूषण, हीरे की अंगूठी या जेवर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वस्त्र, वाहन
मिथुन: वस्त्र, चांदी के सिक्के और आभूषण, हीरे के आभूषण, चांदी के पात्र और वाहन
कर्क: स्वर्ण आभूषण, ताम्बे के बर्तन, फूल की थाली, सोने के सिक्के, चांदी के सिक्के और आभूषण
सिंह: स्वर्ण के सिक्के, आभूषण, ताम्र और फूल के पात्र, धार्मिक पुस्तक और कलम
कन्या: हरे या नीले रंग का वस्त्र, चांदी के सिक्के, हीरा, वाहन तथा चांदी के पात्र
तुला: वाहन, चांदी तथा हीरे के सामान, वस्त्र और स्टील के बर्तन
वृश्चिक: ताम्बे के पात्र, पूजा सामान, स्वर्ण आभूषण, धार्मिक पुस्तक, फूल के बर्तन
धनु: धार्मिक पुस्तक, स्वर्ण के सिक्के और आभूषण, फूल के पात्र, वाहन
मकर: लोहे के सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन, चांदी के सिक्के, चांदी और हीरे के आभूषण
कुंभ: लोहे के सामान, इलेक्ट्रानिक सामान, स्टील के बर्तन,चांदी और हीरे के आभूषण
मीन: धार्मिक पुस्तक, सोने के आभूषण व सिक्के, ताम्बे और फूल के बर्तन, वाहन, जमीन या मकान
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस की पूजा होती है। इस दिन मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती हैं। साथ ही धनतेरस पर मृत्यु के देवता यम की पूजा भी की जाती है। इसके लिए घर की चौखट पर दीप जलाया जाता है।
लाभ बेला : शाम 4:31 बजे से शाम 5:13 बजे तक
अमृत बेला : शाम 7:14 से 8:49 बजे तक
शुभ बेला : रात 10:25 से रात 12 बजे तक
धन्वंतरी पूजन : दोपहर 2 बजे से 3 बजे तक
लक्ष्मी-गणेश : शाम 5 बजे से 6 बजे तक
मान्यता है कि मां लक्ष्मी को कौड़ियां अति प्रिय हैं। इसलिए धनतेरस के दिन कौड़ियां खरीदकर रखें और शाम के समय इनकी पूजा करें. दीपावली के बाद इन कौड़ियां को अपने घर की तिजोरी में रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से धन-धान्य की कमी नहीं रहती।
मां लक्ष्मी को धनिया अति प्रिय है। धनतेरस के दिन धनिया के बीज जरूर खरीदने चाहिए। मान्यता है कि जिस घर में धनिया के बीज रहते हैं वहां कभी धन की कमी नहीं रहती। दीपावली के बाद धनिया के इन बीजों को घर के आंगन में लगाना चाहिए।
आमतौर पर लोग इस दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदते हैं। लेकिन आप चाहें तो सोने या चांदी के सिक्के भी ले सकते हैं। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है और उन्हें चांदी और धातु की चीजें बेहद पसंद है। ऐसे में इस दिन चांदी खरीदना अच्छा माना जाता है साथ ही आप पीतल, तांबा और कांसा की वस्तुएं भी खरीद सकते हैं।
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना गया है। यह कहावत आज भी प्रचलित है कि 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया' इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है। मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
धनतेरस पर मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) और भगवान धन्वंतरि (Dhanvantari) की पूजा होती है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का भी जनक कहते हैं। तो अगर आपको घर में निरोग, सुख संपन्नता और धन धान्य चाहिए तो आज इनकी पूजा के साथ अपने मुख्य द्वार पर इन देवों का स्वागत भी करें। चावल के उपर दीप रखकर चौखट के दोनों ओर जलाएं।
इस त्योहार को मनाए जाने के पीछे मान्यता है कि लक्ष्मी के आह्वान के पहले आरोग्य की प्राप्ति और यम को प्रसन्न करने के लिए कर्मों का शुद्धिकरण अत्यंत आवश्यक है। कुबेर भी आसुरी प्रवृत्तियों का हरण करने वाले देव हैं।
इस दिन वैदिक देवता यमराज का पूजन किया जाता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। यह पूजा दिन में नहीं की जाती अपितु रात्रि होते समय यमराज के निमित्त एक दीपक जलाया जाता है। इस दिन यम के लिए आटे का चतुर्मुख यानी 4 बत्तियों वाला तेल का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखें इस दीप को जमदीवा अर्थात् यमराज का दीपक कहा जाता है। दीपक को दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए।
जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित यमराज और दीपक का पूजन करें। दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से यमराज को नमन तो करें ही, साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो।
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोषकाल में धनतेरस की पूजा की जानी चाहिए। इस दिन पूरे विधि- विधान से देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा की जानी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह घर में ही ठहर जाती हैं। साथ ही इस दिन मृत्यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है। घर के दरवाजे पर यमराज के लिए दीप देने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है।
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद पूरे घर में झाड़ू-पौंछा लगाएं। इसके बाद आंगन को गोबर से लिपकर वहां पर रंगोली बनाएं। नए कपड़े पहनें और घर के मुख्य स्थानों पर हल्दी और कुमकुम से स्वस्तिक और अन्य मांगलिक चिन्ह बनाएं। इस दिन आभूषण, कपड़े, वाहन और महत्वपूर्ण खरीदारी के साथ बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। इस दिन शाम को पूरे घर को दीपक से सजाएं और प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि और धर्मराज यम की पूजा करें। इस दिन हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरना चाहिए और कुंकुम लगाना चाहिए। सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में घाट, गौशाला, कुआं, बावड़ी, तुलसी, आंवला के साथ अन्य औषधि पौधों के पास और देव मंदिरों पर दीपक जलाना चाहिए।
महालक्ष्मी, श्रीगणेश, रिद्धि-सिद्धी, कुबेर की पूजा एक साथ विशेष तौर पर की जाती है। धनतेरस पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त शाम 6 से रात 8:34 बजे रहेगा।
इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और घर पर कीमती चीजें खरीदने और घर पर लाने का रिवाज है। बहुत तरीकों से अपने दोस्तों, परिवार फैमिली मेंबर्स को आप धनतेरस की बधाई दे सकते हैं। आप एक दूसरे के घर जाकर उनसे मिलकर, उपहार देकर खुशियां बांट सकते हैं। धनतेरस के खास मौके पर आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को मैसेज, कोट्स और इमेजेज भेजकर उन्हें शुभकामनाएं दे सकते हैं।
आज धनतेरस है। आज खरीदारी के लिए सबसे शुभ दिन माना गया है। आज मां लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है। उन्हें आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार आज शाम 5.36 बजे से रात 8.02 बजे तक धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त है। आज के दिन आप बर्तन, जेवर, इलेक्ट्रिक सामान, अलमारी और भगवान लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति भी खरीद सकते हैं।
धनतेरस यानी धनत्रयोदशी आज पूरे देश में मनाया जाएगा। इस दिन इनकी पूजा के साथ मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इसके साथ ही इस दिन कुछ खास चीजें खरीदना भी शुभ माना गया है। आज के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदे क्योंकि पीतल महर्षि धन्वंतरी का अहम धातु माना गया है।
धनतेरस के दिन धनिया खरीदने का रिवाज है। दिवाली पर पूजा के बाद कुछ दाने गमले में बो दें। उसमें यदि स्वस्थ पौधा निकलता है तो पूरे वर्ष आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। यदि पौधा सामान्य और पतला है तो आपकी आपकी आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी।
मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
धनतरेस पर लोहा, कांच और एल्युमिनियम के बर्तन न खरीदें। इस दिन बर्तन खरीद कर लाएं तो उसमें अन्न आदि पहले ही रख लें। खाली बर्तन घर में नहीं लाना चाहिए। इसके अलावा आपको धनतेरस के दिन काले रंग से बचना चाहिए। यह अशुभ माना जाता है।
धनतेरस के साथ 25 अक्टूबर से दिवाली पर्व की शुरू हो जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुरूप हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस मनाना सुनिश्चित किया गया है। इस दिन मां लक्ष्मी के अलावा भगवान धन्वंतरि पूजे जाते हैं। इस दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा है जैसे सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन, वाहन और झाड़ू।
धूप बत्ती (अगरबत्ती), चंदन, कपूर, केसर, यज्ञोपवीत 5, कुंकु, चावल, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, सौभाग्य द्रव्य- मेहँदी, चूड़ी, काजल, पायजेब, बिछुड़ी आदि आभूषण, नाड़ा, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे, धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल शहद (मधु) और शकर घृत (शुद्ध घी), दही, दूध, ऋतुफल (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि), नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि), -इलायची (छोटी) लौंग, मौली, इत्र की शीशी, तुलसी दल, सिंहासन (चौकी, आसन), -पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते), औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि), लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति), गणेशजी की मूर्ति।
धनतरेस के दिन सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक ब्रह्म योग रहेगा | अगर आपको कोई शांतिपूर्वक कार्य करना हो, तो ब्रह्म योग में करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी | साथ ही सुबह 09 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर पूरा दिन पूरी रात पार करके अगली सुबह 06 बजकर 03 मिनट तक इंद्र योग रहेगा | अगर आप राजनीती से जुड़े है या राज्य पक्ष का कोई कार्य रुका हो तो उसे इस योग में पूरा करने का प्रयास करेंगे तो पूर्ण होगा । इसके अलावा दोपहर पहले 11 बजे तक पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा | माना जा रहा है कि ऐसा संयोग कई सालों बाद बन रहा है।
धनतेरस पर सोना,चांदी, पीतल, स्टील से बनी चीजें खरीदना शुभ रहता है। इन चीजों को खरीदने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। धनतेरस पर झाड़ू खरीदने की प्रथा है ऐसा माना जाता है झाड़ू मां लक्ष्मी को बहुत ही प्रिय होती है।
धूप बत्ती (अगरबत्ती), चंदन, कपूर, केसर, यज्ञोपवीत 5, कुंकु, चावल, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, सौभाग्य द्रव्य- मेहँदी, चूड़ी, काजल, पायजेब, बिछुड़ी आदि आभूषण, नाड़ा, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे, धनिया खड़ा, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल शहद (मधु) और शकर घृत (शुद्ध घी), दही, दूध, ऋतुफल (गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े इत्यादि), नैवेद्य या मिष्ठान्न (पेड़ा, मालपुए इत्यादि), -इलायची (छोटी) लौंग, मौली, इत्र की शीशी, तुलसी दल, सिंहासन (चौकी, आसन), -पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते), औषधि (जटामॉसी, शिलाजीत आदि), लक्ष्मीजी का पाना (अथवा मूर्ति), गणेशजी की मूर्ति।
- सबसे पहले एक लाल रंग का आसन बिछाएं और इसके बीचों बीच मुट्ठी भर अनाज रखें।
- अनाज के ऊपर स्वर्ण, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश रखें. इस कलश में तीन चौथाई पानी भरें और थोड़ा गंगाजल मिलाएं।
- अब कलश में सुपारी, फूल, सिक्का और अक्षत डालें. इसके बाद इसमें आम के पांच पत्ते लगाएं।
- अब पत्तों के ऊपर धान से भरा हुआ किसी धातु का बर्तन रखें।
- धान पर हल्दी से कमल का फूल बनाएं और उसके ऊपर मां लक्ष्मी की प्रतिमा रखें. साथ ही कुछ सिक्के भी रखें।
