नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बड़े बकाएदार आम्रपाली बिल्डर के सेक्टर- 62 स्थित व्यावसायिक दफ्तर की 18 अगस्त को नीलामी की स्थिति गुरुवार तक साफ होगी। हालांकि कॉरपोरेशन बैंक ने नीलामी 18 अगस्त को करने की सूचना निकाली है। लेकिन बैंक वसूली मामलों के जानकारों का मानना है कि मौजूदा हालात में नीलामी होना मुश्किल है। चूंकि नोएडा में फ्री-होल्ड के बजाए लीज होल्ड संपत्ति है। यानी आबंटी को नोएडा ने भूखंड एक लीज के आधार पर दिया है। लीज की समयसीमा समाप्त होने पर संपत्ति फिर से नोएडा की होगी।  उपयोग करने की एवज में आबंटी को लीज रेंट (किराया) देना होता है। इसी वजह से नोएडा प्राधिकरण ने गत दिनों कॉरपोरेशन बैंक और नवोदय प्रॉपर्टीज लिमिटेड को नोटिस भेजा था। इस नोटिस का जवाब अभी तक बैंक ने नहीं दिया है।

प्राधिकरण अधिकारियों का मानना है कि गुरुवार तक बैंक की तरफ से कोई जवाब नहीं आने पर प्राधिकरण उक्त भूखंड की लीज डीड रद्द कर सकता है। गौरतलब है कि कॉरपोरेशन बैंक ने 18 अगस्त को सेक्टर- 62 के सी-56/37 की नीलामी की सूचना निकाली है। बैंक के मुताबिक यह संपत्ति नवोदय प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से है। जबकि इस पर अल्ट्रा होम्स प्राइवेट लिमिटेड ने कर्ज ले रखा है। इसकी एवज में नीलामी करने की सूचना बैंक ने दी है। नीलामी कराने की जिम्मेदारी कॉरपोरेशन बैंक की झंडेवालान शाखा की है। खास बात यह है कि इस परिसर में जो इमारत खड़ी है, उस पर आम्रपाली ग्रुप कॉरपोरेट टॉवर 2 का बोर्ड चस्पा है। प्राधिकरण को जब इस बात की सूचना मिली तो पड़ताल करने पर पता चला कि 2007 तक यह प्रॉपर्टी कबीर ओवरसीज के नाम थी। मार्च 2007 में इसका ट्रांसफर नवोदय प्रॉपर्टीज के नाम पर किया गया। यह नाम अभी तक यथावत है।

800 वर्ग मीटर के इस भूखंड पर इमारत बनी है। निदेशक मंडल में वेद कटारिया, अनुराग गुप्ता, विजय गुप्ता और अनिल कुमार गुप्ता के नाम हैं। इस कंपनी ने प्राधिकरण में 14 फरवरी, 2011 को कॉरपोरेशन बैंक से लोन लेने के लिए मॉर्गेज (बंधक) अनुमति मांगी थी। जिसकी मंजूरी प्राधिकरण ने दे दी थी। प्रॉपर्टीज के जानकारों के मुताबिक बैंक ने नीलामी के लिए जो सूचना निकाली है, उसमें प्रॉपर्टी तो यही है लेकिन कर्ज लेने वाली कंपनी दूसरी है। इससे इसकी नीलामी में पेच फंस गया है। गुरुवार तक प्राधिकरण बैंक के जवाब का इंतजार कर रहा है। हालांकि राष्ट्रीयकृत बैंक के बकाए की वसूली के का मामला होने की वजह से प्राधिकरण अपने स्तर से कोई गतिरोध पैदा नहीं करना चाहता है।