चंबल की छवि को बदलने के इरादे से स्थापित इटावा सफारी पार्क के उद्घाटन के छह महीने बाद भी पर्यटकों के लिए न खोले जाने से लोगों में खासी निराशा है, क्योंकि वे अभी तक इस बेहतरीन सफारी के साथ वन्यजीवों के दीदार से वंचित हैं। इसके कारण सफारी खोले जाने की मांग ने तेजी पकड़ ली है। ग्रीनमैन के नाम से विख्यात पर्यावरणविद् विजयपाल सिंह बघेल ने सफारी खोलने की मांग को लेकर अभियान चलाने की बात कही है। उन्होंने सफारी को जल्द खोले जाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा है। हालांकि उद्घाटन के बाद कई बार जनता के लिए पार्क को खोलने की तिथि भी तय की गई, परंतु इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा है। वन्य जीव संरक्षण सप्ताह 2018 तो निश्चित भी हो गया था, लेकिन बिना किसी कारण के स्थगित हो गया। 6 जनवरी को मुख्यमंत्री ने कई योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया, लेकिन उस दिन भी सफारी को नहीं खोला जा सका।
इटावा सफारी पार्क ना केवल इटावा के लिए बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए एक रोल मॉडल है। इसके कारण हमारी पहचान अलग ढंग से बनी है। यह उत्तर भारत के प्रमुख सफारी पार्क में से एक है। सफारी पार्क में सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लायन ब्रीडिंग सेंटर है और पांच अन्य सफारियां भी हैं। यहां पर्यटक को पूरे दिन रोके रखने के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं। खास बात यह है कि सफारी पार्क में पर्यटक बंद गाड़ी में घूमेंगे और वन्य जीव खुले में विचरण करेंगे।
सफारी में हैं वन्यजीव
आठ किलोमीटर परिधि वाली बाउंड्री के भीतर आठ शेर, तीन तेंदुए, तीन भालू, 28 हिरण, 27 काले हिरण, सात सांभर तथा चार नील गायों के साथ मोर, नीलकंठ, बुलबुल, कोयल, कबूतर, मुनिया, गौरैया, तोता, गिद्ध, चील, बाज समेत सैकड़ों प्रजाति के देशी-विदेशी पक्षियों का कलरव गूंज रहा है। ग्रीनमैन ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि 20 जनवरी तक इटावा सफारी को जन सामान्य के लिए खोल दिया जाए। इससे पर्यटकों के आगमन से राजस्व वृद्धि भी हो सकेगी। यदि 20 जनवरी तक इस पार्क को जनता के लिए नहीं खोला गया तो हरित सत्याग्रह के रूप में जन आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशवस्तरीय इटावा सफारी पार्क को जनता के लिए अतिशीघ्र खुलवाया जाए। 324 करोड़ रुपये की लागत से बने इटावा सफारी का 1 जून को मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया था, लेकिन इसके बाद भी सफारी को पर्यटकों के लिए नहीं खोला गया है जबकि सीजेडए भी इसे खोले जाने की अनुमति दे चुका है।
-विजयपाल,पर्यावरणविद्