कोलकाता की एक अदालत ने तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सृंजय बोस की अंतरिम जमानत याचिका शनिवार को खारिज कर दी और उन्हें चार दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। बोस को सीबीआइ ने सारदा चिटफंड घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था। अलीपुर अदालत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रभारी) पी प्रधान ने बोस को 26 नवंबर 2014 तक पुलिस हिरासत में भेज दिया और किसी भी सरकारी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक से समय-समय पर उनकी मेडिकल जांच कराने का आदेश दिया।
सीबीआइ ने बोस को सात दिन की पुलिस हिरासत में देने की गुहार लगाई थी। बोस ने अदालत से कहा कि वे उच्च रक्तचाप और पीठ में दर्द की शिकायत से पीड़ित हैं और पुलिस हाजत में फर्श पर सोने में अक्षम हैं। बोस के वकील अशोक मुखर्जी ने दलील दी कि आरोपी मधुमेह, उच्च रक्तचाप और स्पांडिलाइसिस जैसी बीमारियों से पीड़ित है और उसकी बैरियाट्रिक सर्जरी हुई थी। उन्होंने आरोपी को उनके दावों के समर्थन में मेडिकल जांच के लिए सरकारी एसएसकेएम अस्पताल भेजने और अंतरिम जमानत देने की मांग की।
दूसरी ओर एसएसकेएम अस्पताल के निदेशक प्रदीप मित्रा ने शनिवार को कहा कि वे इस बाबत कुछ भी स्पष्ट नहीं कह सकते कि राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्रा सीबीआइ पूछताछ की सख्ती का सामना कर पाएंगे या नहीं। सारदा घोटाले में पूछताछ की खातिर सीबीआइ ने मदन मित्रा को समन जारी किया था। प्रदीप मित्रा ने कहा कि मैं उनसे मिला। विभिन्न मेडिकल परीक्षणों के कारण वे काफी थक चुके हैं।
वे बोलने की स्थिति में तो हैं पर पूछताछ का तनाव झेलना बहुत अलग बात है। सांस लेने में तकलीफ के बाद मदन मित्रा को गुरुवार को एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था।