साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लगा था और अब दूसरा चंद्र ग्रहण 05 जून को लगने जा रहा है। जून में ही 21 तारीख को सूर्य ग्रहण भी लगेगा। इस साल कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं। खास बात ये है कि ये दोनों ही ग्रहण भारत में दिखाई देंगे। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जिसकी शुरुआत 5 जून की रात 11:16 बजे से हो जायेगी और इसकी समाप्ति 6 जून को 02:32 मिनट पर होगी। ग्रहण रात 12:54 बजे अपने अधिकतम प्रभाव में हो सकता है। उपछाया चंद्र ग्रहण बहुत अधिक प्रभावशाली नहीं होता है, इस दौरान सूतक काल भी मान्य नहीं होता है।
जनवरी में पहला चंद्र ग्रहण लगा था। इस साल कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं। लेकिन ज्योतिषी मानते हैं कि 1 साल में 3 से ज्यादा ग्रहण का लगना किसी भी तरह से सही नहीं होता है। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून और 14-15 दिसंबर 2020 को लगेगा। वहीं 05 जून व 05 जुलाई और 30 नवंबर 2020 को भी ग्रहण लगने वाले हैं।
ग्रहण एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के लोग देख पायेंगे। हालांकि ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सामान्य चांद और ग्रहण में अंतर कर पाना मुश्किल होगा। ग्रहण के समय चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आयेगा। बल्कि इसकी छवि कुछ मलिन हो जायेगी। यानी चांद इस दौरान मटमैला सा दिखाई देगा। ज्योतिष अनुसार उपच्छाया चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होता। क्योंकि इसे वास्तविक ग्रहण नहीं माना गया है। ज्योतिष में उसी ग्रहण को गंभीरता से लिया जाता है जिसे खुली आंखों से देखा जा सके। 10 जनवरी को भी ऐसा ही चंद्र ग्रहण लगा था।
क्या होता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण: चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। जो तब घटित होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में स्थित रहें। तो वहीं उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान चंद्रमा पेनुम्ब्रा से हो कर गुजरता है। ये पृथ्वी की छाया का बाहरी भाग होता है। इस दौरान, चंद्रमा सामान्य से थोड़ा गहरा दिखाई देता है।
Chandra Grahan/Lunar Eclipse 2020 LIVE Updates: जानिए कब, कहां और कैसे देखें चंद्र ग्रहण लाइव
Highlights
चंद्र ग्रहण 5 जून की रात 11 बजकर 15 मिनट से प्रारंभ हुआ जो 2 बजकर 34 मिनट तक देखा गया। इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण की अवधि 3 घंटे 18 मिनट तक रही। अब अगला उपच्छाया चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को लगेगा।
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। जो तब घटित होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में स्थित रहें। तो वहीं उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान चंद्रमा पेनुम्ब्रा से हो कर गुजरता है। ये पृथ्वी की छाया का बाहरी भाग होता है। इस दौरान, चंद्रमा सामान्य से थोड़ा गहरा दिखाई देता है।
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है। इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना। यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता। उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है। यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी है।
एक मांद्य चंद्र ग्रहण भी होता है जो सामान्य चंद्र से अलग होता है। इस ग्रहण में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा तीनों एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं। इसमें पृथ्वी की केवल हल्की सी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसमें चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं है, बल्कि सामान्य आकार का दिखाई देता है।
Chandra Grahan 2020:
चंद्र या सूर्य ग्रहण काल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। शादी-शुदा लोगों को इस दौरान सहवास से भी बचना चाहिए। गुरुमंत्र के जाप से कष्ट दूर होते हैं। ग्रहण को खुली आंखों से न देखें। हालांकि चंद्र ग्रहण देखने से आंखों पर कोई बुरा असर नहीं होता।
