उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने दिल्ली-नोएडा फ्लाईवे (DND) को टोल फ्री करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इंकार किया। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार (11 नवंबर) को कैग से डीएनडी फ्लाइवे परियोजना की लागत की जांच करने और इसकी एक रिपोर्ट अदालत के समक्ष जमा करने को कहा। गौरतलब है कि एनसीआर क्षेत्र के लाखों यात्रियों को राहत देने वाले फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 26 अक्टूबर को आदेश दिया था कि कि आठ लेन वाले और 9.2 किलोमीटर लंबे ‘दिल्ली नोएडा डायरेक्ट’ (डीएनडी) फ्लाईओवर का प्रयोग करने वालों से अब टोल टैक्स नहीं वसूला जाएगा। न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने आदेश सुनाते हुए ‘फेडरेशन आफ नोएडा रेजीडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन’ द्वारा दायर जनहित याचिका का अनुरोध स्वीकार किया।

वीडियो: DND फ्लाइवे के टोल-फ्री होने के बाद खुश नज़र आए यात्री

साल 2012 में दायर जनहित याचिका में नोएडा टोल ब्रिज कंपनी द्वारा उपयोगकर्ता शुल्क के नाम पर टोल लगाने और संग्रहण को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने आठ अगस्त को इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। इस फ्लाइओवर पर साल 2001 में वाहनों का संचालन शुरू हुआ था।

सौ से अधिक पेज के फैसले में अदालत ने कहा कि जो उपयोगकर्ता शुल्क वसूला जा रहा है उसे नोएडा टोल ब्रिज कंपनी, इस परियोजना के प्रमोटर और डेवलपर ‘इंफ्रास्टक्चर लीनिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज’ और नोएडा प्राधिकरण से जुड़े वे कानूनी प्रावधान समर्थन नहीं देते जिनके आधार पर यह शुल्क लिया जा रहा है। इसमें कहा गया कि यात्रियों पर उपयोगकर्ता शुल्क लगाना और वसूलना उप्र औद्योगिक विकास अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है। अदालत ने कहा कि नोएडा टोल ब्रिज कंपनी के अपने वित्तीय लेखाजोखा से साफ है कि उसने योजना शुरू होने से लेकर 31 मार्च 2014 तक टोल आय से करीब 810.18 करोड़ रूपये वसूले और संचालन एवं रखरखाव खर्चा तथा कारपोरेट आयकर हटाने के बाद यह राशि 578.80 करोड़ रूपये है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अत: हम इस बात पर संतुष्ट हैं कि कंपनी अब नोएडा टोल ब्रिज डीएनडी फ्लाईओवर के यात्रियों से उपयोगकर्ता शुल्क वसूल नहीं सकती।