आचार्य चाणक्य की तरह ही महात्मा विदुर की नीतियों को भी खूब पसंद किया जाता है। विदुर नीति वास्तव में महाभारत युद्ध से पहले युद्ध के परिणामों को लेकर महात्मा विदुर और हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र के बीच हुआ संवाद था। जिसमें विदुर ने कई ज्ञान की बातें बताई थीं। विदुर ने धृतराष्ट्र को चेताया था कि महाभारत युद्ध का अंत बेहद ही बुरा होगा। हम यहां बात करेंगे विदुर की उस नीति के बारे में जिसमें वो बताते हैं कि कौन से भंवर में फंसने पर इंसान का जीवन बर्बाद हो जाता है।

क्रोधो हर्षश्च दर्पश्च ह्रीः स्तम्भो मान्यमानिता।
यमर्थान्नपकर्षन्ति स वै पण्डित उच्यते।।
महात्मा विदुर कहते हैं कि व्यक्ति को उसके कर्म से कुछ भाव डिगाने की कोशिश करते हैं इसलिए मनुष्य को ऐसे भावों से बचना चाहिए। अगर इंसान अपने को इन चीजों से बचा पाता है तो वह बुद्धिमान कहलाता है। इंसान को अधिक गुस्सा नहीं करना चाहिए। क्योंकि क्रोध यानी गुस्सा मनुष्य को पागल बना देता है। जिससे व्यक्ति ये नहीं समझ पाता कि वो क्या कर रहा है। क्रोध आपकी बुद्धि का सबसे बड़ा शत्रु है, इसलिए इससे बचें।

किसी भी चीज को लेकर हर्ष यानी अति उत्साह करना भी मनुष्य के लिए हानिकारक है। क्योंकि अत्यंत उत्साह की स्थिति में भी व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो देता है। जिससे कई बार वे गलत निर्णय भी ले लेता है। इसलिए अति उत्साह भी मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट करने का कारण बन सकता है। यहां देखें किन राशियों पर चल रही है शनि साढ़े साती और कब इन्हें मिलेगी मुक्ति

ह्री यानी विनय जिसका अर्थ चापलूसी है। चतुर लोग आपसे अपना काम निकलवाने के लिए हमेशा आपकी खुशामद करते हैं। जिस कारण  कई बार किसी की खुशामद से प्रसन्न होकर मनुष्य गलत निर्णय ले लेता है। विदुर नीति अनुसार ये 5 चीजें व्यक्ति के जीवन को कर देती हैं बर्बाद, करें इन्हें दूर

महात्मा विदुर कहते हैं कि स्वयं के प्रति पूज्य भाव रखना भी व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करता है। इसका मतलब है अपने आप को महान समझना। व्यक्ति पूज्य भाव के कारण कई बार गलत निर्णय ले लेता है। इसलिए इस भंवर में फंसने से बचना चाहिए। वास्तव में पूज्य सिर्फ ईश्वर है बाकी सब कुछ उसकी कृतियां हैं। क्या आपके माथे पर भी बनती हैं लकीरें, तो जानिए इसका भाग्य से क्या है कनेक्शन