Chanakya Neeti on Hypertension: चाणक्य की नीतियों की आज के समय में काफी ज्यादा डिमांड है। संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की कोटि में चाणक्य नीति का सबसे विशेष स्थान माना जाता है। क्योंकि इसमें सूत्रात्मक शैली में जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए कई बातें बताई गईं हैं। जिसका मुख्य विषय मानव समाज को जीवन के हर एक पहलू की व्यावहारिक शिक्षा देना है। इस नीतिपरक ग्रंथ में जीवन-सिद्धान्त और जीवन-व्यवहार का बड़ा ही सुन्दर समन्वय देखने को मिलता है। यहां आप जानेंगे कि आखिर वो कौन सी 3 परिस्थितियां हैं जिसमें इंसान को सबसे ज्यादा दुख भोगना पड़ता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं – (Aacharya Chanakya)
कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम्।
कष्टात् कष्टतरं चैव परगेहे निवासनम्।।
अर्थात- मूर्खता कष्ट है, यौवन भी कष्ट है, किन्तु दूसरों के घर में रहना कष्टों का भी कष्ट है।
मूर्ख होना किसी भी इंसान के लिए सबसे बड़ा दुख: चाणक्य ने मूर्खता को दुख का कारण बताया है। यदि कोई मूर्ख है तो वह कभी भी अपने जीवन में सुखी नहीं रह सकता है। बेवजह की चिंताओं (Depression and Tension) में ग्रस्त रहकर अपना जीवन नष्ट कर लेता है। मूर्ख व्यक्ति जीवन में किसी भी कार्य में उन्नति नहीं कर सकता। उसे अज्ञान को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
जवानी भी दुख का बन सकती है कारण: चाणक्य अनुसार जवानी यानि युवा अवस्था भी दुख का एक कारण बन जाती है। क्योंकि ये उम्र का ऐसा पढ़ाव होता है जब व्यक्ति में जोश और क्रोध होता है। कोई व्यक्ति तो अपने जोश का सही इस्तेमाल लक्ष्यों को प्राप्त करने में कर लेता है तो कई जोश में होश गवांकर अपना जीवन मुश्किलों में डाल देते हैं।
किसी और के घर में रहना दुख का होता है कारण: चाणक्य ने किसी और के घर में रहना सबसे बड़ा दुख बताया है। क्योंकि पराए घर में रहने से कई प्रकार की मुश्किलें हमेशा बनी रहती हैं। दूसरे के घर में रहने से आपकी आजादी खत्म हो जाती है। जिससे व्यक्ति अपनी मर्जी से कोई कार्य नहीं कर पाता है।