उत्तर प्रदेश के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने पिछले दिनों हिजबुल मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकी कमर-उज-जमां उर्फ डॉ. हुरैरा पकड़ा था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एटीएस) जोगेन्द्र कुमार ने बताया कि असम निवासी कमर-उज-जमां राष्ट्रीय को पकड़ने में जांच एजेंसी (एनआईए) का भी सहयोग मिला। उन्होंने बताया कि शुरुआती पूछताछ में असम के जमुनामुख निवासी जमां ने स्वीकार किया कि वह हिज्बुल का सक्रिय सदस्य है। यह भी पता लगा कि वह गणेश चतुर्थी के मौके पर कानपुर में किसी वारदात को अंजाम देने की फिराक में था। उसने कानपुर में एक मंदिर की रेकी भी की थी।

हालांकि कमर के बारे में जो जानकारियां सामने आईं हैं वह काफी चौंकाने वाली है। खबर के मुताबिक कमर वहाबी विचारधारा से जुड़ने से पहले खासा उदारवादी था। वह नवरात्र का त्योहार मनाता था। इसके अलावा वह व्रत भी रखता था। मगर कमर कट्टरपंथी विचारधारा की तरफ उस वक्त आकर्षित हुआ जब वो साल 2008 में रिपब्लिक ऑफ पलाऊ पहुंचा। वहां से आने के बाद उसमें काफी बदलाव आया और कश्मीर चला गया। आईजी एटीएस ने बताया कि कमर-उज-जमां करीब चार साल तक रिपब्लिक ऑफ पलाऊ में रहा। इस दौरान वहां होने वाली जमातों में शामिल होता, इससे वहाबी विचारधारा की तरफ वह खासा आकर्षित हुआ।

जानकारी के मुताबिक साल 2012 में भारत लौटा और 2013 में कश्मीर पहुंच गया। कमर अप्रैल 2017 में ओसामा नामक व्यक्ति के साथ जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के एक पहाड़ के जंगलों में आतंकवाद का प्रशिक्षण लेने गया था। हालांकि 2013 से 2017 के बीच वह कानपुर आता-जाता रहा।

यहां बता दें कि कमर की गिरफ्तारी के बाद उससे गहन पूछताछ की जा रही है और इसमें अन्य सुरक्षा एजेंसियों की मदद भी ली जा रही है। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि उसके कौन-कौन से साथी हैं। इसके अलावा उसके निशाने पर और कौन-कौन स्थान अथवा लोग थे। एक बेटे के पिता जमां का विवाह वर्ष 2013 में असम में ही हुआ था। (एजेंसी इनपुट)