उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में तेजी के साथ मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों की जान आफत में पड़ गई है। देहरादून के रायवाला, छिद्दरवाला, श्यामपुर, ऋषिकेश के भद्रकाली क्षेत्र ,पशुलोक ,हरिपुर कला, मोतीचूर और हरिद्वार जिले के भूपतवाला, जिया पोता, जगजीतपुर ,मिस्सरपुर, पंजन हेड़ी ,फेरूपुर, बीएचईएल समेत 30 गांवों में जंगली हाथियों और तेंदुए की दहशत छाई हुई है।
बीते एक हफ्ते में तेंदुए और हाथी के हमले में तीन लोग अपनी जान गवां चुके हैं औरछह लोग घायल हुए हैं। यह क्षेत्र राजाजी नेशनल पार्क से जुड़ा है। उत्तराखंड का वन विभाग जंगली जानवरों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने में नाकाम रहा है, क्योंकि उसके पास जंगली जानवरों और वन्यजीव तस्करों से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा कर्मचारी नहीं है।

वहीं, उत्तराखंड के इन मैदानी इलाकों में गन्ने और धान की फसल के समय जंगली हाथी अपनी भूख मिटाने के लिए इन गांवों के खेतों में चले आते हैं। जहां वे फसलों को तबाह कर रहे हैं। वहीं वे किसानों की जान के भी दुश्मन बने हुए हैं। अभी तीन दिन पहले ही एक जंगली हाथी ने जिया पोता गांव में एक किसान और पंजनहेडी गांव में एक महिला को कुचलकर मार डाला। बीएचईएल हरिद्वार में एक तेंदुए ने जंगल के पास एक व्यक्ति को अपना शिकार बनाया। जबकि हरिद्वार के औद्योगिक क्षेत्र में घुसे एक तेंदुए ने एक महिला को झपट्टा मारकर घायल कर दिया।

बीएचईएल उपनगरी समेत देहरादून और हरिद्वार के गांवों जंगली जानवरों के भय से लोग दहशत में है और वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। जंगली हाथियों द्वारा दो लोगों को मार डालने के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने हरिद्वार के जिला वन अधिकारी सहित कई वन कर्मियों को बंधक बना लिया जिन्हें पुलिस तथा जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद ही छुड़ाया जा सका। इस समय जंगली जानवरों का आबादी क्षेत्र में आना जारी है। उधर उत्तराखंड के जंगलात विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सोशल साइट पर कुछ भी पोस्ट करने से पहले लोगों को उसकी सत्यता जान लेनी चाहिए। इस तरह की किसी भी प्रकार की अफवाह को फैलाना नहीं चाहिए। गलत वीडियो से लोगों में भ्रम उत्पन्न होता है।

उत्तराखंड के आबादी क्षेत्र में हाथियों को आने से रोकने के लिए जंगलात विभाग के पास स्टाफ की कमी है। जंगलात विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो संविदा कर्मी जंगलों की गश्त के लिए तैनात किए जाते हैं, उनके मन में डर का माहौल होता है कि जंगली जानवरों के यदि वे शिकार हो गए तो उनके परिवार वालों को उचित मुआवजा सरकार की ओर से नहीं मिलेगा। इस डर से संविदा कर्मी यहां ज्यादा दिन नहीं टिक पाते हैं।

उत्तराखंड के जिन मैदानी क्षेत्रों में जंगली जानवरों का सबसे ज्यादा आतंक है। वहां पर जंगलात विभाग को एक फ्रंट लाइन फोर्स की आवश्यकता है। जंगलात विभाग में अभी वन सुरक्षाकर्मियों की कुछ भर्तियां भी होनी है। उसके बाद ही स्थिति में कुछ सुधार हो सकता है। एक हाथी की निगरानी के लिए चार से पांच लोगों की आवश्यकता होती है। जंगलात विभाग के पास अभी जो सुरक्षा टीम है, उनकी तादाद में 60 फीसद तक कमी है। हरिद्वार के जंगलात क्षेत्र में ही 97 फॉरेस्ट गार्ड चाहिए, जबकि जंगलात विभाग के पास अभी केवल 61 सुरक्षाकर्मी ही है।