सपा सरकार की महत्वाकांक्षी ट्रांस गंगा परियोजना पर योगी सरकार की वक्र दृष्टि पड़ते ही परियोजना के सारे काम रोक दिए गए हैं। बची-खुची कमी बीते दिनों हुई बरसात ने पूरी कर दी। इससे अधिगृहीत भूमि पर कराए गए निशानदेही के अलावा अस्थायी काम निरर्थक हो गए। इसको लेकर भयाक्रांत केवल समाजवादी कुनबा ही नहीं बल्कि वे भी हैं जिन्होंने तत्कालीन सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना के जरिये देश के अति विकसित क्षेत्र में कारोबार करने का मंसूबा पाल रखा था। उल्लेखनीय है कि उन्नाव जनपद के गंगा तटवर्तीय कटरी क्षेत्र में वर्ष 2014 के नवंबर माह में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी परियोजना का शिलान्यास कर क्षेत्र के लोगों को यह अनुभूति कराई थी कि अब तक दो महानगरों के बीच में दुबके रहे उन्नाव का वैभव आने वाले दिनों में देश के राष्ट्रीय फलक पर चमकने वाला है। लेकिन बदली हुकूमत ने परियोजना की टिमटिमाती आशाओं पर पानी फेर दिया। इसे लेकर सबसे ज्यादा फिक्रमंद 950 आवंटी दिखाई पड रहे हैं जिन्हें आवंटित भूखंडों पर कब्जा दिया जाना था।

सूत्र बताते हैं कि परियोजना के तहत पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए 1800 करोड़ की कार्ययोजना तैयार की गई थी। इसके तहत तत्कालीन एमडी मनोज कुमार सिंह द्वारा कुछ अस्थायी काम भी यहां कराए गए थे इसके बाद प्रबन्ध निदेशक के पद पर आए अमित कुमार घोष ने 1100 करोड़ के टेंडर जारी किए जिनमें से 650 करोड़ के टेंडर दिसंबर 2016 में आवंटित भी हो गए, लेकिन बदली सरकार में एमडी बने रणवीर प्रसाद ने पूर्व में कराए गए कार्यों की समीक्षा करने के आदेश जारी कर दिए। इसमें पूर्व नियोजित कार्ययोजना के साथ क्रियान्वित कार्यों की उपयोगिता पर भी अब विचार किया जा रहा है।

कुल मिलाकर पूर्व सरकार द्वारा क्षेत्र के कायाकल्प को लेकर शुरू की गई महत्वाकांक्षी ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी परियोजना पर मौजूदा समय में पूरी तरह से काम बंद हो चुका है। वहीं, दूसरी ओर जिन किसानों की जमीन परियोजना के लिए अधिगृहीत की गई थी, वह भी बदली सरकार का मंतव्य भांपकर गुलाबी गैंग की मुखिया सम्पत पाल के संरक्षण में फिर से अपनी जमीन के एवज में संशोधित मुआवजा पाने की मांग को लेकर आंदोलित होने लगे हैं।