पश्चिम बंगाल में मस्जिद के इमामों को अनुदान देने के लिए चौतरफा घिरी प्रदेश की टीएमसी सरकार ने इसके मिलान के लिए हिंदू पंडितों को भी सैलरी देने की घोषणा की। यह घोषणा कोलकाता नगर निगम (KMC) ने की, जिसमें कहा गया कि लोकसभा चुनाव के बाद पंडितों की सैलरी शुरू हो जाएगी। बता दें कि प्रदेश सरकार ने मार्च 2012 में मस्जिदों के इमामों को प्रति माह 2,500 रुपए वजीफा देने की घोषणा की थी। इसी की तर्ज पर टीएमसी द्वारा संचालित KMC जल्द ही हर पंडित को प्रत्येक दाह संस्कार पर 380 रुपए देगी। रिपोर्ट के मुताबिक लाभार्थियों की पहचान कर ली गई है और केएमसी इसके लिए एक लिस्ट बनाने की प्रक्रिया में है।

संडे एक्सप्रेस ने कोलकाता के निमताला घाट पर एक ऐसे ही पुरोहित और शहर की लाल मस्जिद के इमाम से मुलाकात की और उनसे पूछा कि सरकार द्वारा अनुदान उनके लिए क्या मायने रखते हैं।

नरेश मिश्रा (60)
निमताला घाट पर अंतिम संस्कार कर रहे पंडित ने बताया कि वह बचपन से घाट पर हैं। यह उनके परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो घाट पर यह काम कर रही है, जहां हर दिन आने वाले शवों की संख्या के कारण शवयात्रा कभी नहीं निकलती है। नरेश मिश्रा ने बताया कि परिवार के सात लोगों के साथ मिलकर महीने भर में सात हजार रुपए कमा लेते हैं। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त पैसा मिलता है तो यह स्वागत योग्य है। हालांकि उन्हें इस बात का डर है कि वह मूल रूप से बिहार के निवासी हैं और इसके लिए उन्हें थोड़ी परेशानी हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘जजमान (ग्राहक) जो बंगाली हैं, बंगाली पुरोहित पसंद करते हैं, जबकि अन्य हमारे पास आते हैं।’ 60 वर्षीय मिश्रा के मुताबिक प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुले तौर पर कहती है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग बाहरी हैं। इसलिए मुझे संदेह कि क्या हम सरकारी की इस योजना से लाभन्वित होंगे।’

सरकार की इस योजना को थोड़ा राजनीतिक बताने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘ममता सरकार ने वजीफे की घोषणा करने के लिए चुनाव परिणाम घोषित होने तक का इंतजार क्यों किया। उन्हें पहले ही ऐसा करना चाहिए था। मैं बहुत आशान्वित नहीं हूं। जब आप एक प्रशासक होते हैं, तो आपको सभी के लिए निष्पक्ष होना चाहिए और एक विशेष वर्ग को खुश करने से बचना चाहिए।’ यहां उन्होंने बिना नाम लिए एक विशेष समुदाय को पहले मदद देने पर एतराज जताया।

इमाम हाफिज मोहम्मद गयासुद्दीन (40)
लाल मस्जिद में पिछले 25 वर्षों से अपने सेवाएं दे रहे इमाम गयासुद्दीन को हर महीना 2,500 महीने का वजीफा मिलता है। उन्होंने बताया, ‘मुझे याद है जब पहली बार पैसे मेरे खाते में आए। मैंने किराना की दुकान से सामान खरीदने में खर्च किया।’ इमाम चेहरे पर हल्की सी मुस्कान के साथ साथ प्रदेश की सीएम ममता को धन्यवाद देते हुए कहा कि वो हमें सुरक्षा का अहसास कराती हैं। इमाम गयासुद्दीन के परिवार में छह लोग हैं, जो मस्जिद के करीब में ही रहते हैं। हालांकि पूरा परिवार अभी वक्फ बोर्ड द्वारा मिलने वाली 5,000 रुपए की आय से गुजारा करने के लिए खासा संघर्ष करता हैं। गयासुद्दीन ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार में समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखा जा रहा है, इसमें चाहे हिंदू हो या मुस्लिम। हालांकि इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जो पैसा वजीफे के रूप में मिलता है वह ज्यादा नहीं है।

गयासुद्दीन के चार बच्चे कॉलेज में पढ़ते हैं जबकि एक बच्चे का स्कूल अगले साल पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि बच्चे निजी ट्यूशन पढ़ाकर अपनी जरुरतों को पूरा करते हैं, वह नहीं चाहते हैं कि कोई बच्चा उनके जैसा इमाम बने। उन्होंने कहा, ‘मेरे बच्चे अकादमिक रूप से अच्छे हैं, अच्छे कॉलेजों में पढ़े हैं, एक कंप्यूटर कोर्स भी कर रहे हैं। जो मैं करता हूं वो कमाने के लिए नहीं करता। यह एक पाक काम है और मेरे बच्चों की दुनिया अलग है।’