ग्रहण के समय भगवान (चंद्रमा या सूर्य) को राहु ग्रसित करता है, जिससे भगवान अत्यंत कष्ट में रहते हैं। ऐसे समय में जब कोई भक्त पूजा-पाठ करता है, तो भगवान को इससे बल मिलता है और उनका कष्ट कम होता है। विद्वानों का कहना है कि ग्रहण के दौरान जितनी आराधना की जाए, उससे कई गुणा ज्यादा फल की प्राप्ति होती है। ग्रहण के समय जब आप पूजा-पाठ करते हैं, जो भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं। वहीं, ग्रहण के बाद दान-दक्षिणा से दोष और पाप का नाश होता है।
पुराने समय से भारतीय संस्कृति में ग्रहण के बाद नहाने की परंपरा है। माना जाता है कि ग्रहण के बाद नहाने से शुद्धिकरण हो जाता है। ग्रहण समाप्ति के बाद किसी तीर्थ स्थान या नदी तालाब सरोवर या घर में ही स्वच्छ पानी से स्नान करने के लिए कहा जाता है।
ग्रहण के दौरान भोजन को नहीं खाना चाहिए। मान्यता ये भी है कि ग्रहण में लगने वाले सूतक काल में खाना बनाना भी नहीं चाहिए। ग्रहण समाप्ति के बाद ही भोजन करना चाहिए। यदि भोजन ग्रहण के दौरान बना हुआ है तो उसे फेंकना नहीं चाहिए, बल्कि ग्रहण के पश्चात् उसमें तुलसी के पत्ते डालकर उसे शुद्ध करके ग्रहण करना चाहिए।
मांद्य चंद्र ग्रहण सामान्य चंद्र से भिन्न होता है। इसमें पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा ये तीनों एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं। बल्कि ऐसी स्थिति में होते हैं जहां से पृथ्वी की केवल हल्की सी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसमें चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं है, बल्कि सामान्य आकार का दिखाई देता है।
पेनुमब्रल को उपच्छाया चंद्र ग्रहण भी कहते हैं। जो उस स्थिति में बनता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया मात्र पड़ती है। ऐसा तब होता है जब चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में न आकर उसकी उपच्छाया से ही वापस लौट जाता है। वास्तविक चंद्र ग्रहण की तरह इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चांद के आकार पर कोई असर नहीं पड़ता और ना ही चंद्रमा का कोई भाग ग्रस्त होता दिखाई देता है। लेकिन चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है। ये ग्रहण विशेष तरह के उपकरणों से ही आसानी से समझा जा सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस ग्रहण को देखने के लिए किसी तरह के खास चश्मे की जरूरत नहीं है। आप नंगी आंखों से भी ये चंद्र ग्रहण देख सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ये पूरी तरह सुरक्षित है।
ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करें। जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करें। मंत्र जाप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभावों का असर नहीं पड़ेगा।
चंद्र ग्रहण का प्रारंभ – 5 जून की रात को 11 बजकर 15 मिनट से
परमग्रास चन्द्र ग्रहण – 6 जून को दिन के 12 बजकर 54 मिनट पर
उपछाया चंद्र ग्रहण से अन्तिम स्पर्श – 2 बजकर 34 मिनट पर
चंद्र ग्रहण का कुल समय – 3 घंटे और 18 मिनट
यह चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा। यह एक पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण होगा जिसमें आमतौर पर एक पूर्ण चंद्रम से अंतर करना मुश्किल होता है। इस चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 18 मिनट होगी। चंद्र ग्रहण 5 जून को रात 11:15 बजे से शुरू होगा। रात 12:54 बजे सबसे ज्यादा असर दिखाई देगा और 06 जून 02:34 बजे समाप्त हो जाएगा।
ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए। सूर्य या चन्द्र ग्रहण पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।
चंद्रमा मन का कारक है इस लिए जब ये ग्रसित होता है तो लोगों के मन में नकारात्मक विचार जरूर आते हैं। ग्रहणकाल के दौरान हर किसी को अपने चंद्रमा को बलवान करके की कोशिश जरूर करनी चाहिए। इससे मन पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं आ पाएगा। अपने आपको शुद्ध और पवित्र बनाए रखें। ग्रहणकाल के दौरान अपना और छोटे बच्चों का भी विशेष ध्यान रखें।