धनतेरस के दिन आरोग्य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं। साथ ही फूल अर्पित कर सच्चे मन से पूजा करें।
धनतेरस (Dhanteras) को धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi), धन्वंतरि त्रियोदशी (Dhanwantari Triodasi) या धन्वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कहा जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था।
धनतेरस (Dhanteras) को धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi), धन्वंतरि त्रियोदशी (Dhanwantari Triodasi) या धन्वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कहा जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
धनतरेस के दिन लोहा, कांच और एल्युमिनियम के बर्तन नहीं खरीदना चाहिए। इससे आपके ग्रहों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जब भी कोई बर्तन खरीद कर लाएं तो उसमें अन्न आदि रखकर लाएंं। खाली बर्तन घर में नहीं लाना चाहिए। इसके अलावा आपको धनतेरस के दिन काले रंग से बचना चाहिए। यह अशुभ माना जाता है।
धनतेरस के दिन साबुत धनिया खरीदे का रिवाज है। इसे दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजा के समय माता को अर्पित करें। फिर उसके कुछ दाने गमले में बो दें। उसमें यदि स्वस्थ पौधा निकलता है तो पूरे वर्ष आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। यदि पौधा सामान्य और पतला है तो आपकी पूरे वर्ष आपकी आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी।
धनतेरस के दिन बहुत से लोग बर्तन खरीदते हैं, ध्यान रहे कि आप जो बर्तन खरीदकर घर ला रहे हों तो उसे खाली ना लाएं। खरीदे गए नए बर्तनों में पानी या फिर अनाज डाल लें, तभी उनको घर लाएं। धनतेरस के दिन तेल, रिफाइंड, घी इत्यादी तैलीय चीजों को इस दिन ना खरीदें। इसे आप कुछ दिन पहले ही खरीद लें क्योंकि आपको धनतेरस के दिन दीपक जलाने होते हैं।
लक्ष्मी सदैव हिसाब किताब यानी बही खाते में निवास करती हैं। धन त्रयोदशी पर बही खाता यानी पुस्तक खरीदने और उसके पूजन का विशेष महत्व है। बही खाता, चोपड़ा यानी खाता लिखने वाली पुस्तक का क्रय शुभ-चौघड़िया में ही करना चाहिए। धनतेरस पर रजत यानी चांदी ख़रीदना सौभाग्य कारक माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन ख़रीदे हुए रजत में नौ गुने की वृद्धि हो जाती है। ग्रहयोग अगले कुछ वर्षों में चांदी में भारी उछाल का संकेत दे रहे हैं। चांदी के अभाव में ताम्र या अन्य धातुओं का क्रय किया जा सकता है। सोना चांदी और अन्य धातु वृष लग्न में खरीदना चाहिए। कार या बाइक शुभ चौघड़िया, कुंभ लग्न, चर-चौघड़िया या वृषभ-लग्न में क्रय किया जा सकता है। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, शुभ-चौघड़िया, उद्वेग-चौघड़िया और कुंभ लग्न में घर लाना शुभ है। म्यूचूअल फ़ंड और शेयर शुभ चौघड़िया, लाभ चौघड़िया और कुम्भ लग्न में क्रय करना चाहिए। इस दिन हथियार, विस्फोटक सामग्री या अनावश्यक वस्तुयें कदापि नहीं ख़रीदनी चाहिए।
धनतेरस को धनत्रयोदशी, धन्वंतरि त्रियोदशी या धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। उनके दो दिन बाद मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था। इसलिए दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरी का अवतार लिया था। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन करने से घर धन-धान्य से पूर्ण हो जाता है। इसी दिन यथाशक्ति खरीददारी और लक्ष्मी गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन जिस भी चीज की खरीददारी की जाएगी उसमें 13 गुणा वृद्धि होगी। इस दिन यम पूजा का विधान भी है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन संध्या काल में घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का योग टल जाता है।