नवरात्रि (Navratri) में कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। बिना इसके नवरात्रि पूजा या फिर व्रत पूरा नहीं माना जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की विधि विधान पूजा कर आठवें नवरात्रि या फिर नौवें नवरात्रि के दिन कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोग लगाया जाता है। धर्म ग्रन्थों के अनुसार 3 साल से लेकर 9 साल तक की कन्याओं को माता का स्वरूप माना गया है। नवरात्रि में आप 1 से लेकर 9 कन्याओं तक का पूजन कर सकते हैं।

शास्त्रों में एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की पूजा से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है। कन्या पूजन अष्टमी या नवमी किसी भी दिन किया जा सकता है।

दो साल की कन्या कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छ: साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा मानी जाती हैं।

कन्या पूजन की सही विधि: कन्या पूजन के लिए सबसे पहले कन्याओं का पैर धुलें फिर उन्हें एक साफ आसन पर बैठायें। उनके हाथों में मौली बांधे और माथे पर रोली का टीका लगाएं। दुर्गा मां को उबले हुए चने, हलवा, पूरी, खीर, पूआ व फल का भोग लगाया जाता है। यही प्रसाद कन्याओं को भी भोजन स्वरूप खिलाया जाता है। कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें दक्षिणा भी दी जाती है। इसी के साथ कन्याओं को लाल चुन्री और चूड़ियां भी चढ़ाएं। इस तरह विधि विधान कन्याओं का पूजन करने के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। कई जगह कन्याओं को भोजन कराने वाले लोग आशीर्वाद स्वरूप उनकी थपकी लेते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि कन्याओं के साथ एक लांगूर भी होना चाहिए। माना जाता है कि लांगूर यानी छोटे लड़के के बिना पूजा पूरी नहीं मानी जाती।

कोरोना लॉकडाउन का पालन करते हुए जानिए कैसे करें कन्या पूजन