पेनुमब्रल को उपच्छाया चंद्र ग्रहण भी कहते हैं। जो उस स्थिति में बनता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया मात्र पड़ती है। ऐसा तब होता है जब चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में न आकर उसकी उपच्छाया से ही वापस लौट जाता है। वास्तविक चंद्र ग्रहण की तरह इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चांद के आकार पर कोई असर नहीं पड़ता और ना ही चंद्रमा का कोई भाग ग्रस्त होता दिखाई देता है। लेकिन चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है। ये ग्रहण विशेष तरह के उपकरणों से ही आसानी से समझा जा सकता है।
भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है।
ग्रहणकाल के दौरान अपना और छोटे बच्चों का भी विशेष ध्यान रखें। चंद्रमा मन का कारक है इस लिए जब ये ग्रसित होता है तो लोगों के मन में नकारात्मक विचार जरूर आते हैं। ग्रहणकाल के दौरान हर किसी को अपने चंद्रमा को बलवान करके की कोशिश जरूर करनी चाहिए। इससे मन पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं आ पाएगा। अपने आपको शुद्ध और पवित्र बनाए रखें।
चंद्र ग्रहण पूरी तरह से सुरक्षित होता है इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं। अगर आप टेलिस्कोप की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देगा। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही सही से देखा जा सकेगा।
आयुर्वेद की दृष्टि से, ग्रहण से दो घंटे पहले हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है. ग्रहण के दौरान कुछ भी न खाएं और न ही पीएं.
यह चंद्रग्रहण ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि पर लगेगा और यह उपछाया ग्रहण होगा। ग्रहण 5 जून की रात को 11 बजकर 15 मिनट से लगना आरंभ होगा जो अगले दिन रात के 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। ग्रहण के दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में भ्रमण करेगा। उपछाया में पूर्ण चंद्र ग्रहण नहीं होता है इसमें चंद्रमा सिर्फ धुंधला दिखाई पड़ता है इस कारण से इसको चंद्र मालिन्य भी कहा जाता हैं। इसलिए इस चंद्रग्रहण को उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं।
गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए। चंद्र ग्रहण देखने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कैंची, चाकू आदि से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दिन बहुत से काम करना मना है। अगर कोई व्यक्ति उन नियमों को तोड़ता है, तो उससे उसका जीवन प्रभावित होता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा, सूतक काल ग्रहण लगने पहले ही शुरू हो जाता है. इस समय खाने पीने की मनाही होती है। ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए। इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए।
चंद्रमा मन का कारक है इस लिए जब ये ग्रसित होता है तो लोगों के मन में नकारात्मक विचार जरूर आते हैं। ग्रहणकाल के दौरान हर किसी को अपने चंद्रमा को बलवान करके की कोशिश जरूर करनी चाहिए। इससे मन पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं आ पाएगा। अपने आपको शुद्ध और पवित्र बनाए रखें। ग्रहणकाल के दौरान अपना और छोटे बच्चों का भी विशेष ध्यान रखें।
चंद्र ग्रहण एक खगोलीय स्थिति है. जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है. जब पृथ्वी सूर्य की किरणों को पूरी तरह से रोक लेती है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं लेकिन जब चंद्रमा का सिर्फ एक भाग छिपता है तो उसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं.
चंद्र ग्रहण देखना पूरी तरह से सुरक्षित होता है, इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं. ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही सही से देखा जा सकेगा. अगर आप टेलिस्कोप की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देगा. साथ ही आप यूट्यूब पर कई चैनलों के माध्यम से भी इस ग्रहण का लाइव नजारा देख पाएंगे...
