Basant Panchami 2018: हिंदू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है। इस साल देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार 22 जनवरी 2018 को मनाया जा रहा है। पिछले साल बसंत पंचमी त्योहार 1 फरवरी 2017 को मनाया गया था। मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। बसंत पंचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है। यह त्योहार पूर्वी भारत, पश्चिमी-उत्तरी बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है।
देवी सरस्वती को ज्ञान, कला, बुद्धि, गायन-वादन की अधिष्ठात्री माना जाता है। इसलिए इस दिन विद्यार्थी, लेखक और कलाकार देवी सरस्वती की उपासना करते हैं। विद्यार्थी अपनी किताबें, लेखक अपनी कलम और कलाकार अपने म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट और बाकी चीजें मां सरस्वती के सामने रखकर पूजा करते हैं। यह त्योहार पूरे देश में श्रद्धा और उल्लाह के साथ मनाया जाता है। सरस्वती पूजा या बसंत पंचमी के दिन आमतौर पर लोग पीले कपड़े पहनकर पूजा करते हैं। यदि यौवन हमारे जीवन का वसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है।
भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में ‘ऋतूनां कुसुमाकरः’ कहकर ऋतुराज वसंत को अपनी विभूति माना है। भगवान श्रीकृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता हैं। इसीलिए ब्रजप्रदेश में राधा – कृष्ण का आनंद-विनोद बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
Basant Panchami 2018: जानें बसंत पंचमी के दिन क्यों की जाती है सरस्वती माता की पूजा
भारतीय पंचांग में 6 ऋतुएं हैं, इनमें से वसंत ऋतुओं का राजा भी माना जाता है। वसंत ऋतु का आगमन पतझड़ के बाद होता है। वहीं वसंत ऋतु का आगमन नई फसल के उगने और फूलों के खिलने का त्योहार भी कहा जाता है। इस खुशी में देशभर में उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि वंसत पचंमी से ठंड कम हो जाती है और दिन तेजी से बड़े होने लगते हैं। वहीं मंदिरों में भगवान की मूर्ति का वसंती कपड़ों और फूलों से श्रंगार किया जाता है और धूम-धाम के साथ यह महोत्सव सेलिब्रेट किया जाता है। ब्रज में भी वसंत के दिन से होली का उत्सव शुरू हो जाता है।