भाई दूज या भैया दूज का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। दिवाली के दो दिन बाद होने वाला इस पर्व को बहन भाई के प्रेम का प्रतीक माना गया है। इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं। भैय्या दूज पर बहनें अपने भाइयों को टीका करके उनकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। इस बार भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:12 बजे से 03:26 बजे तक रहेगा। जानिए भाई दूज की पूजा विधि और कथा…
भाई दूज पूजा विधि : (Bhaiya Dooj, Bhai Dooj Puja Vidhi)
इस दिन भाई बहन को यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। क्योंकि यमुना मृत्यु देवता यम की बहन मानी जाती है। लेकिन अगर यमुना में स्नान कर पाना संभव न हो तो घर पर सुबह उठकर स्नान कर तैयार हो जाएं। सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। इसके बाद बहन अपने भाई को घी और चावल का टीका लगाती हैं। फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला भी रखती हैं। फिर भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है और उनका मुंह मीठा किया जाता है। इसके बाद बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
भाई दूज की कथा : सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर माँगने को कहा।
ब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज ‘तथास्तु’ कहकर यमपुरी चले गए।
ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।
मान्यता है कि भाई दूज के दिन भाई को अपने घर पर भोजन नहीं करना चाहिए, दोष होता है। यदि बहन के घर जाना सम्भव ना हो तो किसी नदी किनारे या गाय को बहन मानकर उसके पास खाना खाएं। भाई दूज के दिन बहन जो भी बनाए उसे खा लेना चाहिए, भोजन का निरादर कतई वर्जित है।
भाई दूज का पर्व दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन विवाहिता बहनें भाई बहन अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित करती है, और गोबर से भाई दूज परिवार का निर्माण कर, उसका पूजन अर्चन कर भाई को प्रेम पूर्वक भोजन कराती है। बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उसकी लम्बी उम्र की कामना करती है। भाई दूर से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं जिनके आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग तरह ये मनाया जाता है।
भाई दूज मंगलवार, अक्टूबर 29, 2019 को
भाई दूज अपराह्न समय - 01:12 पी एम से 03:26 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 14 मिनट्स
द्वितीया तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 29, 2019 को 06:13 ए एम बजे
द्वितीया तिथि समाप्त - अक्टूबर 30, 2019 को 03:48 ए एम बजे
भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि जब अपराह्न (दिन का चौथा भाग) के समय आये तो उस दिन भाई दूज मनाई जाती है। यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि लग जाती है तो भाई दूज अगले दिन मनाने का विधान है।
मथुरा में बहन का हाथ पकड़ यमुना में डुबकी की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन को यमलोक के कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं, पूर्वांचल के कई इलाकों में महिलाएं रूई में बेसन लगाकर मालाएं बनाती हैं। मान्यता है कि माला जितनी लंबी होगी, भाई की उम्र उतनी लंबी होगी।
सुबह उठकर स्नान कर तैयार हो जाएं। सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। इसके बाद बहन अपने भाई को घी और चावल का टीका लगाती हैं। फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला भी रखती हैं। फिर भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है और उनका मुंह मीठा किया जाता है। इसके बाद बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
द्वितीया तिथि मंगलवार सुबह 6: 13 बजे से बुधवार सुबह 3: 48 बजे तक रहेगी।
पूजन मुहूर्त मंगलवार दोपहर 1: 11 बजे से दोपहर 3: 25 बजे तक
शास्त्रों के अनुसार भाई दूज का त्योहार सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले द्वितीया तिथि में मनाना चाहिए। शाम 5 बजकर 38 मिनट पर सूर्यास्त हो जाएगा। इस समय से पूर्व यह त्योहार शुभ चौघड़िया में मनाना चाहिए।
भाई दूज मंगलवार, अक्टूबर 29 को
भाई दूज अपराह्न समय - 01:12 पी एम से 03:26 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 14 मिनट्स
द्वितीया तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 29, 2019 को 06:13 ए एम बजे से
द्वितीया तिथि समाप्त - अक्टूबर 30, 2019 को 03:48 ए एम बजे तक
सुबह 10.41 बजे से 12.05 बजे तक चौघड़िया मुहूर्त है। इस दौरान पूजन करना उत्तम रहेगा। इसके बाद 1.30 बजे तक अमृत चौघड़िया में भी त्योहार मना सकते हैं। अंतिम शुभ चौघड़िया 2.50 बजे से 4.14 बजे तक है।