पेनुमब्रल को उपच्छाया चंद्र ग्रहण भी कहते हैं। जो उस स्थिति में बनता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया मात्र पड़ती है। ऐसा तब होता है जब चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में न आकर उसकी उपच्छाया से ही वापस लौट जाता है। वास्तविक चंद्र ग्रहण की तरह इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चांद के आकार पर कोई असर नहीं पड़ता और ना ही चंद्रमा का कोई भाग ग्रस्त होता दिखाई देता है। लेकिन चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है। ये ग्रहण विशेष तरह के उपकरणों से ही आसानी से समझा जा सकता है।
ग्रहण काल के समय भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये शरीर के लिए नुकसानदायक माना गया है। घर में पके हुए भोजन में सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता।
पहला ग्रहण 5/6 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण यूरोप, भारत सहित एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा।
दूसरा ग्रहण 21 जून को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण भारत सहित एशिया के कई दूसरे राज्यों, यूरोप और अफ्रीका में भी दिखेगा।
वहीं तीसरा 4/5 जुलाई को लगने जा रहा चंद्र ग्रहण अफ्रीका और अमेरिका में नजर आएगा।
कई यूट्यूब चैनल ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग करते हैं. स्लूह (Slooh) और वर्चुअल टेलिस्कोप (Virtual Telescope) चैनल इस घटना को लाइव स्ट्रीम करते हैं. आप यहां जाकर लाइव देख सकते हैं.
ज्योतिर्विदों का कहना है कि इस ग्रहण काल का असर मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, तुला, मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों पर सबसे ज्यादा होगा. जानिए सभी राशियों पर चंद्र ग्रहण का कैसा रहेगा प्रभाव
चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए आपको चंद्र ग्रह के बीज मंत्र ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः का 108 बार जाप करना चाहिए। इसके अलावा चंद्र ग्रहण के पश्चात चावल और सफेद तिल का दान करें और अपने से बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लें।
आयुर्वेद की दृष्टि से, ग्रहण से दो घंटे पहले हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन खाने की सलाह दी जाती है. ग्रहण के दौरान कुछ भी न खाएं और न ही पीएं.
उपच्छाया के कारण सामान्य तौर पर दिखने वाले चांद और ग्रहण के दौरान दिख रहे चांद में बहुत अंतर या फर्क नहीं दिखेगा। ग्रहण के दौरान चांद के आकार में बहुत परिवर्तन नहीं दिखेगा, बल्कि चांद के रंग में अंतर नजर जरूर आएगा। इसकी छवि मलिन होने के साथ ही चांद मटमैला दिखेगा।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि चंद्र ग्रहण के दौरान या चंद्र ग्रहण को सीधे तौर पर देखना, आपकी आंखों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता. जबकि, सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर यह आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है.हमेशा सूर्यग्रहण को खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों से देखें. इन्हें सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस कहा जाता है.
इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। क्योंकि ये एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष अनुसार इसे ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता। जिस कारण न तो ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा और न ही किसी भी तरह के काम करने में कोई पाबंदी होगी।
इससे पहले 10 जनवरी को ऐसा ग्रहण लगा था। और आने वाले समय में 5 जुलाई और 30 नवंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण भी ऐसे ही होंगे। यानी इस साल लगने वाले सभी चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण हैं। 5 जुलाई को लगने वाला ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा।
Space.com की रिपोर्ट के अनुसार, जून का फुल मून 5 और 6 जून को पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण के साथ आ रहा है। यह भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों से दिखाई देगा, हालांकि, उत्तरी अमेरिका और अधिकांश दक्षिण अमेरिका इसे नहीं देख पाएंगे। जून में आने वाले फुल मून का नाम स्ट्रॉबेरी मून भी होता है, क्योंकि यह यूएस के कुछ हिस्से में स्ट्रॉबेरी की कटाई के मौसम के समय आता है।