भाई दूज का पर्व इस बार 6 नवंबर को मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग अनुसार ये पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को घी का टीका लगाती हैं और उनके खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। भााई अपनी बहन को कुछ न कुछ उपहार भेंट करते हैं। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। क्योंकि इस पर्व की कहानी मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ी है। जानिए भाई दूज पर टीका करने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और इस पर्व का महत्व।
भाई दूज 2021 मुहूर्त (Bhai Dooj 2021 Muhurat):
भाई दूज पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:10 PM से 03:21 PM तक रहेगा।
भाई दूज का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
द्वितीया तिथि की शुरुआत 05 नवम्बर को 11:14 PM बजे पर हो जाएगी।
द्वितीया तिथि की समाप्ति 06 नवम्बर को 07:44 PM पर होगी।
भाई दूज पूजा थाली ऐसे करें तैयार: थाली में सिंदूर, फूल, साबुत चावल के कुछ दाने, चांदी का सिक्का, पान का पत्ता, सूखा नारियल यानी गोला, फूल माला, कलावा, मिठाई, दूब घास और केला रखें।
इस तरह करें पूजा: बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान कर भगवान विष्णु और गणेश जी की अराधना करें। इस दिन भाई के हाथों में सिंदूर और चावल का लेप लगाया जाता है। उसके बाद भाई के हाथों में पान के पांच पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का रखा जाता है। फिर भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है। बहन कलावा बांधते हुए भाई की दीर्घायु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए मंत्र पढ़ती है। कहीं कहीं बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं। फिर इसके बाद कलावा बांधती हैं। मिठाई या माखन मिश्री से भाई का मुंह मीठा किया जाता है। कई जगह इस दिन शादीशुदा बहन के घर भाई जाकर भोजन करते हैं और उन्हें उपहार देते हैं।
भाई दूज मंत्र: भाई दूज के दिन टीका करते समय बहन को भाई के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।।
भाई दूज क्यों मनाई जाती है? पौराणिक मान्यताओं अनुसार यमुना के अनेकों बार अपने घर बुलाने के बाद यमराज इस दिन उनके घर गए थे। अपने भाई के आने की खुशी में यमुना ने यमराज को तरह-तरह के पकवानों का भोजन कराया और तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से कोई वरदान मांगने को कहा तो ऐसे में यमुना ने कहा कि आप हर साल इसी दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मेरे घर आना और जो बहन इस दिन अपने भाई को तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं रहेगा। कहते हैं तभी से भाई दूज की शुरुआत हुई।
सूर्य की पत्नी संज्ञा से दो संताने थीं। पुत्र का नाम यमराज और पुत्री का नाम यमुना था। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उन्हें ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहाँ से चली गई। छाया को यम और यमुना से अत्यधिक लगाव नहीं था, लेकिन यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं। यमुना अपने भाई यमराज के यहां प्राय: जाती और उनके सुख-दुख की बातें पूछा करती और तथा यमुना, यमराज को अपने घर पर आने के लिए भी आमंत्रित करतीं, किंतु व्यस्तता तथा अत्यधिक दायित्व के कारण वे उसके घर न जा पाते थे।
एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक जा पहुंचे। बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया।बहन यमुना ने अपने भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया। विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए और उन्हें भोजन कराया तथा तिलक लगाया. यमराज ने चलते वक्त बहन यमुना से मनवांछित वरदान मांगने को कहा।
यमुना ने कहा कि यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रत्येक वर्ष आप मेरे यहां आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार किया करेंगे। इसी प्रकार जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाये, उसे आपका भय न रहे। इसी के साथ उन्होंने यह भी वरदान दिया कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो वे यमराज के प्रकोप से बच पाएंगे. यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया। तभी से इस दिन भाई दूज के नाम से मनाया जाता है।
फ़िक्र है, हर गली में जिक्र है,
आ रहा है भाई बहन से मिलने,
लेकर प्रेम और उपहार,
चलो बहनों करें भाई का सत्कार.
