हिंदुओं का प्रमुख त्योहार दिवाली साल 2019 में 27 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या वापस लौटे थे। और उनके आगमन की खुशी में समस्त अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इस पर्व को असत्य पर सत्य की जीत के तौर पर मनाया जाता है। जानिए दिवाली की तारीख, पूजा मुहूर्त और महत्व…
दीवाली तिथि और लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त :
लक्ष्मी पूजा रविवार, अक्टूबर 27, 2019 पर
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 06:43 पी एम से 08:15 पी एम तक
अवधि – 01 घण्टा 32 मिनट्स
प्रदोष काल – 05:41 पी एम से 08:15 पी एम
वृषभ काल – 06:43 पी एम से 08:39 पी एम
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 27, 2019 को 12:23 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – अक्टूबर 28, 2019 को 09:08 ए एम बजे
दिवाली का महत्व: दीपावली को दीपों का पर्व कहा जाता है। इस त्योहार को अंधेरे पर प्रकाश की जीत के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन हर कोई अपने घरों में और उसके बाहर दीपक जलाता है। दीवाली पर मां लक्ष्मी, गणेश जी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। दीवाली की तैयारियां एक हफ्ते पहले से ही शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों की अच्छे से सफाई कर उसे सजाते हैं और दिवाली वाले दिन मां लक्ष्मी के आगमन के लिए विधि विधान पूजा करते हैं।
अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है दीपावली: हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। 27 अक्टूबर शाम को कार्तिक मास की अमावस्या तिथि में महालक्ष्मी पूजा होगी। 28 अक्टूबर को सूर्योदय काल तक अमावस्या रहेगी। 28 अक्टूबर की सुबह 9.08 बजे के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी, इस दिन गोवर्धन पूजा की जायेगी। और फिर इसके अगले दिन 29 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।
छोटी दिवाली कब है? बड़ी दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है। जो इस साल 26 अक्टूबर को है। इस दिन रात को घर के बाहर यम की पूजा की जाती है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी पर कई घरों में रात को घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाता है। फिर उस दीपक को ले जाकर घर से बाहर कहीं दूर रख देता है। घर के सभी सदस्य अंदर रहते हैं और इस दीपक को नहीं देखते हैं। यह यम का दीपक कहलाता है। छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी के दिन प्रात: काल सूर्य उगने से पहले स्नान करना लाभकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन स्नान करते हैं उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है साथ ही उनके सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। इसके साथ ही शाम के समय यमराज की पूजा करने से उनके समक्ष तेल का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है। इस दिन सुबह स्नान करने का शुभ मुहूर्त 4:15 से 5:29 तक है और यम के नाम दीपदान का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजे से लेकर 7 बजे तक का है।