हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है। पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए दान, तर्पण, श्राद्ध आदि करते हैं। सनातन धर्म के अनुसार अश्विन अमावस्या को पितरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। अश्विन अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पूर्वजों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और अपने पूर्वजों के नाम पर दान करते हैं। आइए जानते हैं अश्विन अमावस्या की सही तिथि और श्राद्ध पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है-
सर्व पितृ अमावस्या कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या तिथि 25 सितंबर रविवार को है। अश्विन अमावस्या रविवार को सुबह 3:12 बजे से शुरू होकर अगले दिन सोमवार यानी 26 सितंबर को प्रातः 03:23 बजे खत्म होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि के अनुसार दान, कर्म आदि का महत्व है। इसलिए आश्विन अमावस्या या सर्व पितृ अमावस्या 25 सितंबर को है।
सर्व पितृ अमावस्या 2022 श्राद्ध का समय
कुतुप मुहूतर्रू का समय: सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:37 मिनट तक
रोहिण मुहूतर्रू का समय: दोपहर 12:37 मिनट से दोपहर 01:25 मिनट तक
अपराह्न काल का समयः दोपहर 01:25 मिनट से दोपहर 03:50 मिनट तक
अश्विन अमावस्या के दिन पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इसके अलावा सुबह 09:06 बजे तक शुभ योग है और उसके बाद शुक्ल योग शुरू होगा। जानकरों के मुताबिक कुतुप मुहूर्त और रोहिणी मुहूर्त को पितरों के श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। जबकि धर्म के विद्वानों के अनुसार कहना है कि पितरों का श्राद्ध किसी भी तिथि पर श्राद्ध सुबह 11:30 बजे से लेकर दोपहर 02:30 बजे के बीच कभी भी कर लेना चाहिए।
आश्विन अमावस्या का महत्व
अश्विन अमावस्या या सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता है जिनकी मृत्यु तिथि आप नहीं जानते हैं। इस दिन आप सभी ज्ञात और अज्ञात पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर सकते हैं। आश्विन अमावस्या के दिन श्राद्ध, दान, ब्राह्मण भोज आदि पितरों के लिए किए जाते हैं। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है। परिवार में शांति रहती है। इस दिन नदी में स्नान कर दान-पुण्य करने से पितरों की प्रसन्नता होती है। जिससे आपको पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन आप पितरों को प्रसन्न करने के लिए पेड़ भी लगा सकते हैं।