साल 2020 का दूसरा चंद्रग्रहण 5 जून को लगने जा रहा है। खास बात ये है कि इस ग्रहण को भारतवासी भी देख सकेंगे। ग्रहण की शुरुआत 5 जून की रात 11:16 PM से हो जायेगी और इसकी समाप्ति 06 जून को 02:32 AM पर होगी। ये उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा जो रात 12 बजकर 54 मिनट पर अपने पूर्ण प्रभाव में रहेगा। आपको बता दें कि चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य वर्जित माने गये हैं। जानते हैं कि पूरी दुनियां में ग्रहण को लेकर क्या हैं मान्यताएं…
हिंदू मान्यताओं के अनुसार ग्रहण को राहू और केतु से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है कि इन दोनों ग्रहों की सूर्य और चंद्रमा से दुश्मनी होने के कारण ये वक्त वक्त पर सूर्य और चंद्रमा को निगल लेते हैं। कथा के अनुसार बात समुद्र मंथन के समय की है। जब समुद्र से निकले अमृत को देवताओं के साथ राक्षस भी पाना चाहते थे। जबकि अमृत पर देवताओं का अधिकार था। भगवान विष्णु ने अमृत का पान देवताओं को कराने के लिए मोहिनी रूप धारण किया। मोहिनी से मोहित होकर देवता और दानव उसकी बात मानकर एक लाइन में बैठ गए। मोहिनी रूप में भगवान विष्णु ने पहले देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया। एक राक्षस को शक हुआ तो वह देवताओं की कतार में जाकर बैठ गया ताकि अमृत उसे भी मिल जाए। सूर्य और चंद्रमा ने राक्षस राहू की शिकायत विष्णु जी से कर दी और इससे पहले की अमृत राहू के मुख से नीचे उतरता विष्णु जी ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। इसी दिन से राहू का सिर और धड़ (केतु) सूर्य और चंद्रमा को अपना दुश्मन समझते हैं।
स्वपन शास्त्र: अगर ऐसे सपने आ रहे हैं तो समझ जाइए हो सकता है धन लाभ
अमेरिका में इन्का साम्राज्य के लोगों का मानना है कि चंद्र ग्रहण के दौरान एक तेंदुआ चांद पर हमला करता है और उसे खाने की कोशिश करता है, जिस कारण चंद्र ग्रहण के दौरान चांद लाल रंग का दिखाई देता है। इसके बाद चांद धरती पर आकर उसे भी खाने की कोशिश करता है। इसी कारण यहां के लोग तेंदुए से बचने के लिए तेज आवाजें निकालते थे और अपने भालों को आसमान की तरफ जोर जोर से हिलाते थे। उसके बाद यहां के लोग कुत्तों को भी पीटते थे ताकि तेंदुआ डर कर भाग जाए।
अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाले मूल हूपा यह मानते हैं कि चांद इस दौरान जख्मी हो जाता है। ग्रहण के बाद चांद को उपचार की जरूरत होती है। ये उपचार चांद की पत्नी और आदिवासी लोग करते हैं। इसी कारण लुइसेनो आदिवासी ग्रहण के समय चांद के स्वस्थ होने की कामना से गीत गाते हैं।
अफ्रीका में बाटामालिबा के लोग मानते हैं कि चंद्र ग्रहण का मुख्य कारण सूरज और चाँद के बीच की लड़ाई है। उनका मानना है कि लोगों को इस झगड़े को खत्म कराने की कोशिश करनी चाहिए। इसी कारण वहां के लोग इस दौरान पुराने झगड़ों को भुलाने की कोशिश करते हैं। यह परंपरा वहां आज भी जारी है।