उत्तराखंड राज्य बनने के साथ सूबे का परिवहन निगम हमेशा घाटे में रहा ही है। परिवहन निगम में दो साल से विशेष श्रेणी की यात्राओं में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ है। सूबे के लगभग सभी डिपो में सांसद, विधायकों और पूर्व विधायकों के विशेष श्रेणी के टिकटों पर पांच हजार के करीब यात्राएं हुई है। सांसदों के टिकटों पर बीते 10 महीनों में करीब दो हजार सात सौ पचास, विधायकों के टिकटों पर पांच सौ तथा पूर्व विधायकों के टिकटों पर करीब तेरह सौ यात्राएं की गई हैं। साथ ही आर्मी वारंट के नाम पर लगभग पांच हजार यात्राएं की जा चुकी हैं।
उत्तराखंड परिवहन निगम के आंकड़ों के मुताबिक सालाना वित्तीय वर्ष 2016-17 में केवल 181 सांसदों ने ही यात्रा की है, जिनकी यात्रा का खर्च तकरीबन 14000 रुपए आया हैं। निगम का मुख्यालय पहली जनवरी 2018 से 31 मार्च 2018 तक के सांसदों, विधायकों और पूर्व विधायकों के खास श्रेणी के टिकटों की जांच भी करवा रहा है। जबकि निगम के मुख्यालय में बैठे अधिकारी पिछले सालों से हो रहे फर्जीवाड़े की जांच करवाने से हिचक रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान अप्रैल 2017 से दिसंबर 2017 तक सूबे के 22 डिपो की बसों में सांसदों के टिकटों पर जो दो हजार सात सौ पचास यात्राएं हुई, उनमें तकरीबन डेढ़ लाख से ऊपर खर्च आया है। उत्तराखंड विधानसभा के मौजूदा विधायकों की तकरीबन पांच यात्राओं पर 76 हजार से ज्यादा का खर्च आया है। पूर्व विधायकों की तेरह सौ के करीब यात्राओं पर 87 हजार रुपए खर्च हुए हैं। वहीं आर्मी वारंट की पांच हजार यात्राओं पर सबसे अधिक नौ लाख रुपए खर्च हुए हैं। इन सभी यात्राओं का खर्च 12 लाख रुपए से ज्यादा बैठता है।
वहीं, परिवहन निगम के मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक बड़े स्तर पर जनप्रतिनिधियों की यात्राओं में धांधली हुई है जबकि उत्तराखंड के अधिकतर सांसद, विधायक और पूर्व विधायक उत्तराखंड रोडवेज की बसों में सफर करने से मना कर रहे हैं। उत्तराखंड परिवहन निगम के अधिकारी जनप्रतिनिधियों की इन बस यात्राओं पर गोलमोल जवाब दे रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में 9 महीने में पांच हजार आर्मी वारंट यात्राएं हुईं। इनमें से अधिकतर यात्राएं उन स्थानों पर प्रदर्शित की गई है, जहां रेलवे स्टेशन मौजूद हैं। जबकि 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक एक साल में एक भी आर्मी वारंट यात्राएं नहीं हुर्इं और अगले वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल 2017 से 31 दिसंबर 2017 तक कुल नौ महीने में पांच हजार से ज्यादा आर्मी वारंट यात्राएं हो गर्इं। इस तरह उत्तराखंड परिवहन निगम अपनी स्थापना के साथ ही सफेद हाथी बना हुआ है।
उत्तराखंड सरकार किसी भी तरह के फर्जीवाड़े को बर्दाश्त नहीं करेगी और इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर सही तथ्यों का पता लगाया जाएगा, साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-यशपाल आर्य, उत्तराखंड के परिवहन मंत्री
निगम के सामने अभी यह मामला नहीं आया हैं। जैसे ही मामला आएगा तो निगम उसकी तत्काल जांच कराएगा।
-दीपक जैन, महाप्रबंधक, (तकनीकी संचालन विभाग) उत्तराखंड परिवहन निगम
