उत्तराखंड में एक पखवाड़े का कला पर्व सुर-मर्मज्ञ पंडित राजन-साजन मिश्र के भजनों से शुरूहुआ। बनारस घराने की खयाल गायिकी के सिद्ध गायक राजन-साजन की मनमोहक शैली का श्रोताओं ने भरपूर आनंद उठाया। कला महोत्सव में सूफी गायक बडाली बंधुओं ने श्रोताओं को अपनी गायिकी का मुरीद बना दिया। सूफी और पंजाबी लोकगीतों ने श्रोताओं को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया। देहरादून में विरासत की एक शाम लोकगीत नृत्य और कव्वालियों के नाम रही। वारसी बंधुओं की कव्वालियों ने समां बांध दिया। वारसी बंधुओं की कव्वाली ‘मौला अली मौला’ ने सुर-सुजानों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कला पर्व की एक शाम पंजाब के गिद्दा और भंगड़ा के नाम रही। पंजाब के कलाकारों- जगमोहन जोत की अगुवाई में मंच पर शानदार भंगड़ा पेश किया गया। पूरा पंडाल भंगड़ा के जोश से थिरक पड़ा। मध्यप्रदेश के मालवा के लोकगायक कालूराम बमनिया ने कबीर, मीरा और गोरखनाथ के निर्गुण भजनों की शानदार प्रस्तुति दी। ओडिशी नाट्य-नृत्य की मशहूर कलाकर अरबी पल्लवी, दीक्षा, मंजीरी, डोना गांगुली की टीम ने भगवान शंकर- पार्वती, राधा-कृष्ण के प्रेम प्रसंगों को बड़ी ही खूबसूरती से अपनी नृत्य नाटिका में पेश किया। हिमाचली गिद्दा की कलाकार पूनम वर्मा के नेतृत्व में झमकड़ा नृत्य की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोहा।
प्रसिद्ध सितार वादक उस्ताद शुजात खान के सितार वादन, निष्ठा जोशी, नंदा मलिक के भरत नाट्यम, उत्तराखंड की हेमा नेगी के जागर और लोक संगीत, असम के कलाकारों के बिहू नृत्य, गोवा के कलाकारों के लोकनृत्य ने कला पर्व की विभिन्न शामों को गुलजार किया। मथुरा के लोक कलाकारों ने रासलीला प्रस्तुत की। मथुरा के मदन लाल शर्मा के नेतृत्व में कलाकारों ने रासलीला के माध्यम से कृष्ण और गोपियों की अठखेलियों और प्रेम प्रसंगों का सजीव मंचन किया। कुमाऊंनी कलाकारों की बैठकी और खड़ी होली ने कला पर्व की शाम में अनूठा रंग घोला।
गुजरात के डांडिया नृत्य और उत्तराखंड के जोनसार के कलाकार सुनीता पंवार और उनके साथियों ने तांडी और लोटा नृत्य से श्रोताओं को आनंदित किया।
कला पर्व के दौरान विंटेज कार और मोटर साइकिल रैली भी आकर्षण का केंद्र रही। 80 से ज्यादा प्रतिभागियों ने इस रैली में भाग लिया। 1927 में ब्रिटेन में बनी क्लासिक कार फोल्ड सीएक्स विंटेज कार रैली का खास आकर्षण रही। इस कार के मालिक विजय अग्रवाल अपनी इस कार के साथ कला पर्व में मौजूद थे। यह कार दुनिया की दुर्लभ कारों में से एक है। इसके अलावा कला पर्व में मेहंदी, रंगोली, अंताक्षरी, चित्रकला प्रतियोगिताओं में स्कूली बच्चों और स्थानीय लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। देशभर के जाने-माने चित्रकारों का भी कैंप कला पर्व के दौरान लगाया गया। लोकगीतों के साथ-साथ पाश्चात्य गीतों की भी कलाकारों ने प्रस्तुति दी। विरासत और रीच संस्थाओं ने इस कला पर्व का आयोजन किया था।

