अवैध खनन के मामले में सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। कई सफेदपोशों को बेनकाब किया गया है। इस बीच, अवैध खनन रोकने और इस कारोबार में नेताओं व माफिया पर नकले कसने के लिए सरकार ने ई-टेंडर के जरिये खनन ठेका देना शुरू किया है। वाराणसी में तैनात खनन अधिकारी अनिल कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने खनन ठेका देने की छह माह की प्रक्रिया शुरू की है। सपा व बसपा सरकार के दौरान यह प्रथा पांच वर्ष थी। उन्होंने बताया कि वाराणसी समेत आसपास के जिलों में न्यायालय के सख्त रवैये के कारण विभाग ने खनन कार्य रोक दिया है। वाराणसी के कलेक्टर योगेश्वर राम मिश्र ने गंगा बालू खनन, ईंट भट्ठे रोक लगा दी है। गंगा बालू का अवैध कारोबार करने वालों पर एफआइआर हुई और उन्हें गिरफ्तार किया गया। उनकी सभी गाड़ियां जब्त कर ली गईं।
खनन अधिकारी ने बताया कि काशी गंगा क्षेत्र के कुछ घाटों पर ठेका देने पर रोक है। दरअसल, इन क्षेत्रों में कछुआ सेंचुरी है। न्यायालय के निर्देश पर वन विभाग में इन इलाकों में बालू खनन पर रोक लगाई है। उन्होने कहा कि वर्ष 2016-17 के दौरान ईंट भट्ठों, गंगा किनारे बालू के अवैध खनन को रोकने के अलावा गिट्टी भरी दर्जनों गाड़ियां जब्त की गई हैं। डेढ़ दर्जन र्इंट भट्ठा मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। अवैध खनन के मामले में चौबेपुर, चोलापुर रोहनिया, कैं ट, बडागांव, कपसेठी सारनाथ, जन्सा थाने में कई के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। और 33 व्यक्तियों को जेल भेजा गया है।