कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने ‘देवरिया से दिल्‍ली किसान महायात्रा’ का पहला चरण रविवार को पूरा कर लिया। इस दौरान उन्‍होंने पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के 12 जिलों में 824 किलोमीटर का सफर किया। लेकिन सुर्खियों में रहने के बावजूद जनता और कांग्रेस कार्यकर्ता यूपी विधानसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति को लेकर कंफ्यूज हैं। लोगों को संदेह है कि इस यात्रा का फोकस क्‍या वाकई में किसान है। क्‍योंकि राहुल गांधी के भाषणों में किसानों के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला गया है। राहुल ने पीएम मोदी की विदेश यात्राओं, उनके महंगे सूट, चुनाव से पहले काला धन लाने और रोजगार देने के वादों का जिक्र किया है। उनके नारे ‘जनता त्रस्‍त, मोदी मस्‍त’ को जौनपुर और मऊ जैसे अल्‍पसंख्‍यक बहुल इलाकों में अच्‍छा रेस्‍पॉन्‍स मिला है लेकिन भीड़ में मौजूद ज्‍यादातर लोग अब भी तय नहीं कर पाए हैं कि वोट किसे देना है।

जौनपुर में यात्रा के दौरान राहुल ने मोदी के बारे में बहुत कुछ कहा। यहां पर एक मुस्लिम ने पूछा, ”वो सब तो ठीक है पर किसान यात्रा में बुनकर के लिए क्‍या है।” हालांकि उसकी आवाज राहुल तक नहीं पहुंची। वहीं राहुल पीएम के सूट के बारे में बोलते रहे। एक दूसरी समस्‍या यह है कि यह समझ नहीं आ रहा है कि कांग्रेस किन तक अपनी पहुंच बनाना चाहती है। राहुल सबको अपने साथ लेकर चलने की बात करते हैं, एक दिन वे हनुमानगढ़ी में पूजा करते हैं तो अगले दिन जौनपुर में मदरसे में लंच करते दिखते हैं। इसके बाद उन्‍होंने ब्राह्मण समाज पूजा में हिस्‍सा लिया वहां उन्‍होंने माथे पर चंदन का टीका लगाया ओर मंत्र पढ़े। उन्‍होंने अंबेडकर की मूर्ति पर माला चढ़ाई और दो दलितों के घर पर खाना भी खाया।

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खाट पर चर्चा का उद्देश्‍य भी पूरा होता नहीं दिख रहा। ज्‍यादातर खाट सभाएं शाम छह बजे बाद हो रही हैं, इनमें न तो जनता और न राहुल बातचीत करने के उत्‍सुक दिखते हैं। खाट सभा केवल औपचारिकता दिखती है। खाट सभा के दौरान राहुल के पास किसी बात पर चर्चा करने के लिए बहुत कम समय होता है। इसके कारण वह किसानों से ‘कर्ज माफी, बिजली के बिल कम करने और समर्थन मूल्‍य बढ़ाने’ के अभियान पर मदद मांगते दिखते हैं। हालांकि इस दौरान भी वे मोदी को निशाना बनाते रहते हैं।

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