Baisakhi 2021 Date, Time, Puja Vidhi: बैसाखी सौर मास का प्रथम दिन होता है। इस दिन गंगा स्नान करना बहुत ही फलदायी माना जाता है। बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं। ये त्योहार इस साल 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। हिंदुओं, सिखों और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए ये त्योहार खास होता है। मुख्य तौर पर पंजाब और हरियाणा में बैसाखी पर्व मनाया जाता है। इसकी शुरुआत भी भारत के पंजाब प्रांत से हुई थी। इसे पर्व को रबी फसलों की कटाई से जोड़कर देखा जाता है।

बैसाखी के दिन गेहूं, तिलहन, गन्ने आदि की फसल की कटाई शुरू होती है। इस दिन पंजाब का नृत्य भांगड़ा और गिद्दा किया जाता है। शाम के समय लोग आग के पास इकट्ठा होकर नई फसल की खुशियाँ मनाते हैं। इस दिन सुबह 4 बजे गुरु ग्रंथ साहिब को कक्ष से बाहर लाया जाता है और दूध और जल से प्रतीकात्मक स्नान करवाने के बाद तख्त पर बैठाया जाता है। फिर किताब को पढ़ा जाता है और सिख धर्म के अनुयायी ध्यानपूर्वक गुरू की वाणी को सुनते हैं। इस दिन जगह-जगह लंगर का आयोजन किया जाता है। बैसाखी पर दिनभर गुरु गोविंद सिंह और पंच प्यारों के सम्मान में कीर्तन गाए जाते हैं।

बैसाखी बुधवार, 14 अप्रैल, 2021 को
बैसाखी संक्रान्ति का क्षण- 02:48 AM

बैसाखी पर्व के दिन किसान प्रचुर मात्रा में उपजी फसल के लिए भगवान का धन्यवाद करते हैं और अपनी समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। सिख धर्म में श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा बनाए गए खालसा पंथ की शुरुआत भी इसी दिन से ही हुई थी। इस दिन सिख धर्म के लोग गुरुद्वारों को सजाते हैं और जुलूस निकालते हैं।

भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में बैसाखी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे, उत्तराखंड में इसे बिखोती के रूप में जाना जाता है। केरल में इसे विशु कहा जाता है और असम में इसे “बोहाग बिहू” कहा जाता है। बंगाल में इसे पाहेला बेशाख के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा तमिल में इसे पुत्थांडु और बिहार में जुर्शीतल के नाम से जाना जाता है।