Chhath Puja 2019 Puja
छठ पूजा की सामग्री (Chhath Puja Samagri) :
– पहनने के लिए नए कपड़े, दो से तीन बड़ी बांस की टोकरी, सूप, पानी वाला नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, चावल, थाली, दूध, गिलास, अदरक और कच्ची हल्दी, केला, सेब, सिंघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, सुथनी, मीठा नींबू (टाब), मिठाई, शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन।
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छठ पर्व की पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi) :
छठ पर्व में मंदिरों में पूजा नहीं की जाती है। इसकी पूजा की वधि कुछ अलग है जो इस प्रकार है।
– कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यानी कि छठ व्रत के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठ कर संकल्प लिया जाता है। इस मंत्र का उच्चारण करें :
ऊं अद्य अमुकगोत्रोअमुकनामाहं मम सर्व
पापनक्षयपूर्वकशरीरारोग्यार्थ श्री
सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
– फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और शाम के समय पास के नदी या तालाब में जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
– शाम को बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर निम्न मन्त्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥
– अर्घ्य के समय सूर्य देव को जल और दूध चढ़ाया जाता है और प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा की जाती है। सूर्य देव की उपासना के बाद रात्रि में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।
– फिर छठ पर्व के अगले दिन सुबह के समय उगते हुए सूर्य को नदी या तालाब में खड़े रहकर एक बार फिर से उसी विधि से अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंच जाते हैं। इसके बाद छठ माता से संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति की कामना की जाती है। सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा करने के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत खोलते हैं।
छठ पर्व से जुड़ी हर चीज जानने के लिए बने रहिए हमारे इस ब्लॉग पर…
Highlights
भोजपुरी के सुपर स्टार पवन सिंह ने इस गीत को गाया है। आजाद सिंह -श्याम देहाती ने इसके गीत लिखे हैं जबकि म्यूजिक भी इन द्वय के साथ छोटे बाबा ने दिया है। सुनिए
अक्षरा सिंह एक्टिंग के साथ साथ गाने का भी शौक रखती हैं और कई एल्बम भी रिलीज कर चुकी हैंं। उनकी आवाज में सुनिए पारंपरिक छठ गीत- कांच ही बांस के बहंगिया...
चार दिवसीय छठ पर्व का तीसरा दिन काफी अहम होता है। इस दिन लोग लंबे समय के लिए कठोर निर्जला व्रत रखते हैं। शाम के समय व्रती किसी नदी, तालाब या घाट पर जाकर सूर्य देव की अराधना कर उन्हें अर्घ्य देते हैं। डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देने के बाद अगले दिन सुबह सुबह उगते हुये सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। इस तरह से ये व्रत संपन्न होता है। व्रत रखने वाले छठी मैया के गीतों को जरूर गाते या सुनते हैं। यहां जानिए छठ पर्व में लोक गीत गायिका शारदा सिन्हा और अनुराधा पौडवाल के कौन-कौन से गीत हो रहे हैं वायरल…
प्रसाद रखने के लिए बांस की दो तीन बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए ग्लास, नए वस्त्र साड़ी-कुर्ता पजामा, चावल, लाल सिंदूर, धूप और बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना जिसमें पत्ता लगा हो, सुथनी और शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू, शहद की डिब्बी, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई प्रसाद : ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा, चावल का बना लड्डू आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाएगा। फल सब्जी : टोकरी में नई फल सब्जियां भी रखी जाती हैं जैसे कि केला, अनानास, सेब, सिंघाड़ा, मूली, अदरक पत्ते, गन्ना, कच्ची हल्दी, नारियल।
निर्जला व्रत रखकर छठ पूजा करने वाले छठ व्रतियों द्वारा शुक्रवार शाम गुड़ और चावल से बने खीर का भोग एवं प्रसाद ग्रहण कर खरना किया गया। शनिवार यानी आज छठ व्रती डूबते सूर्य को गेहूं के आटे और गुड़ व शक्कर से निर्मित मुख्य प्रसाद ‘ठेकुआ’ के अलावा चावल से बने भुसबा, गन्ना, नारियल, केला, हल्दी, सेव, संतरा, फल-फूल हाथों में लेकर जलाशयों में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देंगे।
