उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में जमीन विवाद में 10 लोगों की हत्या के मामले में यूपी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। सरकार ने इस मामले में एक सब डिविजनल मजिस्ट्रेट और 4 पुलिसवालों को सस्पेड कर दिया है। वहीं, मामले में जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं। उधर, इस मामले से जुड़ा एक नया खुलासा हुआ है। पता चला है कि हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त और उसका परिवार वारदात से पहले भी जमीन पर खेती करने वाले गोंड समुदाय के लोगों को निशाना बनाते रहे हैं।
बता दें कि यज्ञ दत्त और उसके परिवार के 10 अन्य लोगों ने 2007 में बिहार कैडर के रिटायर हो चुके आईएएस अफसर की पत्नी और बेटी से विवादास्पद 145 बीघा जमीन खरीदी थी। इसके बाद से ही वे इस पर खेती करने वाले गोंड समुदाय के लोगों से जमीन छीनने की कोशिश कर रहे थे। जमीन की इस बिक्री को गोंड समुदाय के लोगों ने अवैध करार देते हुए पहले राजस्व अधिकारियों से शिकायत की थी। बाद में इसी साल कोर्ट में भी मामला दाखिल किया था।
पिछले साल ग्राम प्रधान और उसके परिवार ने गोंड समुदाय के सदस्यों के खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज कराए थे। दो एफआईआर में से हर में 25-25 लोगों के नाम थे, जबकि तीसरे में 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। इन तीनों ही एफआईआर में रामराज का नाम शामिल है। रामराज वो शख्स हैं, जो प्रधान और उनके परिवार के खिलाफ मामले केस लड़ रहे हैं। संयोग से रामराज ही 17 जुलाई को हुई हत्याओं के मामले में गवाह भी हैं।
बता दें कि इस हत्याकांड में अभी तक 29 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसमें भदोही रेलवे स्टेशन के सुपरीटेंडेंट कोमल सिंह भी शामिल हैं, जो प्रधान के रिश्तेदार हैं। कोमल सिंह की पत्नी उन 11 लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने विवादास्पद जमीन खरीदी। वाराणसी जोन के अडिशनल डायरेक्टर जनरल बृज भूषण के मुताबिक, शिकायत में कहा गया है कि जब दोनों पक्षों के बीच संघर्ष हुआ तो कोमल मौके पर मौजूद थे।
गोंड खेतिहरों के खिलाफ पहली एफआईआर पिछले साल 24 जुलाई को दर्ज कराई गई थी। इस मामले में शिकायतकर्ता प्रधान के भतीजे राजकुमार सिंह हैं। उनका आरोप था कि 25 लोग सात ट्रैक्टरों पर सवार होकर आए और जबरन उस जमीन को जोतने लगे जो उन्होंने और बाकी लोगों ने खरीदी थी। वहीं, 29 अक्टूबर को गोंड खेतिहरों के खिलाफ दो और मामले दर्ज कराए गए। इसमें शिकायतकर्ता राज कुमार सिंह के अलावा प्रधान के दूर के रिश्तेदार मोनू सिंह थे।
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में राम राज ने दावा किया कि प्रधान और उसके सहयोगी बीते दो साल से उन्हें धमका रहे हैं। इसके अलावा, उन्हें और उनके समुदाय के अन्य लोगों को फर्जी मामलों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस के मुताबिक, इन तीनों ही एफआईआर में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है।