भाई दूज 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं।
भाई और बहन शिव जी को जल अर्पित करें। साथ ही किसी निर्धन को केले का दान करें। तुला राशि के जातक अपनी बहनों को सुगंधित इत्र गिफ्ट कर सकते हैं।
मान्यताओं अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के अनेकों बार बुलाने के बाद उनके घर गए थे। यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। प्रसन्न होकर यमराज ने बहन यमुना से वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे आपका भय नहीं रहेगा. यमराज ने यमुना को आशीष प्रदान किया। कहते हैं इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।
मेष- भाई दूज के दिन बहनें भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें. भगवान शिव की आराधना से भाई के सिर से बुरी बलाओं का साया दूर होगा।
- भैया दूज के दिन व्रत रखकर सुबह नहाकर नए वस्त्र धारण करें।
- तांबे या पीतल के लोटे में गंगाजल रखें और इसमें अक्षत और फूल डालकर सूर्य को जल अर्पण करें और व्रत की शुरूआत करें।
- इसके बाद घर या आंगन में आटे का चौक बनाएं और शुभ मुहूर्त में अपने भाई को चौक पर बिठाएं।
- सबसे पहले भाई के हाथों की पूजा करें। इसके लिए भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं और फिर हाथ पर रोली, पान, सुपारी और फूल सहित पूजा की अन्य सामग्री रखें।
- सबसे आखिर में भाई के हाथों पर पानी अर्पण कर मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद भाई के माथे पर चंदन, चावल और रोली का टीका लगाएं और भाई को मिठाई खिलाकर खुद भी खाएं।
- सूर्यास्त के बाद यमराज के नाम का चौमुखी दीया जलाकर घर से बाहर रखें। ऐसा करने से भाई की उम्र लंबी होती है।
- भाई को तिलक लगाते समय यह मंत्र पढ़ें-गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज कोसुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें।
भाई और बहन मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें। साथ ही इस खास मौके पर उन्हें सफेद मिठाई का दान भी करें। इस त्योहार पर सिंह राशि के जातक अपनी बहनों को गर्म वस्त्र गिफ्ट कर सकते हैं।
बहनें उपाय के रूप में सबसे पहले ठाकुर जी का तिलक करें और इसके बाद भाई का तिलक करें। इससे निश्चित ही भाई के जीवन में संघर्ष कम होंगे।
भाई दूज पर बहनों को यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज पर बाहर रखना चाहिए। यह उपाय करने से भाई के जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं।
- भाई दूज के दिन बहन के बनाए भोजन का अपमान न करें।
- भाई बहन को इस दिन आपस में झगड़ा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
- बहन को भाई द्वारा दिए गए उपहार को प्रेम पूर्वक लेना चाहिए। इसका निरादर नहीं करना चाहिए।
भाई दूज का त्योहार 6 नवंबर 2021, शनिवार के दिन है। इस दिन शुभ मुहुर्त में ही तिलक करना चाहिए। भाई दूज के दिन तिलक करने का शुभ मुहुर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।
भाई और बहन सूर्य भगवान को जल अर्पित करें. साथ ही किसी निर्धन को गुड़ का दान करें. इस राशि के भाई अपनी बहनों को प्लांट (पौधे) गिफ्ट में दें। ऐसा करना काफी शुभ होता है।
भाई दूज के दिन जो बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं उन्हें तिलक से पहले भोजन नहीं करना चाहिए. तिलक लगाने के बाद भाई के साथ भोजन ग्रहण करें.
यमराज के नाम का चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज के बाहर रख दें। यह उपाय अपनाने से भाई के जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
भैया दूज के दिन बहनों का भाई का तिलक करते समय काले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
भाई दूज के दिन बहनों को अपने भाई से पहले ठाकुर जी का तिलक करना चाहिए। इससे भाई के जीवन का संघर्ष कम होता है।
गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े।
भाई दूज के मौके पर यमुना में नहाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई की उम्र लंबी होती है।
भाई दूज के दिन भाई को अपने हाथ से बना खाना खिलाना चाहिए। क्योंकि मृत्यु के देवता यम ने भी इस दिन अपने बहन के घर गए थे।
भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन के लिए आये थे। तभी से यह त्योहार मनाया जाता है।
भाई दूज अपराह्न समय- 01:10 PM से 03:21 PMअवधि - 02 घण्टे 11 मिनटद्वितीया तिथि प्रारम्भ- 05 नवम्बर 2021 को 11:14 पी एम बजेद्वितीया तिथि समाप्त - 06 नवम्बर 2021 को 07:44 पी एम बजे
-भाई दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है।-फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है।-चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है।-फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक लगाती हैं।-तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है।-फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं।