उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गुमनामी बाबा के नेताजी सुभाष चंद्र बोस होने के दावे की जांच के लिए गठित जस्टिस विष्णु सहाय कमीशन मंगलवार (25 अक्टूबर) को फैजाबाद पहुंचा। सुनवाई के दौरान गुमनामी बाबा के करीबी रहे रविंद्र शुक्ला ने दावा किया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 1981-82 में फैजाबाद में उनसे मिलने गए थे। उस समय मुखर्जी केंद्र की कांग्रेसी सरकार में मंत्री थे। कुछ स्थानीय लोग मानते हैं कि गुमनामी बाबा या भगवानजी ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।  अगस्त 1945 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस का हवाईजहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उसके बाद से उनका कुछ नहीं पता चला। माना जाता है कि नेताजी की उस दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हो गयी थी। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि नेताजी उस दुर्घटना में बच गए थे।

गुमनामी बाबा का 1985 में निधन हो गया था। रविंद्र शुक्ला गुमनामी बाबा के करीबी थे। वो उन 13 लोगों में शामिल थे जो गुप्तार घाट पर गुमनामी बाबा के अंतिम संस्कार में शामिल थे। शुक्ला ने सहाय कमीशन को बताया कि मुखर्जी उस साल नवरात्रि के दौरान गुमनामी बाबा से मिलने गए थे। शुक्ला ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार को बताया कि “1981-82 में भगवानजी ने उन्हें एक बंगाली सज्जन को स्थानीय बाजार ले जाने के लिए कहा। वो बंगाली सज्जन अयोध्या की बिरला धर्मशाला में रुके थे। मैं उन सज्जन को अपनी यज्दी मोटरसाइकिल पर बैठाकर फैजाबाद के चौक इलाके में ले गया। उन्होंने कुछ कपड़े और मेवे खरीदे।”

वीडियो: ऋतिक रोशन की नई फिल्म काबिल का ट्रेलर हुआ रिलीज- 

शुक्ला ने दावा किया कि बंगाली सज्जन ने वहां की एक जानीमानी दुकान (कन्हैया लाल बलदेव) से कपड़े खरीदे थे। शुक्ला के अनुसार वो उस बंगाली सज्जन के साथ काफी देर तक रहे थे इसलिए उन्हें उनका चेहरा याद रहा। शुक्ला ने कमीशन को बताया कि “मैं उनका चेहरा आसानी से पहचान सकता था। मैं जिस आदमी को बाजार ले गया था वो प्रणब मुखर्जी थे।” प्रणब मुखर्जी जनवरी 1980 से जनवरी 1982 तक इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में वाणिज्य मंत्री थे। जनवरी 1982 से दिसंबर 1984 तक वो वित्त मंत्री रहे थे। सहाय कमीशन सुनवाई के लिए फैजाबाद गया था।

हालांकि हाल ही में जापान सरकार ने नेताजी से जुड़ी कई गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक किया है जिनके अनुसार नेताजी की मृत्यु 1945 में ही हो गई थी। भारत सरकार ने भी पिछले साल नेताजी से जुड़े कई गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं। सरकार नेताजी से जुड़े कई चरणों में सार्वजनिक कर रही है। विभिन्न स्रोतों से मिले दस्तावेजों के अनुसार नेताजी दुर्घटना में बुरी तरह जल गए थे। दुर्घटना के बाद उन्हें ताईपेई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्हें बचाया नहीं जा सका।

Read Also: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के रहस्य से उठा पर्दा, जापान ने जारी की 60 साल पुरानी गुप्त रिपोर्ट