Chaitra Navratri 2020: चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होने जा रहा है और इसी दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी हो जायेगी। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। 25 मार्च से शुरू होने वाले नवरात्रि में मां दुर्गा नाव पर चढ़कर आएंगी। माता की इस सवारी का मतलब है कि इस साल खूब वर्षा होगी। बाढ़ की वजह से जन धन का नुकसान भी हो सकता है। जबकि माता की विदाई हाथी पर हो रही है ये भी अच्छी वर्षा का सूचक है।

माता के वाहन से आने वाले साल की स्थिति का आकलन किया जाता है। नवसंवत् 2077 की शुरुआत बुधवार से हो रही है जिस कारण इस नये साल के राजा बुध और मंत्री चंद्रमा होंगे। जो यह बताता है कि आने वाले साल में अर्थव्यवस्था को संभलने का मौका मिलेगा। नवरात्रि का समापन 02 अप्रैल को होगा। इस बार नवरात्रि की तिथि में क्षय नहीं है जिस कारण पूरे नौ दिन मिलेंगे मां दुर्गा की उपासना के। इसी के साथ कई प्रकार के शुभ योग भी बन रहे हैं। इन योगों में मां दुर्गा की उपासना विशेष रूप से फलदायी मानी जा रही है। चैत्र नवरात्रि में चार सर्वार्थ सिद्धि योग, 5 रवि योग और एक गुरु पुष्य योग रहेगा।

नवरात्रि के पहले दिन होती है घट स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना करने की परंपरा है और नवरात्रि के नौ दिनों तक ये कलश स्थापित रहता है। कहा जाता है कि कलश की स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। इस बार प्रतिपदा तिथि नवरात्रि के एक दिन पहले दोपहर से शरू हो रही है। जिस कारण घट स्थापना के लिए बहुत ही कम समय मिल रहा है। अगर किसी कारण शुभ मुहूर्त में आप कलश स्थापित न कर पाएं तब आप अभिजीत मुहूर्त देखकर ही ये काम करें।

घट स्थापना मुहूर्त:
कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त: 06:00 ए एम से 06:57 ए एम। इसकी कुल अवधि 56 मिनट की है। यानी एक घंटे से भी कम समय है कलश स्थापना करने के लिए।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – मार्च 24, 2020 को 02:57 पी एम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – मार्च 25, 2020 को 05:26 पी एम बजे