भाजपा उत्तर प्रदेश में मध्य फरवरी के दौरान बोर्ड परीक्षाओं से पहले चुनाव चाहती है। पार्टी का मानना है कि इस समय पर चुनाव होने से उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के चलते बने माहौल को भुनाने में मदद मिलेगी। इधर, यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद ने चुनाव आयोग को बताया कि परीक्षाएं 18 फरवरी से 22 मार्च के बीच आयोजित होंगी। भाजपा सूत्रों के अनुसार राज्य यूनिट ने राष्ट्रीय नेतृत्व को बता दिया है कि जनवरी-फरवरी के बीच चुनाव होने पर सबसे ज्यादा फायदा होगा। पार्टी के कई नेता परीक्षाओं के बाद चुनाव नहीं चाहते क्योंकि नेतृत्व नोटबंदी के असर को नहीं जान पाएगा।
पार्टी के एक नेता ने बताया, ”राज्य इकाई का मानना है कि यदि चुनाव बोर्ड परीक्षाओं से पहले होते हैं तो हम चुनाव आसानी से जीत लेंगे क्योंकि मोदीजी की लोकप्रियता और सरकार द्वारा कालेधन व भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए कदमों की सराहना उस समय तक जोरदार होगी।” उन्होंने कहा कि दो-तीन महीने बाद नोटबंदी के असर को ना तो राज्य और ना केंद्रीय नेतृत्व जान पाएगा। यह अभी भी संदिग्ध है। मार्च के अंत तक चुनाव का इंतजार करना जोखिमभरा होगा। सूत्रों ने आगे बताया कि यदि चुनाव 18 फरवरी से पहले होते हैं तो चुनाव आयोग को अगले कुछ दिन में तारीखों का एलान करना होगा।