सबसे पहले छठ पूजा में उपयोग होने वाली सभी सामग्री को एक बांस की टोकरी में रखें। वहीं सूर्य को अर्घ्य देते समय सभी प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएँ। फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस प्रकार आपकी पूजा सही विधि से संपन्न हो जाएगी।
सूर्य को अर्घ्य देते समय ओम सूर्याय नमः या फिर ओम घृणिं सूर्याय नमः, ओम घृणिं सूर्य: आदित्य:, ओम ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा मंत्र का जाप करें।
कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को नदी या तालाब में खड़े रहकर एक बार फिर से उसी विधि से अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन व्रती सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंच जाते हैं। इसके बाद छठ माता से संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति की कामना की जाती है। सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा करने के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत खोलते हैं।
बांस की टोकरी- छठ पूजा के लिए बांस की टोकरी का प्रयोग किया जाता है। इसमें ही पूजन सामग्री रखकर अर्घ्य देने के लिए पूजन स्थल तक जाते हैं।
गन्ना- अर्घ्य देते समय पूजन सामग्री में गन्ने का होना बहुत जरूरी होता है। गन्ने पर कुमकुम लगाकर पूजा स्थल पर रखें।
प्रसाद के लिए ठेकुआ- गुड़ और आटे से मिलकर बनने वाले ठेकुआ को छठ पर्व का प्रमुख प्रसाद माना जाता है।
चावल के लड्डू- छठ मैय्या को चावल के लड्डू अत्यंत प्रिय होते हैं।
केला- पूजा में केले का पूरा गुच्छा चढ़ाया जाता है। इसके बाद प्रसाद में उसे वितरित किया जाता है।
नारियल- पूजन सामग्री में कच्चे नारियल का अपना ही महत्व है। छठ माई को नारियल का भोग लगाकर इसे प्रसाद में वितरित करते हैं।
नींबू- प्रसाद में नींबू का विशेष स्थान है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को किए जाने वाले व्रत को डाला छठ भी कहते हैं। इस व्रत को करने वाली महिलाएं सदैव पति-पुत्र, धन-धन्य और सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होती हैं। यह व्रत बड़े नियम और निष्ठा से किया जाता है। शनिवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य के समय रवि योग है। इस योग का संबंध सूर्य देव से हैं, इसलिए यह योग सभी बाधाओं को दूर करने वाला है।
सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का प्रयोग करें। इसमें दूध और गंगा जल मिश्रित करके पूजा के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य दें और प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा करें। सूर्य देव की उपासना के बाद रात्रि में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।
प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं। नौ महीने बाद संतान सुख को प्राप्त करने का समय आया तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ। इस बात का पता चलने पर राजा को बहुत दुख हुआ। संतान शोक में वह आत्म हत्या का मन बना लिया। लेकिन जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं। देवी ने राजा को कहा कि मैं षष्ठी देवी हूं। मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी। देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया। पूरी कथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सूर्यास्त समय - 05:37 पी एम (2 नवंबर)
सूर्योदय समय - 06:35 ए एम (3 नवंबर)
षष्ठी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 02, 2019 को 12:51 ए एम बजे
षष्ठी तिथि समाप्त - नवम्बर 03, 2019 को 01:31 ए एम बजे
व्रती के संकल्प को पूर्ण सफल बनाने के लिए इस वर्ष खरना के दिन यानी 1 नवंबर को भगवान सूर्य से संबंधित रवि नामक शुभ योग बना है। छठ पर रवि योग का ऐसा संयोग बना है जो नहाय खाय से लेकर 2 नवंबर तक रहेगा। यानी इसी शुभ योग में ही सूर्य देव को संध्या कालीन अर्घ्य भी दिया जाएगा। ज्योतिषशास्त्र में इस योग को तमाम बाधाओं को दूर करने वाला माना गया है।
पहले यह पर्व पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता था, लेकिन अब इसे देशभर में मनाया जाता है। पूर्वी भारत के लोग जहां भी रहते हैं, वहीं इसे पूरी आस्था से मनाते हैं।
