जीएसटी लागू होने के बाद नोएडा के निवासियों पर 18 फीसद का अतिरिक्त भार पड़ने जा रहा है। लीज रेंट जमा कराने वाले आबंटियों को भी जीएसटी के दायरे में शामिल कर लिया गया है। यानी उन्हें प्राधिकरण को दिए जाने वाले सालाना लीज रेंट पर 18 फीसद जीएसटी भी देना होगा। हालांकि लीज रेंट पर 18 फीसद जीएसटी लागू करने का विरोध भी लोगों ने करना शुरू कर दिया है। अलबत्ता प्राधिकरण ने बचाव की मुद्रा अपनाते हुए लीज रेंट को भी जीएसटी के दायरे में शामिल करने का फैसला लिया है। लीज रेंट के अलावा टेंडर के जरिए निर्माण कार्यों करने वाले ठेकेदारों के बिलों और बकाएदारों के जुर्माने पर पर भी 18 फीसद जीएसटी कर लगेगा। नोएडा में फ्री होल्ड प्रॉपर्टी नहीं है। नोएडा प्राधिकरण आबंटियों को 99 साल की लीज पर प्रॉपर्टी आबंटित करती है। जिसके एवज में आबंटियों को सालाना लीज रेंट जमा कराना होता है।

नोएडा प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक, शहर में एक लाख से ज्यादा आबंटी हैं। इन आबंटियों को प्रॉपर्टी के एवज में सालाना लीज रेंट जमा कराना होता है। नई व्यवस्था के तहत उन्हें लीज रेंट के अलावा जीएसटी के रूप में 18 फीसद अतिरिक्त धनराशि जमा करानी होगी। नोएडा प्राधिकरण पर जीएसटी के प्रभाव को लेकर बुधवार को अहम बैठक हुई। बैठक में प्राधिकरण के सीईओ अमित मोहन प्रसाद के अलावा विशेषज्ञों और सभी विभागाध्यक्षों ने भाग लिया। जिसमें प्राधिकरण के लीज रेंट समेत सभी सेवाओं को जीएसटी के दायरे में मानते हुए 18 फीसद का अतिरिक्त कर लगाने का फैसला किया गया है। प्राधिकरण अधिकारियों ने 1 जुलाई से जीएसटी लागू होने बाद नई दरों को अपनी वेब साइट पर अपलोड करने की जानकारी दी है। अगले कुछ दिनों में नई दरों को वेब साइट पर डालने का दावा किया है।

जीएसटी का दायरा ना केवल लीज रेंट या कार्यों तक सीमित रहेगा, बल्कि समय पर किश्त नहीं देने वाले बकाएदारों पर जुर्माने की धनराशि पर भी 18 फीसद अतिरिक्त देना होगा। गौरतलब है कि प्राधिकरण की सूची में 91 बकाएदार हैं। ऐसे बिल्डरों को नोएडा प्राधिकरण ने किश्तों पर भूखंड आबंटित किए थे। ज्यादातर बकाएदारों ने किश्तों का भुगतान नहीं किया है। जीएसटी लागू होने से पहले प्राधिकरण बिल्डरों से कुल बकाया रकम पर 3 फीसद जुर्माने के रूप में लेता था। वहीं अब जुर्माने की रकम पर भी 18 फीसद अतिरिक्त देना होगा। माना जा रहा है कि बिल्डर कंपनी यह अतिरिक्त भार भी आबंटियों से वसूलेंगी। जिससे आबंटियों पर और अधिक भार पड़ेगा। प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक मनमोहन मिश्रा ने बताया कि विशेषज्ञों के साथ हुई बैठक में ये फैसले किए गए हैं। जीएसटी लगने के बाद प्राधिकरण का कितना राजस्व बढ़ेगा, आकलन किया जा रहा है।