Kaal Sarp Dosh And Pitra Dosh Upay: ज्योतिष अनुसार कालसर्प दोष और पितृ दोष किसी भी व्यक्ति के जीवन को कष्टों से भर देते हैं। इन दोषों के होने पर व्यक्ति जीवन में तरक्की नहीं कर पाता और उसके घर परिवार में हमेशा कलह की स्थिति बनी रहती है। वैसे तो इन दोषों का निवारण कभी भी किया जा सकता है लेकिन अमावस्या का दिन इस तरह के दोषों से मुक्ति पाने के लिए खास माना गया है। 21 जून को आषाढ़ अमावस्या और सुर्य ग्रहण (Surya Grahan) भी है। जानिए इस दिन क्या उपाय करने से पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है…
पितृ दोष के उपाय: आषाढ़ मास की अमावस्या को स्नान दान अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अमावस्या के दिन श्राद्ध की रस्मों को करना उपयुक्त माना जाता है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या पर चावल की खीर बनाकर गाय के गोबर से बने कंडे या उपले की कोर पर उस खीर का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद दाएं तरफ थोड़ा-सा पानी लेकर छोड़ दें। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। अगर खीर का भोग नहीं लगा सकते, तो सुबह घर में जो भी शुद्ध ताजा खाना बनाएं उसी से भोग लगा दें। इसके साथ ही थोड़ी सी चीनी भी रख दें। ध्यान रखें कि सबसे पहला भोजन गाय को दूसरा कुत्ते को और तीसरा भोजन कौए को अवश्य देना चाहिए। ऐसा करने से भी पितरों की कृपा बनी रहेगी।
पितरों को खुश करने के लिए एक लोटे में जल, लाल पुष्प, गुड़ और काले तिल डालकर सूर्य को जल अर्पित करें और पितरों से प्रार्थना करें कि आपको पितृ दोष से मुक्ति मिल जाए। अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से भी पितृ दोष से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
कालसर्प दोष के उपाय: कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए थोड़े सफेद फूल, बताशे, चावल, कच्चा दूध लेकर बहते हुए पानी में इसे प्रवाहित कर दें और ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का 11 बार जाप करें। दूसरा उपाय, पवित्र नदी में स्नान करने के बाद चांदी के नाग-नागिन लेकर उनकी पूजा करें। फिर उनपर सफेद फूल चढ़ाएं और बहते हुए पानी में इसे प्रवाहित कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। तीसरा उपाय, इस दिन स्नान के बाद लघु रूद्र का पाठ करें। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नवनाग स्त्रोत का पाठ करना भी शुभ फलदायी माना गया है। अमावस्या के दिन कालसर्प यंत्र की स्थापना कर रोजाना इस यंत्र के सामने घी या सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
