लगातार बढ़ती यात्रियों की भीड़ और बूढ़े होते रेक के कारण देश का गर्व कही जाने वाली कोलकाता मेट्रो रेल सेवा लगातार हांफ रही है। बीते सप्ताह एक एसी ट्रेन के कोच में लगी आग और उसके बाद फैले आतंक ने देश की इस पहली मेट्रो सेवा की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है। शाम के व्यस्ततम समय के दौरान एक कोच में आग लगने और धुआं भर जाने के कारण आतंक और दम घुटने से लगभग 48 यात्री बीमार हो गए। जान बचाने के प्रयास में आतंकित होकर खिड़की से कूदने के कारण एक यात्री का तो पांव ही टूट गया। इस घटना के बाद अब इसका दोष तकनीकी गड़बड़ी पर थोपने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना के लिए मेट्रो रेल सेवा को कठघरे में खड़ा करते हुए उससे कई सवालों के जवाब मांगे हैं।
कोलकाता में एअरकंडीशन मेट्रो कोच में आग लग जाने की घटना रबींद्र सदन और मैदान स्टेशनों के बीच हुई। प्रत्यक्षदर्शियों को मुताबिक, मैदान स्टेशन से आगे बढ़ते ही दमदम जाने वाले मेट्रो के इंजन के बगल वाले कोच में आग लग गई और डिब्बे में धुआं भरने लगा। इससे यात्रियों में भारी आतंक फैल गया। आग की जानकारी मिलते ही ट्रेन को रोक दिया गया और तीसरे रेल की बिजली काट दी गई। उसके बाद शीशा तोड़ कर यात्रियों को बाहर निकाला गया और वे रेल की पटरियों पर चल कर स्टेशन तक पहुंचे।
उक्त कोच में फंसे यात्रियों ने मेट्रो रेलवे प्रबंधन पर गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि आग लगने के बावजूद ट्रेन आगे बढ़ती रही। ट्रेन रुकने के बाद भी आधे घंटे से ज्यादा समय तक कोई सहायता के लिए नहीं पहुंचा। बाद में यात्रियों ने खिड़कियों का शीशा तोड़ दिया। इससे धुआं बाहर निकला। एक महिला यात्री बताती हैं कि स्टेशन से ट्रेन आगे बढ़ते ही अचानक आग की लपटें नजर आईं और कोच में धुआं भरने लगा। उसने सोचा लिया था कि आज मौत तय है। धुएं के कारण लोगों को सांस लेने में भारी दिक्कत होने लगी। बार-बार फोन करने के बावजूद मेट्रो रेलवे के कर्मचारी सहायता के लिए नहीं पहुंचे। आधे घंटे से ज्यादा समय तक भीतर फंसे होने के बाद यात्रियों ने कोच की खिड़की का शीशा तोड़ दिया। उसके बाद तमाम लोगों को बाहर निकाला गया।
दूसरी ओर, मेट्रो रेलवे की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी इंद्राणी बनर्जी बताती हैं कि आग की सूचना मिलते ही ट्रेन को फौरन रोक दिया गया और मेट्रो रेलवे के कर्मचारी आग बुझाने में जुट गए। उन्होंने बताया कि फायर ब्रिगेड और कोलकाता पुलिस के आपदा प्रबंधन विभाग को भी फौरन इसकी सूचना दी गई। कुछ देर बाद फायर ब्रिगेड के तीन इंजन भी मौके पर पहुंच गए। इंद्राणी बनर्जी ने कहा है कि यात्रियों के आरोप की जांच की जाएगी। उनका कहना है कि राहत की बात यह है कि किसी यात्री की जान को कोई नुकसान पहुंचा और सबको सुरक्षित निकाल लिया गया। बचाव कार्य में देरी के सवाल पर उनका कहना है कि पहले बाहर से आग बुझाई गई। उसके बाद ही यात्रियों को बाहर निकाला गया।
अब कई स्तर पर उक्त घटना की जांच की जा रही है। राज्य सरकार ने मेट्रो रेलवे प्रबंधन को कड़ी चेतावनी देते हुए आगे से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने का निर्देश दिया है। फायर ब्रिगेड विभाग ने भी इस मामले में प्रबंधन को नोटिस जारी किया है। मेट्रो रेलवे ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। यह जांच रिपोर्ट दस दिन में मिलने की संभावना है। इसमें आग लगने के बाद रेल कमर्चारियों की कथित लापरवाही के पहलू की भी जांच की जाएगी। वैसे, नए रेक की कमी और रखरखाव के अभाव से आए दिन मेट्रो सेवा में कोई न कोई तकनीकी दिक्कत पैदा हो जाती है। समय पर ट्रेनें नहीं चलना और बीच-बीच में कुछ ट्रेनों का रहस्यमय तरीके से लापता हो जाना आम लोगों की समस्याएं बढ़ाता रहा है।