31 अक्टूबर: दिन गुरुवार- पहला दिन: नहाय-खाय। सूर्योदय: सुबह 06:32 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:37 बजे।01 नवंबर: दिन शुक्रवार- दूसरा दिन: खरना और लोहंडा। सूर्योदय: सुबह 06:33 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:36 बजे।02 नवंबर: दिन शनिवार- तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य। सूर्योदय: सुबह 06:33 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:35 बजे।03 नवंबर: दिन रविवार- चौथा दिन: ऊषा अर्घ्य, पारण का दिन। सूर्योदय: सुबह 06:34 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:35 बजे।
छठ पर्व के चौथे दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी को उषा काल में उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती दुबारा इकट्ठा होते हैं पूजा के सारे विधि विधान दोहराते हैं। पूजा के पश्चात व्रती दूध या अन्य गर्म पेय पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं।
तीसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ के अलावा फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है। शाम को पूरी तैयारी कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है। इतनी तैयारी होने के बाद आसपड़ोस के साथ व्रती परिवार के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट की ओर चल पड़ते हैं। इस पर्व में छठव्रती एक नियत जलश्रोत , तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य देते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है।
सूर्य तीन पहर सबसे ज्यादा प्रभावशाली होते है, सुबह दोपर और शाम। सुबह के वक्त सूर्य की स्तूति और अर्घ्य लाभकारी माना गया है। वहीं दोपहर को सूर्य की उपासना से घर में यश की वृद्धि होती है। सूर्यास्त से जीवन में संपन्नता आती है। शाम के वक्त सूर्य की दूसरी पत्नी प्रत्यूषा साथ में होती हैं। इनको अर्घ्य देने से तुरंत लाभ की प्राप्ति होती है। हालांकि दोपहर को सूर्य की उपासना कम ही लोग कर पाते हैं लेकिन सुबह शाम को सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में कई तरह की बाधाओं के आने से छुटकारा मिल जाता है।
सूर्य के दिखने के एक घंटे के भीतर अर्घ्य दे देना चाहिए। सूर्य को अर्घ्य देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की तरफ होनी चाहिए। अगर सूर्य कभी नजर ना आए तो इसी दिशा में मुख करके जल अर्घ्य दें। जल देने के बाद धूप, अगरबत्ती से भी पूजा करनी चाहिए। सामान्य दिनों में सूर्य को अर्घ्य देते समय आपके हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें शरीर पर पड़ती हैं।
ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि l तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।।
छठ पूजा
डाला छठ
छठी पूजा
डाला पूजा
छठ मैया पूजा
सूर्य षष्ठी
कातिकी छठ
चैती छठ
कार्तिक छठ
रवि षष्ठी
आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत नहाय खाय के साथ 31 अक्टूबर से हो चुकी है। आज खरना का दिन है। खरना का शुभ मुहूर्त शाम 5.10 से 6.41 और रात 8.18 से 9.52 बजे तक बन रहा है।
छठ मइया का पूजा मंत्र -ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं |अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||छठी मइया का प्रसाद - ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि छठ मइया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है।
छठ पर्व का पावन त्योहार बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत देश के कई इलाकों में मनाया जाता है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है। माना जाता है कि श्रृद्धापूर्वक छठ पूजा करने से जीवन में खुशहाली आती है और छठी मैया सभी की मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं। इस बार 31 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है जिसका समापन 3 नवंबर को होगा। जानिए छठ पर्व के मौके पर इन दिनों यूट्यूब पर Chhath Geet सर्च करने पर कौन-कौन से गाने हैं टॉप 5 लिस्ट में…Chhath Geet
छठ पूजा शनिवार, नवम्बर 2, 2019 को
सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन - 06:34 ए एम
सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन - 05:37 पी एम
षष्ठी तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 02, 2019 को 12:51 ए एम बजे
षष्ठी तिथि समाप्त - नवम्बर 03, 2019 को 01:31 ए एम बजे