Baisakhi 2025 Date: सिख धर्म में बैसाखी के त्योहार की काफी मान्यता है। हर साल इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार की सबसे ज्यादा रौनक पंजाब और आस पास के क्षेत्रों में देखने को मिलती है। इस दिन फसल को काटकर घर आ जाने की खुशी में भगवान को शुक्रिया कहते हैं। इसके साथ ही उनकी पूजा करते हैं। परंपरागत गीत और नृत्य के जरिए लोग अपनी खुशियों का इजहार करते हैं। बैसाखी को हर जगह अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु कहते हैं। इस बार बैसाख मास की प्रतिपदा तिथि दो दिन होने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं क्यों बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है? इसके साथ ही जानें शुभ मुहूर्त, स्नान-दान का समय से लेकर इतिहास के बारे में…
कब है बैसाखी 2025? (When Is Baisakhi 2025)
बैसाखी का त्योहार हिंदू कैलेंडर के दूसरे महीने बैसाख माह के पहले दिन मनाया जाता है। वैशाख मास तब शुरू होता है जब सूर्य मीन राशि से लेकर निकल मेष राशि में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में इस बार बैशाख मास की शुरुआत ही 13 अप्रैल से हो रही है, ऐसे में लोग भी बैसाखी का त्योहार रविवार को यानी कि 13 अप्रैल को मनाया जा रहा है।
बैसाखी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 52 मिनट से बैसाख कृष्ण पक्ष यानी कि प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। बताया जाता है कि इसी दिन सूर्य भी मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे। अब यहां पर सूर्य का मेष राशि में 13 अप्रैल को गोचर होगा, समय 3 बजकर 21 मिनट रहेगा। इसी तरह बात अगर पुण्यकाल की करें तो जब सूर्य मेष राशि में जाएंगे, उसी समय स्नान-दान का आप आरंभ कर सकते हैं। बताया गया है कि पुण्यकाल की तिथि 14 अप्रैल है और स्नान-दान का समय 9 बजकर 43 मिनट।
वैसे यहां पर यह बताना जरूरी है कि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक तो दान करने के लिए हर समय में श्रेष्ठ होता है। ऐसे में लोग वैशाख संक्रांति के आरंभ और पुण्यकाल दोनों ही समय में दान का काम कर सकते हैं।
बैसाखी का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
बैसाखी मनाने का सबसे बड़ा कारण यह रहता है कि इसी दिन सूर्य अपना एक राशि चक्र पूर्ण कर लेता है। इसे अगर दूसरे शब्दों में समझने की कोशिश करें तो इसी दिन से नया सौर वर्ष शुरू हो जाता है। पंजाब में इसी दिन को नववर्ष की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। वैसे एक दूसरा कारण यह है कि पंजाब में अप्रैल माह में ही फसल पककर तैयार होती है। ऐसे में किसान नाचते-गाते हैं और खुशियां मनाते हैं। इसी तरीके से बैसाखी का त्योहार मन जाता है।
बैसाखी को हुई थी खालसा पंथ की स्थापना
मान्यताओं के अनुसार, बैशाख में रबी की फसल पककर पूरी तरह से तैयार हो जाती है और कटाई शुरू हो जाती है। इसी के इस पर्व को फसल पकने और सिख धर्म की स्थापना के रूप में मनाते हैं। मान्यता है कि इसी दिन सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
कैसे मनाते हैं बैसाखी?
सिख समुदाय के लोगों के लिए बैसाखी का पर्व काफी खास माना जाता है। इस दिन ढोल-नगाड़ों पर लोग नाचते हैं। इसके साथ ही गुरुद्वारा पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सुबह के समय गुरुद्वारे जाकर प्रार्थना की जाती है। इसके साथ ही गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ और भजन-कीर्तन किया जा है। इसके अलावा श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रकार का अमृत तैयार किया जाता है, जो बाद में पंक्ति में लगकर पांच बार ग्रहण किया जाता है।
अप्रैल माह का दूसरा सप्ताह कई राशि के जातकों के लिए लकी साबित हो सकता है, क्योंकि सप्ताह भी सूर्य अपनी उच्च राशि में रहेंगे। इसके साथ ही मीन राशि में मालव्य, लक्ष्मी नारायण जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ज्योतिषी सलोनी चौधरी के अनुसार, इस सप्ताह कई राशियों को बंपर लाभ मिल सकता है। जानें इन लकी राशियों के बारे में
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