भाई दूज पर इस बार तिलक का शुभ मुहूर्त सुबह में नहीं बल्कि दोपहर एक बजकर 11 मिनट से तीन बजकर 23 मिनट तक है। बहनों के लिए इस बार दूज का व्रत थोड़ा कठिन होगा क्योंकि वह भाई को तिलक और आरती के बाद ही कुछ खाती हैं। इससे पहले वह पूजा की थाली सजा लें जिसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री रख लीजिए। तिलक करने से पूर्व बहनों को चावल के मिश्रण से एक चौक बना लेना चाहिए।
मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया की तिथि के दिन सूर्य की पुत्री यमुना ने अपने भाई यमदेव को घर पर सत्कारपूर्वक बुलाया और भोजन कराया था। इससे वह पाप मुक्त होकर सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए। तभी से यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से प्रख्यात हो गई। यदि उस तिथि को भाई अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन ग्रहण करता है तो उसे धन की प्राप्ति होती है।
जैसा कि पता है भाई दूज भाई-बहन के प्यार के प्रतीक का त्योहार है। इसदिन बहनें अपने भाई के लिए उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं लिहाजा इसे पूरे मनोयोग से मनाती हैं। इसकी भी विधिवत पूजा होती है। ऐसे करें पूजाः पूजा शुरू करने से पहले आटे की चौकी बना लें। इसके बाद भाई को आटे की चौकी पर विराजमान करें। इतना करने के बाद चावल का घोल बना लें और भाई की हथेली पर इसे लाग कर पान, सुपारी, पुष्प इत्यादि रखकर हथेली पर जल अर्पित करें। इस प्रक्रिया के बाद भाई की आरती उतारें और उसकी कलाई में कलावा बांधें। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं। यदि भाई बड़ा है तो बहन उसका पैर छूकर आशीर्वाद लेगी और यदि भाई छोटा है तो बहन का वह आशीर्वाद लेगा।
तिथि और शुभ मुहूर्त
भैयादूज/यम द्वितीया की तारीख: 29 अक्टूबर 2019 तिथि प्रारंभ: सुबह 06 बजकर 13 मिनट से तिथि समाप्त: 30 अक्टूबर 2019 को सुबह 03 बजकर 48 मिनट तक भाई दूज अपराह्न समय: दोपहर 01.11 बजे से 03.23 बजे तक कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट
भाई दूज के दिन सुबह स्नान कर यम देवता, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। – यम की पूजा करते हुए बहन प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें।
भाईदूज के दिन ही भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा होती है। भगवान श्री चित्रगुप्त के पहले भाषा की कोई लिपि नहीं थी। उनका प्रवचन दिया जाता था श्री चित्रगुप्त ने माँ सरस्वती से विचार विमर्श के बाद लिपि का निर्माण किया और अपने पूज्य पिता के नाम पर उसका नाम ब्राह्मी लिपि रखा।
भाई दूज त्योहार को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक मान्यता है कि इस दिन आसमान में उड़ती हुई चील दिखे तो उसे देख बहनें अपने भाईयों के लिए जो भी प्राथना और दुआ मांगती हैं वो पूरी होती है।
भैया दूज हिंदू समाज में भाई बहन के रिश्ते का एक प्रतीक माना जाता है। दिवाली के समापन का आखिरी त्योहार होने के नाते इस पर्व को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि भाई बहन के रिश्तों को यह त्योहार मजबूती देता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक करके उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। साथ ही भाई भी अपनी बहन को कोई ना कोई उपहार देकर अपने प्यार को दर्शाता है।
इस दिन बहनें अपने भाई-भाभी को सादर आमंत्रित करती हैं। उनके लिए अनेक प्रकार के स्वादिष्ट भोजन बनाती हैं। भाई-भाभी के आने पर उन्हें रोली, चंदन, अक्षत का तिलक करती हैं। उनके दीर्घायु होने की कामना करती हैं। इस अवसर पर भाई अपनी बहनों को वस्त्र, आभूषण एवं दक्षिणा देते हैं। यह पर्व भाई-बहन के आपसी प्रेम-भाव को बनाए रखता है।
भैया दूज की सामान्य जन के बीच एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार सूर्यदेव की पत्नी छाया थीं जिनकी दो संतानें यमराज और यमुना थीं। यमुना अपने भाई यमराज से बेहद स्नेह करती थीं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन पर निमंत्रित किया।यमराज ने सोचा कि मैं प्राण हरने वाला हूं और मुझे कोई नहीं बुलाता। अब जब बहन ने स्नेह से बुलाया है तो जाना ही चाहिए। वह बहन के घर के लिए निकल पड़े। यमराज को घर आया देख यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खूब आतिथ्य किया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने के लिए कहा और बदले में यमुना ने मांगा कि हर वर्ष इसी दिन जो बहनें यमराज से मांगेंगी वह पूरी की जाएगी।
अवधि - 02 घण्टे 14 मिनट्सद्वितीया तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 29, 2019 को 06:13 ए एम बजेद्वितीया तिथि समाप्त - अक्टूबर 30, 2019 को 03:48 ए एम बजे
पौराणिक मान्यता है कि भैया दूज के दिन अगर भाई-बहन यमुना किनारे साथ बैठकर खाना खाते हैं तो यह मंगलकारी होता है। भाई दूज दीवाली के दो दिन आता है और इसको यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन यम देव की पूजा होती है।