ग्रहण को लेकर लोगों के मन में उत्सुकता रहती है। हर कोई इस खगोलीय घटना का नजारा देखना चाहता है। चंद्र ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के पश्चिम भाग, दक्षिण अमेरिका समेत और भी कुछ देशों में दिखाई देगा। वहीं भारत में भी कुछ जगहों जैसे ओडिशा और पश्चिम बंगाल में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगने जा रहा है। इसलिए इस राशि और नक्षत्र से जुड़े लोगों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। जानिए ग्रहण से संबंधित पूरी डिटेल…
कब लगेगा चंद्र ग्रहण? चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो चुका है और इसकी समाप्ति शाम 7 बजकर 19 मिनट पर होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की होगी। ये ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा। भारत में ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण के तौर पर देखा जाएगा।
चंद्र ग्रहण कैसे देखें? चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखना सुरक्षित माना गया है। ग्रहण के नजारे को अच्छे से देखने के लिए आप टेलिस्कोप की मदद भी ले सकते हैं। 26 मई को उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जिसे देखने के लिए खास सोलर फिल्टर चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) की आवश्यकता होगी। चंद्र ग्रहण का 5 राशियों पर शुभ प्रभाव, नौकरी-बिजनेस में होगी तरक्की, देखें आपकी राशि इसमें है या नहीं
कहां देखें लाइव? इस चंद्र ग्रहण को पॉपुलर यूट्यूब चैनलों पर देखा जा सकेगा। ग्रहण की लाइवस्ट्रीम करने वाले फेमस होस्ट Slooh और Virtual Telescope हैं।
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण? साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को लगेगा। ये चंद्र ग्रहण भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर के कई भागों में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण के समय भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये सभी कार्य, जानिए इस दौरान क्या करना जरूरी
उपच्छाया ग्रहण क्या है? दरअसल जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में होते हैं तब चंद्रग्रहण लगता है। इस प्रक्रिया में पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आकर सूर्य की किरणों को चंद्रमा पर पड़ने से रोक लेती है। जिससे चांद के रंग और आकार में बदलाव आ जाता है। वहीं उपच्छाया या पेनुम्ब्रा चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी आती तो जरूर है लेकिन ये तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। ऐसी स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर अंब्र (पृथ्वी के बीच के हिस्से की छाया) नहीं पड़ती। वहीं चांद के बाकी हिस्से में पृथ्वी के सिर्फ बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है। यानी चंद्रमा पर पृथ्वी की वास्तविक छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया ही पड़ती है। जिससे इस दौरान चंद्रमा पर केवल कुछ धुंधली सी छवि नजर आती है लेकिन इसके आकार और रंग में कोई अंतर नहीं होता। इसे ही उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं।
ग्रहण काल के दौरान बरतने वाली सावधानियां: ग्रहण के दौरान खाना पीना मना होता है। शुभ कार्यों और पूजा-पाठ पर पाबंदी होती है। ग्रहण के समय भगवान की मूर्तियों को छूना भी वर्जित होता है। इसलिए कई मंदिरों के कपाट ग्रहण का सूतक काल लगते ही बंद कर दिये जाते हैं। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने और धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल करने की मनाही होती है। ग्रहण काल में मन ही मन अपने ईष्ट देव की अराधना करनी चाहिए। साथ ही मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
क्या है ग्रहण का सूतक काल? ज्योतिष अनुसार उपच्छाया चंद्र ग्रहण का सूतक नहीं माना जाता है। क्योंकि इस ग्रहण को वास्तविक ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। ज्योतिष अनुसार सिर्फ उन्हीं ग्रहण का धार्मिक महत्व होता है जिन्हें खुली आंखों से देखा जा सके। वहीं जहां आंशिक चंद्र ग्रहण दिखेगा वहां सूतक के नियमों का पालन भी किया जाएगा।

Highlights
साल का पहला चंद्र ग्रहण आज...
देखिए चंद्र ग्रहण का खूबसूरत नजारा
साल का पहला चंद्रग्रहण अब शुरू हो चुका है। यह ग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण होगा जिसे पूर्वी भारत में देखा जा सकेगा। उपछाया चंद्रग्रहण होने के कारण इसका सूतककाल मान्य नहीं होगा। इसके बाद 10 जून को सूर्य ग्रहण होगा। हालांकि इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा।
– ग्रहण के समय किसी भी तरह के नये काम की शुरुआत न करें। – ग्रहण काल में सोने की भी मनाही होती है। – ग्रहण काल में शारीरिक संबंध भी नहीं बनाने चाहिए। – ग्रहण के दौरान दांतून करने, स्नान करने, बालों पर कंघी लगाने और मलमूत्र का त्याग करने से भी बचना चाहिए। – गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें और न ही इस दौरान धारदार वस्तुएं (जैसे चाकू, कैंची और छुरी) प्रयोग करें। – इस दौरन भोजन पकाना और बनाना दोनों ही मना होता है। हालांकि बुजुर्ग, रोगी एवं बच्चे जरूर पड़ने पर भोजन कर सकते हैं। – देवी-देवताओं की मूर्ति को न तो हाथ लगाएं और न ही तुलसी के पौधे को स्पर्श करें।
सूर्य ग्रहण घटित होने से ठीक 12 घंटे पहले से उस सूर्य ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाता है, जो सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के बाद समाप्त हो जाता है। वहीं चंद्र ग्रहण के दौरान ग्रहण शुरु होने से ठीक 9 घंटे पहले, उस चंद्र ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण समाप्त होने के साथ ही सूतक काल का भी अंत होता है।
उपछाया चंद्रग्रहण में चांद पर मात्र पृथ्वी की हल्की छाया पड़ती हुई दिखाई देती है। शाम के समय यह बंगाल और पूर्वी भारत के हिस्सों में कुछ ही देर के लिए देखा जा सकेगा। अगरतला, कोलकाता, चेरापूंजी, कूचबिहार, इंफाल, ईटानगर, गुवाहटी, मालदा, कोहिमा, लुमडिंग, पुरी, सिल्चर और दीघा में यह चंद्रग्रहण दिखाई दे सकता है।
आईएमडी के मुताबिक भारत में पूर्वोत्तर के हिस्सों (सिक्किम कोछोड़कर), पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओडिशा के कुछ तटीय इलाकों और अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में चंद्रोदय के ठीक बाद ग्रहण के आंशिक चरण का समापन कुछ देर के लिये नजर आएगा।
पूर्ण चंद्रग्रहण कई youtube चैनलों पर लाइव स्ट्रीमिंग भी देख सकते हैं। खासतौर पर timeanddate और cosmoSapiens पर।
चंद्रग्रहण का सूतक देश के अधिकांश भाग में मान्य नहीं होगा क्योंकि चंद्र ग्रहण कुछ ही भागों में दिखाई देगा। यहां चंद्रग्रहण आंशिक रूप में असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, पश्चिम बंगाल के अलावा उड़ीसा और झारखंड के कुछ भागों में भी दिखाई दे सकता है। जहां भी सूर्यास्त शाम 6 बजकर 23 मिनट से पहले हो जा रहा है वहां ग्रहण का सूतक मान्य होगा और लोगों को सूतक और ग्रहण संबंधी परंपराओं को निभाना होगा।
पूर्वी एशिया, प्रशांत महासागर, उत्तरी व दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों और ऑस्ट्रेलिया से पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा। भारत में यह चंद्रग्रहण उपछाया होगा जिस कारण से यह भारत के लोगों को चंद्रमा, पृथ्वी की छाया पड़ने के कारण धुंधला सा दिखाई देगा। लेकिन पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों के लोग आंशिक चंद्र ग्रहण का आखिरी हिस्सा ही देख पाएंगे।
चंद्र ग्रहण दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगा और इसकी समाप्ति 7 बजकर 19 मिनट पर होगी। ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की होगी। भारत समेत इस ग्रहण को दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, ओशिनिया, अलास्का, कनाडा और दक्षिण अमेरिका के कई भागों में देखा जा सकेगा।