Ganesh Ji Ki Aarti: प्रथम पूज्य श्री गणेश भगवान की पूजा के बिना कोई भी पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती है। इसी के कारण हर मांगलिक और शुभ काम का आरंभ गणेश जी की पूजा के साथ ही करते हैं। इसके साथ ही पूजा के अंत में गणपति जी की आरती अवश्य करनी चाहिए। यहां पढ़िए गणेश भगवान् जी की आरती जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा लिरिक्स इन हिंदी, साथ ही जानें गणपति जी की आरती का महत्व, लाभ, अर्थ, आरती करने का सही समय और अन्य जानकारी
- गणेश जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी
- गणेश जी की आरती का महत्व
- गणेश जी की आरती करने के लाभ
- गणेश जी की आरती कैसे करें
- गणेश भगवान की आरती का सही समय?
- गणेश जी की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
- गणेश जी की आरती अर्थ सहित
Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi (गणेश जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी)
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
गणेश जी की आरती का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, गणेश पूजा के बाद आरती अवश्य करना चाहिए। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती हैं और धन-वैभव की प्राप्ति होती है। गणेश जी को बुद्धि के देवता के साथ-साथ विघ्न हरने वाला कहा जाता है। ऐसे में इस आरती को करने से सद्बुद्धि आती है और हर तरह की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है और हर क्षेत्र में सफलता के साथ-साथ धन लाभ भी होता है।
गणेश जी की आरती करने के लाभ
- गणेश आरती करने से गणपति जल्द प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की हर कामना को पूरी करते हैं।
- इस आरती को करने से उनकी पत्नियां रिद्धि-सिद्धि भी प्रसन्न होती है, जिससे धन-संपत्ति की कभी कमी नहीं होती है।
- जीवन के हर एक कष्ट दूर हो जाते हैं और खुशियों की दस्तक होती है।
- गणेश जी आरती करने से एकाग्रता बढ़ती है, जिससे छात्रों का पढ़ाई में मन लगता है।
- शादी-विवाह में परेशानी आ रही हो या फिर शत्रुओं पर विजय पाना चाहते हैं, तो गणेश जी की इस आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए।
- अगर कुंडली में बुध दोष है या फिर बुध ग्रह की स्थिति अच्छी नहीं हैं, तो गणेश जी की पूजा के साथ इस आरती को करने से ग्रह की दशा ठीक हो जाती है।
गणेश जी की आरती कैसे करें
गणेश जी की आरती करते समय इस बात का ध्यान रखें कि हर एक शब्द का उच्चारण ठीक ढंग से किया गया हो और किसी प्रकार की त्रुटि न हो।
एक पीतल, चांदी आदि की थाली में एक घी का दीपक जलाएं। इस दीपक में गोल बाती लगाएं। इसके साथ ही कपूर भी जला लें। पहले तीन बार मुख ऊपर करके शंख बजाएं। इसके बाद घंटी, ताली या अन्य वाद्य यंत्रों के साथ विधिवत तरीके से गणेश जी की पूजा कर लें। अंत में जल से 2 बार घुमाकर आचमन कर दें। फिर भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
गणेश भगवान की आरती का सही समय?
गणेश जी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा सूर्योदय होने के साथ गणेश आरती करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसलिए आप ब्रह्म मुहूर्त 5 से 6 बजे के बीच कर सकते हैं या फिर सूर्योदय के समय कर सकते हैं। इसके अलावा शाम के समय भी गणेश आरती करना चाहिए।
गणेश जी की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
विधिवत तरीके से गणेश जी आरती करने से बाद गणपति के जयकारे लगाना चाहिए। इसके बाद जल से आचमन करना चाहिए। फिर स्वयं आरती लेने के बाद घर के अन्य सदस्यों को आरती देना चाहिए।
गणेश जी की आरती अर्थ सहित
आरती- जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा .
माता जाकी पारवती, पिता महादेवा ..
अर्थ- जय हो आपकी, श्री गणेश, जय हो आपकी, श्री गणेश, हमारे प्रिय देवता।
आप माता पार्वती और भगवान शिव के शक्तिशाली पुत्र हैं।
आरती- एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी।
मस्तक सिन्दूर सोहे मूसे की सवारी।
अर्थ- भगवान गणेश एक दांत वाले सभी पर दया करने वाले, चार भुजाओं को धारण करते हैं। जिनके माथे पर सिंदूर का तिलक है और वे मूषकराज यानी चूहे की सवारी करते हैं।
आरती- पान चढ़ें फूल चढ़ें और चढ़ें मेवा।
लड्डुवन को भोग लगे सन्त करें सेवा।
अर्थ- भगवान गणेश को पान, फूल के साथ-साथ मेवा मिष्ठान आदि चढाएं जाते हैं। इसके साथ ही लड्डू का भोग लगता है और संतजन उनकी सेवा करते हैं।
आरती- अन्धन को आँख देत कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।
अर्थ- भगवान गणेश अंधों को आंखे प्रदान करने वाले हैं, कोढियों को स्वरूपवान बनाने वाले हैं। बांझ स्त्री को पुत्र प्रदान करते हैं और गरीबों को धन दौलत देते हैं।
आरती- दीनन की लाज राखो शम्भु-सुत वारी।
कामना को पूरा करो जग बलिहारी।
अर्थ- हे भगवान गणेश! आप हम दीन दुखियों के मान सम्मान को यूं हीं बनाए रखें। हे भगवान शंकर के पुत्र, जगत के पालनकर्ता आप हमारी मन की इच्छा की पूर्ति कर हमारा कल्याण करें।