दादरी के बिसाहड़ा गांव में बकरीद के मौके पर डर का माहौल है। मुसलमान इस दौरान कुर्बानी नहीं देंगे। उन्होंने हिंदुओं से त्योहार मनाने की अनुमति भी मांगी है। बिसाहड़ा मोहम्मद अखलाक का गांव है। यहां पर पिछले साल अखलाक की बीफ खाने के शक में भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। यह घटना बकरीद के तीन दिन बाद हुई थी। इस मामले में गांव के 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। अखलाक के परिवार के सात लोगों पर भी गोहत्या का केस दर्ज है। अखलाक का परिवार अब यहां पर नहीं रहता। उनके घरों पर ताले लगे हैं। अखलाक के भार्इ जान मोहम्मद का घर भी बंद है। जान मोहम्मद पर भी गोहत्या का मामला दर्ज किया गया है। यह मामला मथुरा लैब की रिपोर्ट आने के बाद दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार अखलाक के घर से मिला मांस गौवंश का था।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार गैर मुस्लिमों ने बकरीद पर मुसलमानों के घर खाना ना खाने की बात भी कही है। रिपोर्ट के अनुसार गांव की एक महिला ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कैसी बकरीद। पिछले साल का मामला ही अभी शांत नहीं हुआ। गांव में कोई भी बकरीद पर कुर्बानी नहीं दे रहा है। कुर्बानी के बारे में पूछे जाने पर एक युवक ने गरीबी और महंगाई का हवाला दिया। उसने बताया कि गांव का माहौल भी इसके लिए ठीक नहीं है। कुछ युवक उन पनर टिप्पणियां करते हैं। हालांकि पुलिस ने पिछले साल के मामले को देखते हुए हाई अलर्ट जारी कर रखा है।
कश्मीर: कर्फ्यू में ईद, लोग उदास और प्रदर्शनकारी जुलूस का डर
बिसाहड़ा के जारचा कोतवाली में पीएसी की एक अतिरिक्त कंपनी भेजी गई है। गांव में भी पीएसी का पहरा है। जिला प्रशासन पहले ही गांव में दो महीने के लिए धारा-144 लगा चुका है। गोहत्या के मामलों को लेकर भी पुलिस चौकसी रखे हुए हैं। पुलिस मुख्यालय से जारी आदेशों के अनुसार प्रत्येक थानाप्रभारी को जिम्मेदारी दी गई है कि किसी तरह की अप्रिय घटना ना हो। दंगा या बवाल होने पर थानेदार और दारोगा को जिम्मेदार माना जाएगा।
