मथुरा के गांव में अज्ञात निवासियों ने आवारा पशुओं को चार सरकारी स्कूलों में बंद कर दिया क्योंकि वे कथित तौर पर उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे थे, जिला प्रशासन ने शनिवार को जानवरों को आजाद करते समय चार गायों को मृत पाया गया। जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. भुदेव सिंह ने कहा, “ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया है कि मौतें दम घुटने की वजह से हुई हैं।” मथुरा के जिलाधिकारी सर्वज्ञ राम मिश्रा ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं महावन तहसीलदार पवन प्रकाश पाठक ने कहा कि, “पिछले दो दिनों से करब गांव में स्कूल के अंदर जानवरों को बंद कर दिया गया था। इसलिए, छात्रों के लिए स्कूल नहीं खोला जा सकता है। शनिवार को हमने स्कूल खाली किया और चार गायों को मृत पाया। पोस्टमार्टम के बाद जानवरों को दफनाया गया।”

डीएम मिश्रा ने कहा कि सभी स्कूलों को खाली कर दिया गया है और मवेशियों को गौशालाओं में पहुंचाया गया है। यह कुछ बदमाशों की करतूत थी जो जिले में कानून व्यवस्था को बिगाड़ना चाहते हैं। हम जानवरों को उचित स्थान देने की व्यवस्था कर रहे हैं। इस बीच, हाथरस में, जिला प्रशासन ने रविवार को स्थानीय निवासियों से आवारा पशुओं की व्यवस्था करने के लिए एक और दिन का समय मांगा। पिछले हफ्ते, हाथरस में किसानों के एक समूह ने तीन स्कूलों में सैकड़ों मवेशियों को बंद कर दिया था, और उनके लिए उचित व्यवस्था नहीं करने पर उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के सादाबाद कार्यालय में जानवरों को छोड़ने की धमकी दी थी। जिला प्रशासन और पुलिस की एक टीम तब घटनास्थल पर पहुंची और जानवरों को हटाया।

बाद में अज्ञात किसानों के खिलाफ पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। एसडीएम ज्योत्सना बंधु ने कहा, “ग्रामीणों की मांग है कि एफआईआर वापस ली जाए।” शुक्रवार को आरएलडी के पूर्व विधायक अनिल चौधरी के नेतृत्व में किसानों ने एसडीएम के कार्यालय का घेराव किया। चौधरी ने रविवार को कहा, “जिला प्रशासन ने मवेशियों के लिए जगह की व्यवस्था करने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के लिए आज एक दिन का और समय मांगा। प्रशासन का दावा है कि अस्थायी गौशालाओं में लगभग 10,000 जानवरों को रखने की व्यवस्था की गई है। हमने उन्हें एक और दिन देने का फैसला किया है। यदि वे कल तक औपचारिकता पूरी करने में विफल रहते हैं, तो हम जानवरों को एसडीएम के कार्यालय के अंदर बंद कर देंगे।”