केंद्रीय राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह के बयान पर कई हिन्दूवादी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इसी क्रम में महंत राजकुमार दास ने दो टूक शब्दों में कहा है कि गंगा में न तो राख प्रवाहित करना छोड़ेंगे, न ही हड्डियों को डालना। उन्होंने कहा कि मां गंगा का धरती पर अवतरण ही मानव कल्याण के लिए हुआ है। महंत दास ने कहा कि अगर सरकारों को गंगा साफ करना है तो वे सबसे पहले गंदे नालों का गंगा में गिरना रोकें। उन्होंने केंद्रीय मंत्री के तर्कों को मानने से इनकार कर दिया कि फूल-माला और पूजन सामग्री डालने से गंगा मैली होती है।
बता दें कि मंगलवार (19 दिसंबर) को केंद्रीय जल संसाधन एवं नदी विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने हरिद्वार में ‘नमामि गंगे प्रोजेक्ट’ के एक कार्यक्रम में लोगों से अपील की थी कि लोग अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने के बजाय उसे जमीन पर एक स्थान पर जमा कर दें और उसके ऊपर पौधे लगाएं। उन्होंने अंतिम संस्कार के बाद राख और पूजा के फूलों को भी गंगा में प्रवाहित न करने की अपील की थी।
मंत्री की इस अपील पर कई हिंदू संगठनों से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई है। गौरतलब है कि हिंदू परंपरा में गंगा को बेहद पवित्र नदी माना गया है। यही कारण है कि लोगों के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को (राख) गंगा में प्रवाहित किया जाता है। हालांकि, कुछ धर्माचार्यों ने मंत्री की अपील का समर्थन भी किया है। महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने केंद्रीय मंत्री की इस अपील को सार्थक बताया है और कहा है कि बदलते दौर में लोगों को कुछ चीजें बदलने की आदत डालनी चाहिए। इस तरह साधु-संत भी इस मुद्दे पर बंटे हुए नजर आ रहे हैं।
Mahant Rajkumar Das on Union Minister Satyapal Singh's comments on immersion of ashes in Ganga pic.twitter.com/vDOD1KAkFX
— TIMES NOW (@TimesNow) December 20, 2017
This is a welcome statement by the minister, says Mahant Girishpati Tripathi pic.twitter.com/BTE8xQSDEj
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