दुर्लभ प्रजाति के कछुओं का शिकार करके उनके चिप्स बना कर तस्करी करने के मामले के तेजी सामने के आने के कारण अफसरों की निगाह चम्बल अभयारण्य की ओर टिक गई हैं। अब से काफी पहले जिंदा कछुओं की तस्करी चम्बल इलाके से पश्चिम बंगाल के लिए की जाती थी । यदाकदा पश्चिम बंगाल से आए हुए तस्करों की यहां पर गिरफ्तारी होती थी लेकिन स्थानीय कछुआ तस्करों की गिरफ्तारी बड़ी संख्या में होती रही है। जिंदा हालत में कछुओं की तस्करी करना बेहद मुश्किल भरा होता जा रहा है क्योंकि पुलिस के अलावा अन्य एजेंसियों की निगहबानी बहुत ज्यादा हो गई है लेकिन अब कछुआ तस्करों ने कछुओं के चिप्स बनाकर के इसकी तस्करी का एक नया रास्ता निकाला है। वैसे सबसे पहले कछुओं की चिप्स बनाए जाने का मामला साल 2000 में उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में सामने आया था लेकिन तब इस बात का अंदाजा नहीं था कि कछुओं की तस्करी के बजाय उनके चिप्स भी बना कर बाजार में उतारे जा सकते हैं। चिप्स का यह कारोबार थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर आदि देशों तक जा पहुंचा है।
“देहरादून स्थित भारतीय वन्य जीव संस्थान के संरक्षण अधिकारी डॉ राजीव चौहान बताते हैं कि 1979 में सरकार ने कछुओं सहित दूसरे जलचरों को बचाने के लिए चम्बल से लगे 425 किलोमीटर में फैले तटीय क्षेत्र को राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य घोषित कर दिया था। बावजूद इसके 1980 से अब तक 85 हजार कछुए बरामद किए जा चुके हैं। 100 तस्कर पकड़े गए हैं। 24 तस्कर तो पिछले तीन साल में ही पकड़े जा चुके हैं। चिप्स के तस्करों को पकडने के लिए टीमों को सक्रिय कर दिया गया है।”
-एनएस यादव, इटावा के वन रेंज अफसर
कई गिरफ्तारियां
2000 के बाद कछुओं के 32 किलो चिप्स को पकड़े जाने का मामला साल 2006 में इटावा के ही जसंवतनगर मे सामने आया था। तब छह कछुआ तस्करों को गिरफ्तार किया गया था। जहां चम्बल इलाके में मात्र 5000 रुपए प्रति किलोग्राम से बिकने वाले कछुए के चिप्स भारत के बाहर पहुंचते ही 200000 रुपए के हो जाते हैं।
31 मार्च को कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर कछुओं के तस्कर सलीम शेख को 27 किलो खालें व कछुओं के सूखे हुए अंग के संग पकड़ा गया था। इसकी गिरफ्तारी के बाद कछुओं की चिप्स बनाने वालों पर निगहबानी तेज हो गई।
03 अप्रैल को ही कानपुर के घाटमपुर मे जहानाबाद रोड पर एक ट्रक से 103 किलोग्राम कछुओं के चिप्स बरामद किए गए। इस सिलसिले मे दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। एक किलोग्राम चिप्स के लिए औसतन 50 से 70 कछुओं को मारा जाता है।
04 अप्रैल को इटावा स्टेशन पर एसटीएफ और वन विभाग की टीम ने कछुओं के 26 किलो चिप्स बरामद कर एक तस्कर को गिरफ्तार किया। औरैया के एक किसान से खरीद कर लाई गई कछुए की कैलपी के साथ तस्कर जोशीईददीन को इटावा रेलवे स्टेशन से तब पकड़ा गया। जब रात नौ बजे के करीब इसको माल्दा पश्चिम बंगाल पूर्वा एक्सप्रेस से ले जाने की फिराक में था। तब एसटीएफ और वन विभाग की संयुक्त टीम ने छापेमारी करके 26 किलो चिप्स बरामद किए।