जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर 3 हजार 888 मीटर ऊंचाई पर स्थित भगवान भोलेनाथ की अमरनाथ गुफा (amarnath yatra 2019) में न जाने कितने गूढ़ रहस्य छुपे हुए हैं। ज्यादातर श्रद्धालुओं के दिमाग में यही सवाल उठता है कि आखिर इस गुफा में सबसे पहले कौन पहुंचा था। आज हम आपके सामने इस रहस्य से पर्दा उठा रहे हैं। बाबा बर्फानी की इस गुफा को सबसे पहले एक मुस्लिम व्यक्ति ने देखा था। इसकी खोज के पीछे बड़ी ही दिलचस्प कहानियां हैं। अमरनाथ श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार इस गुफा की खोज बूटा मलिक नाम के एक मुस्लिम गड़रिया ने की थी। वहीं कुछ लोग दावा करते हैं कि इस गुफा की खोज आज से 139 साल पहले एक मुस्लिम ने की थी। वैसे तो बाबा बर्फानी (Baba Barfani) के शिवलिंग को लेकर कई कथानक हैं लेकिन हकीकत को लेकर कोई प्रमाण नहीं हैं। आइए जानते हैं इस गुफा की खोज की रहस्यमयी गाथाएं।

बाबा बर्फानी को चरवाहे मुस्लिम ने खोजा था

बताया जाता है कि एक दिन बूटा मलिक नाम का मुस्लिम व्यक्ति अपने जानवरों को चराते हुए रास्ता भटक गया था और गुफा के पास जा पहुंचा। तभी उसके समक्ष अचानक से एक साधू आए और उसे सही रास्ता दिखाया। इस साधु ने बूटा को कोयले से भरा एक बैग भी दिया। चरवाहा अपने जानवरों के साथ घर की ओर चला आया और घर जाकर उसने साधु द्वारा दिया हुआ बैग देखा तो बैग में रखा कोयले की जगह सोने के सिक्के पाए। चरवाहा दूसरे दिन फिर उस गुफा के पास गया तो उसे साधु तो नहीं दिखे लेकिन बाबा बर्फानी का चमकता हुआ शिवलिंग जरूर नजर आया। इसके बाद ही लोगों ने बर्फ से ढके शिवलिंग के दर्शन करने शुरू कर दिए।

1850 में हुई थी गुफा की खोज
ऐसा दावा किया जाता है कि बटकोट में उस चरवाहे के वंशज रहते हैं। इस क्षेत्र में एक मलिक मोहल्ला है जहां 11 परिवार रहते हैं, जिनका संबंध बूटा मलिक बताया जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार गुफा की खोज 1850 में खोज हुई और यात्रा शुरू होने के बाद मलिक के परिवार वाले वहां की देखभाल करते थे लेकिन 2000 में एक बिल जारी हुआ था जिसके बाद से मलिक के परिवार को वहां से बाहर निकाल दिया गया।

खोज के पीछे बताया जाता है कश्यप मुनि और भृगु मुनि का हाथ
इस गुफा को लेकर एक और कहानी बताई जाती है। माना जाता है कि एक दौर में कश्मीर घाटी पूरी तरह से पानी में डूबी हुई रहती थी और कश्यप मुनि ने वहां नदियों का निर्माण किया था। पानी कम होने के बाद घाटी का निर्माण हुआ। उसके बाद भृगु मुनि वहां पर रहने गए थे जहां उन्होंने गुफा की खोज की लेकिन तब इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। बाद में 150 साल बाद बूटा मलिक भटकते हुए यहां पहुंचा और लोगों को बाबा बर्फानी के शिवलिंग के बारे में बताया था।