उत्तराखंड पुलिस ने मंगलवार को चार लोगों को कथित रूप से उत्तराखंड स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए बुक किया है। पुलिस के मुताबिक यह पाया गया है कि एक महिला ने इस साल सितंबर में एक आदमी से शादी करने के लिए कानून के प्रावधानों का पालन किए बिना धर्म परिवर्तन किया था।

महिला और उसके पति के खिलाफ इस मामले में केस दर्ज़ किया गया है। इसके अलावा उनके चाचा और एक क़ाज़ी को भी बुक किया गया है। जिन्होंने लड़की का धर्मांतरण कराया और इन दोनों का निकाह कराया था। उत्तराखंड फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट के तहत यह पहला मामला है। राज्य सरकार द्वारा यह कानून 2018 में लागू किया गया था।

देहरादून के पटेल नगर पुलिस स्टेशन में महिला, उसके पति समीर अली, उसके चाचा शौकीन और क़ाज़ी मुफ़्ती सलीम अहमद के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह मुद्दा इस साल के शुरू में सामने आया जब समीर ने नैनीताल हाईकोर्ट में अपने लिए सुरक्षा की गुहार लगाई। अदालत ने देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को जांच करने का निर्देश दिया। सर्कल ऑफिसर (सदर) अनुज कुमार को जांच सौंपी गई।

एक पुलिस विज्ञप्ति के अनुसार, समीर ने डेढ़ साल पहले देहरादून में ट्यूशन कक्षाओं में महिला से मुलाकात की थी। उस समय वह 21 वर्ष के थे और महिला की उम्र 19 थी। पुलिस के अनुसार, उन्होंने इस वर्ष आपसी सहमति से शादी करने का फैसला किया और मुफ्ती सलीम अहमद से संपर्क किया। पुलिस जांच के अनुसार, मुफ्ती ने ही महिला का धर्म परिवर्तन कराया और उसे प्रक्रिया को पूरा किए बिना नए नाम का प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

उसी दिन 29 सितंबर को क़ाज़ी ने समीर के चाचा शौकीन की मौजूदगी में उनके निकाह कर दिया। सर्कल ऑफिसर अनुज कुमार ने बताया “यह पाया गया कि समीर, महिला, क़ाज़ी और शौकीन ने धर्म स्वातंत्रता संहिता, 2018 (उत्तराखंड स्वतंत्रता अधिनियम का उल्लंघन) का उल्लंघन किया है। इस आधार पर, उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।”

कुमार ने कहा कि महिला के माता-पिता की जानकारी के बिना निकाह किया गया था। वर्तमान में, वह अपने पति के साथ रह रही है। प्राथमिकी उत्तराखंड स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 3, 8 और 12 के तहत दर्ज की गई है।