जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सड़क, रेल व मेट्रो संपर्क मार्गों के विस्तार पर होने वाला खर्च नोएडा-ग्रेटर नोएडा की संपत्तियों को फ्री होल्ड करने की वजह बन सकता है। मौजूदा लीज होल्ड के बजाए संपत्तियों के फ्री होल्ड होने से सरकार को भारी राजस्व मिलेगा। हालांकि इससे शहर का प्रारूप बिगड़ने और आबादी बढ़ने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के चरमराने की भी प्रबल आशंका है। इस कड़ी में सबसे पहले शहर की आवासीय (रिहायशी) संपत्ति को फ्री होल्ड करने पर विचार किया जा रहा है। इस मुद्दे पर अगले हफ्ते प्राधिकरण में सलाहकार कंपनी के साथ बैठक प्रस्तावित है। आवासीय संपत्ति को फ्री होल्ड करने के प्रस्ताव कोबोर्ड बैठक में रखा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद उप्र शासन को भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद ही आवासीय संपत्ति को लीज मुक्त कर फ्री होल्ड करने की प्रक्रिया प्राधिकरण स्तर पर शुरू होगी। फ्री होल्ड होने पर आबंटी को संपत्ति का मालिकाना हक मिल जाएगा और लीज रेंट देने के झंझट से छुटकारा मिल जाएगा। दिल्ली, गाजियाबाद की तर्ज पर रिहायशी इमारत की मंजिलवार (फ्लोर के आधार पर) रजिस्ट्री कराई जा सकेगी। जानकारों का मानना है कि बोर्ड बैठक से लेकर शासन स्तर और मास्टर प्लान में बदलाव के लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से भी अनुमोदन कराना अनिवार्य होगा।
1976 में शहर के 81 गांवों को मिलाकर नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) का गठन हुआ था। शहर के आवासीय सेक्टरों में जमीन पर मालिकाना हक प्राधिकरण का है। केवल गांवों की आबादी और लाल डोरा की जमीन फ्री होल्ड है। प्राधिकरण 99 साल की लीज पर जमीन आबंटित करता है। आबंटी को अपनी संपत्ति के लिए प्राधिकरण को हस्तांतरण शुल्क देना पड़ता है। प्राधिकरण से एनओसी लिए बगैर आबंटी अपनी संपत्ति किसी को नहीं बेच सकता। वहीं, फ्री होल्ड होने के बाद मौजूदा ढांचे में परिवर्तन होगा। मंजिलवार रजिस्ट्री का रास्ता खुलने से शहर की आबादी में तेजी से इजाफा होगा। लीज होल्ड होने के बावजूद वर्तमान में ही शहर की आबादी 16 लाख से ज्यादा हो गई है। 2021 के मास्टर प्लान में शहर की आबादी 16 लाख अनुमानित थी। इससे ज्यादा आबादी अभी ही हो चुकी है। मास्टर प्लान 2031 में अनुमानित आबादी 25 लाख है। संपत्तियों के फ्री होल्ड होने पर शहर का बुनियादी ढांचाचरमराने की आशंका है। इसकी काट के लिए बुनियादी ढांचे में बदलाव करना जरूरी है। मौजूदा विकासशील परियोजनाओं और शहर की खूबसूरती पर भी इस बदलाव का असर दिखेगा, लेकिन कर्ज आदि लेने के लिए आबंटी को नोएडा प्राधिकरण का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेने की जरूरत नहीं होगी।
लीज होल्ड व्यवस्था में आबंटी अपनी संपत्ति की एक फीसद रकम को लीज रेंट के रूप में प्राधिकरण में जमा कराता है। एकमुश्त लीज रेंट जमा कराने वालों को अभी वार्षिक लीज रेंट की 11 गुना रकम एक साथ जमा करानी पड़ती है। संपत्ति के बिकने पर प्राधिकरण को हस्तांतरण शुल्क मिलता है। विभिन्न प्रकार की संपत्तियों के लिए शुल्क भी अलग-अलग तय है। लीज रेंट ही प्राधिकरण की आय का मुख्य स्रोत है। फ्री होल्ड होने पर प्राधिकरण को आय कहां से होगी, उसका समाधान सलाहकार कंपनी को निकालना होगा। समाधान निकलने पर ही प्राधिकरण अफसर प्रस्ताव तैयार कर उसे बोर्ड बैठक में रखेंगे।