Devshayani Ekadashi 2018: सोमवार (23 जुलाई, 2018) को देवशयनी एकादशी है। इसे हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एकादशी जगनाथ यात्रा के बाद आती है, मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए पाताल लोक में चले जाते हैं और राजा बलि के द्वार पर निवास करके कार्तिक शुक्ल एकादशी को लौटते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर की मुताबिक देवशयानी एकदशी हर साल जुन या जुलाई महीने में आती है। इस बार यह एकादशी 23 जुलाई को है। वहीं पिछले साल यह 4 जुलाई को मनाई गई थी। देवशयानी एकदशी को आषाढ़ी एकदशी, पदमा एकदशी और हरी शयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस एकादशी के दिन पूजा-पाठ करना और व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस एकादशी को व्रत रखने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस एकादशी में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार साल के 12 महीनों में 24 एकादशी आती हैं। लेकिन आषाढ़ शुक्ल से कार्तिक शुक्ल एकादशी को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी पूजा की विधि और समय।

देवशयनी एकादशी की पूजा विधि: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद स्नान कर पवित्र जल का घर में छिड़काव करें। घर के मंदिर या पूजा-पाठ वाले स्थान पर भगवान विष्णु की सोने, चांदी, तांबे या पीपल की मूर्ति की स्थापना करें। मूर्ति स्थापित करने के बाद इसका पूजन करें। पूजा के बाद व्रत कथा सुनना भी शुभ माना जाता है। इसके बाद आरती करके प्रसाद बांट दें। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का कमल के पुष्पों से पूजन करना बहुत शुभ माना जाता है। इन चार महीनों के बीच पवित्र श्रावण का महीना आता है। कहा जाता है कि इन चार महीनों के दौरान भगवान शिवजी सृष्टि को चलाते हैं। इसलिए भगवान शिवजी की पूजा का विशेष महत्व होता है। श्रावण के महीने के बाद गणेश चतुर्थी का व्रत भी होता है। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा के बाद दुर्गा माता की पूजा की जाती है। जिन्हें नवरात्रि कहते हैं।

देवशयनी एकादशी की पूजन का सही समय:
– एकादशी तिथि प्रारंभ: 22 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 47 मिनट से।
– एकादशी तिथि समाप्त: 23 जुलाई शाम 4 बजकर 23 मिनट तक