Chanakya Neeti: चाणक्य नीति पुस्तक में धन से संबंधित कई नीतियां बताई गई हैं जिनमें से एक है ‘त्यजन्ति मित्राणि धनैर्विहीनं दाराश्च पुत्राश्च सुहृज्जनाश्च। तं अर्थवन्तं पुनराश्रयन्ति अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः॥’इसका मतलब है कि जब तक किसी इंसान के पास सब तरह के सुख साधन होते हैं, यानी वह धन धान्य से परिपूर्ण है तब तक तो उसका साथ सब लोग देते हैं। लेकिन जैसे ही उसके पास से धन समाप्त होता जाता है तो उसके प्रिय लोग भी उससे दूर भागने लगते हैं। जानें पैसों को लेकर और क्या कहती है चाणक्य की नीतियां…
– चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को बुरे दिनों के लिए धन की बचत करके रखनी चाहिए और अपनी महिला की रक्षा हर हालत में करनी चाहिए भले ही उसको अपने बचत के पैसे भी खर्च क्यों न करने पड़े।
– धन संपत्ति जीवन का एक ऐसा महत्वपूर्ण भाग है जो आपको सम्मान दिलाता है और आपको आपदाओं से जुझने में समर्थ बनाता है।
– ध्यान रखें कि ऐसे देश या क्षेत्र, जहां पर आपको रोजगार, इज्जत, शुभ चिंतक और शिक्षा न मिले ऐसी जह पर रहने का कोई फायदा नहीं है। अत: जहां पर समृद्ध व्यापारी, शिक्षित ब्राह्मण, सैनिक, नदी और चिकित्सक न हो ऐसी जगह पर एक दिन भी नहीं रुकना चाहिए।
– चाणक्य अनुसार व्यक्ति धन या पैसा कमाता है तो उसका सदुपयोग करना चाहिए। काफी लोग धन को अत्यधिक संग्रहित करके रखते हैं, उसका उपयोग नहीं करते हैं। आवश्यकता से अधिक धन का संग्रहण अनुचित है। इसलिए धन का दान करना चाहिए और सही कार्यों में धन को निवेश करना चाहिए।
– चाणक्य कहते हैं कि इस संसार में धन ही मनुष्य का बन्धु है। धन ही इस संसार में व्यक्ति का मित्र होता है। क्योंकि धन के होने पर सबका साथ मिलता है।
– चाणक्य का मानना है कि अनैतिक और गलत तरीके से कमाए गए धन का हाल बुरा ही होता है। मनुष्य को सदैव नैतिक कार्यों के माध्यम से ही धनोपार्जन करना चाहिए। वही धन उसको फल देता है।
– शास्त्रों अनुसार दान एक अच्छा कर्म बताया गया है। लेकिन ध्यान रखें कि अत्यधिक सुंदरता के कारण सीता का अपहरण हुआ, अति घमंड की वजह से रावण मारा गया और अत्यंत दानवीरता की वजह से बाली को बहुत कष्ट हुआ। इसलिए दान हमेशा अपनी सीमा में रहकर ही करें।