एक समय केंद्र सरकार ने देश की आबादी को काबू मे करने की गरज से नारा दिया था हम दो हमारे दो। इस नारे की तर्ज पर महिला और पुरुषों की नसबंदी की महत्त्वाकांक्षी योजनाए संचालित की गई लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा में परिवार नियोजन को लेकर पुरुष कतई संजीदा नहीं है। यही कारण है कि परिवार नियोजन पूरी तरह महिलाओं आ टिका है ।
भले ही सरकारें परिवार नियोजन को लेकर अभियान चलाती हों लेकिन इटावा जिले में इसमें कामयाबी मिलते नहीं दिख रही। नसबंदी के जो लक्ष्य दिए जाते हैं उनको भी स्वास्थ्य विभाग आधे से ज्यादा पूरा नहीं कर पा रहा है। ऐसे में परिवार नियोजन को बढ़ावा कैसे मिल सकेगा? सरकार की ओर से जागरूकता अभियान और संसाधन उपलब्ध कराने के बाद भी जिले में परिवार नियोजन की दर 3.1 है। महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों व नसबंदी से अब धीरे-धीरे अलग हो रही हैं। 2007 से में जिले को जो लक्ष्य दिया गया, उसमें यह आधा भी पूरा नहीं हो सका है।

ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता ज्यादा
ग्रामीण इलाकों में तो फिर भी महिलाएं परिवार नियोजन के प्रति कुछ जागरूक दिख रहीं है लेकिन इटावा शहर में नहीं। शहर में 428 नसबंदी का लक्ष्य था। इसमें से सिर्फ 178 महिलाओं ने ही नसबंदी कराई थी । माना जा रहा है कि जहां पुरुषों में पहले से ही जागरूकता की कमी है वहीं अब महिलाएं भी इससे दूर जा रही हैं। एनआरएचएम के जिला प्रबंधक संदीप दीक्षित का कहना है कि नसबंदी के लिए इटावा मेंसालभर में चार शिविर किए जाते हैं। नसबंदी कराने वाली महिला को 1400 रुपए तथा पुरुष को दो हजार रुपए दिए जाते हैं। पुरुषों की धनराशि भी महिलाओं से अधिक है लेकिन इसके बाद भी पुरुष इस मामवे में काफी पीछे हैं। उन्होंने बताया कि इटावा में परिवार नियोजन की दर 3.1 है, जबकि 2007-08 में यह दर 3.3 थी । इटावा मे जनसंख्या नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार हर साल लाखों रुपए खर्च करती है फिर भी परिणाम अच्छे नहीं आ रहे हैं। हम यहां जिस मुददे की बात कर रहे है वो है पुरुष नसबंदी। अभी तक प्रगति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग के अधिकारियों के लिए लक्ष्य तक पहुंचना संभव नहीं है। राष्ट्रीय कार्यक्रम परिवार नियोजन में रुचि न लिए जाने से जनसंख्या औसत से ज्यादा बढ़ती जा रही है। इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इटावा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.राजीव यादव का कहना है कि जिले में पुरुष नसबंदी निराशाजनक स्थिति में है । शिक्षा एवं जागरूकता के अभाव में कई भ्रांतियां हैं। जब तक इनका समाधान नहीं होता, तब तक नतीजे अच्छे मिलना संभव नहीं हैं। महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी काफी सरल तथा सुरक्षित है ।

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