Chaitra Maha Ashtmi Puja Date, Vidhi and Importance: इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 25 मार्च से हुई है। 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना होती है। चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन यानि कि अष्टमी को दुर्गा मां के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। इस बार अष्टमी 1 अप्रैल को है, इस दिन भक्त देवी की पूजा के बाद कन्या पूजन भी करते हैं। मां महागौरी परम कल्याणकारी और मंगलकारी हैं। ये ममता की मूरत हैं और भक्तों की सभी जरूरतों को पूरा करने वाली हैं। महागौरी की अराधना करने से पूर्व जन्म के पाप नष्ट होते हैं। इसके साथ ही इस जन्म के दुख, दरिद्रता और कष्ट भी मिट जाते हैं। आइए जानते हैं कि महा अष्टमी पर कैसे की जानी चाहिए देवी मां की पूजा-
ऐसे पूजा करने से मिलेगा मां का आशीर्वाद: सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें। मां सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं। हाथ में सफेद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं और उन्हें फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें। इसके बाद देवी मां की आरती उतारें। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए नहीं तो 2 कन्याओं की पूजा करें। कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से अधिक न हो। कन्याओं को दक्षिणा देने के बाद उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें।
क्या है महा अष्टमी पूजा का महत्व: देवी महागौरी की पूजा करने से कुंडली का कमजोर शुक्र मजबूत होता है। इसी वजह से शादी-विवाह में आई रुकावटों को दूर करने के लिए महागौरी का पूजन किया जाता है। महागौरी को पूजने से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है, साथ ही पारिवारिक कलह क्लेश भी खत्म हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए देवी महागौरी की ही पूजा की थी। विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है।
इस वजह से नाम पड़ा महागौरी: भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं।
महा अष्टमी पूजा पर कैसे करें कन्या पूजन: महाअष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। कुछ लोग अष्टमी के दिन और कुछ नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। परिवार की रीति के अनुसार किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है। 2 से 10 साल तक आयु की कन्याओं के साथ ही एक लांगुरिया (छोटा लड़का) को खीर, पूरी, हलवा, चने की सब्जी आदि खिलाया जाता है। कन्याओं को तिलक करके, हाथ में मौली बांधकर, गिफ्ट दक्षिणा आदि देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। उसके बाद फिर उन्हें विदा कर दिया जाता है।

