देश के उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने का तरीका है। वे रविवार को नर्मदा तट पर बनी सरदार वल्लभभाई पटेल की इस मूर्ति को देखने गए थे।
युवा पीढ़ी के सामने पेश किया गया विकृत इतिहास : नायडू ने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश देश की युवा पीढ़ी के सामने आजादी के संग्राम और आजादी के बाद की घटनाओं का विकृत वर्णन किया गया है। सरदार पटेल जैसे कई नेताओं के योगदान का जिक्र तक नहीं किया गया। उनके बारे में सिर्फ आंशिक जानकारी दी गई।’’
पटेल के संघर्ष की याद दिलाती रहेगी यह प्रतिमा : उप-राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी आधुनिक भारत के निर्माण में सरदार पटेल की दूरदर्शिता, साहस, क्षमताओं और योगदान की याद दिलाती है। यह ऐतिहासिक प्रतिमा भारत को एकजुट करने और देश की एकता व एकीकरण बनाए रखने के सरदार पटेल के संघर्ष की याद दिलाती रहेगी।’’ नायडू ने कहा कि इस प्रतिमा को बनाने में खर्च की गई रकम जायज है। यह अमूल्य निवेश है।
नेहरू ने नहीं दिया था पटेल की चेतावनी पर ध्यान : बता दें कि ‘लौह पुरुष’ कहलाने वाले सरदार पटेल देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। नायडू ने बताया, ‘‘पटेल ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने चीन से होने वाले खतरे की जानकारी दी थी।’’ नायडू ने कहा कि हम 1962 में अपने एक पड़ोसी से हुई जंग और उसके परिणाम के बारे में जानते हैं। अगर सरदार पटेल की बात को गंभीरता से लिया जाता तो स्थिति अलग हो सकती थी। सरदार पटेल द्वारा उठाए गए सभी मुद्दे आज भी प्रासंगिक हैं।