वाराणसी में सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए एमएमएफ और विशाल भारत संस्थान ने दिवाली पर कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने भगवान राम की आरती का पाठ किया था और दीये जलाए थे। वहीं, राम की आरती उतारने वाली नजमा का कहना है कि वह 2006 से राम की आरती कर रही हैं। पहले भी उन्हें इस पर धमकियों और फतवों का सामना करना पड़ा है। वे हिंदुओं संग मिलकर देश की संस्कृति के हिसाब से पूजा करते हैं। हालांकि, ऑनलाइन फतवा विभाग के अध्यक्ष मुफ्ती मो. अरशद फारूखी ने शनिवार को बताया था कि इस्लाम सिर्फ एक ईश्वर में विश्वास रखता है और यहां दूसरे देवी-देवताओं के लिए जगह नहीं है।
दारुल उलूम देवबंद ने आरती करने वाली महिलाओं को इस्लाम से खारिज किया था। कहा था अगर कोई भी मुस्लिम अल्लाह के अलावा किसी और भगवान को मानता है तो वह मुस्लिम नहीं रहता। इसके अलावा दारुल उलूम ने उन महिलाओं को जिन्होंने भगवान राम की आरती की थी, उन्हें हिदायत दी है कि वे अल्लाह से माफी मांग कलमा पढ़ कर ही इमान में दाखिल हों।