उत्तराखंड में पोशाक पहनने को लेकर राज्य सरकार और सूबे के मास्टर जी आमने-सामने आ खडे़ हुए हैं। सूबे के माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने दो टूक एलान किया है कि सूबे के सभी मास्टर जी इस साल से वर्दी पहनकर आया करेंगे। ड्रेस कोड लागू होते ही सूबे के सभी मास्टरों और उसके संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया।
इस साल का शिक्षा सत्र शुरू होने पर मास्टरों ने ड्रेस कोड का बहिष्कार किया और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई वर्दी को पहना नहीं और सरकारी आदेश को ठेंगे पर रख दिया, जिससे राज्य सरकार की खासी किरकिरी हो रही है। राजकीय शिक्षक संघ के महामंत्री डॉक्टर सोहन सिंह माजिला का कहना है कि जब तक सरकार वर्दी भत्ते के साथ ही उनकी अन्य मांगों पर कदम नहीं उठाती, तब तक वे ड्रेस कोड का पालन नहीं करेंगे। सरकार को अड़ियल रवैया छोड़कर शिक्षकों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए।
उत्तराखंड में राज्य सरकार ने ड्रेस कोड राजकीय माध्यमिक और प्राइमरी स्कूलों में लागू करने के आदेश दिए है। राजकीय स्कूल-कॉलेजों में ड्रेस कोड पूरी तरह लागू होने के बाद सूबे के अशासकीय विद्यालयों में भी इसे लागू किया जाएगा। शिक्षाविद और गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एएन पुरोहित ने शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू किए जाने के राज्य सरकार के फैसले को बेतुका बताते हैं।

प्रोफेसर पुरोहित का कहना है कि शिक्षकों पर ड्रेस कोड पूरी दुनिया में कहीं भी लागू नहीं है। ड्रेस कोड का शिक्षा और अनुशासन से कोई ताल्लुक नहीं है। ऐसा करके शिक्षा का स्तर बेहतर करने का काम नहीं हो सकता है। शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए राज्य सरकार को अन्य ठोस उपाय करने चाहिए। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रमुख नेता मनोज चौहान का कहना है कि शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू करने से पहले शिक्षक संगठनों से कोई राय नहीं ली और तानाशाही दिखाते हुए जबरन शिक्षकों पर ड्रेस कोड थोप दिया। जबकि सूबे के माध्यमिक और प्राइमरी के शिक्षक कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। शिक्षकों को कई-कई महीनों तक वेतन नहीं मिल पाता है। शिक्षकों की कई पीड़ाएं हैं जिन्हें सरकार दूर करने के बजाय उनपर अपने निर्णय जबरन थोप रही है।

राज्य सरकार ने शिक्षकों के लिए आसमानी रंग की कमीज और स्टील ग्रे रंग की पेंट और शिक्षिकाओं के लिए नीले रंग का सूट या साड़ी ड्रेस कोड के रूप में निर्धारित की है। शिक्षकों का कहना है कि राज्य सरकार ने ड्रेस कोड लागू करने का तुगलकी फरमान तो जारी कर दिया, परंतु अन्य राजकीय कर्मचारियों की तरह वर्दी भत्ता की कोई व्यवस्था नहीं की है।
उत्तराखंड के माध्यमिक शिक्षा विभाग के मुताबिक उत्तराखंड में राजकीय इंटर कॉलेजों की तादाद 1287 तथा हाईस्कूूलों की तादाद 962 है। वहीं अशासकीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों की तादाद 584 और हाईस्कूलों की तादाद 282 है। प्राइमरी स्कूलों की तादाद करीबन 2100 है। पूरे उत्तराखंड में माध्यमिक प्राइमरी शिक्षक-शिक्षिकाओं की तादाद तकरीबन 90 हजार है।उत्तराखंड के शिक्षकों की वर्दी का विवाद इतना ज्यादा तूल पकड़ गया है कि अब यह मामला उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दरबार में जा पहुंचा है। अब मुख्यमं ाी के यहां शिक्षक संगठनों, शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों तथा विद्यालयी शिक्षा मंत्री के बीच पंचायत होगी। जिसमें यह मामला तय होगा। माध्यमिक शिक्षा मंत्री के खिलाफ सूबे के शिक्षकों का पारा इस समय सातवें आसमान पर है।